देव दीपावली पर सजकर तैयार हुई काशी, प्रधानमंत्री आज बाबा के चरणों में जलाएंगे तीन दीप
प्रधानमंत्री आज देव दीपावली की छटा निहारने काशी आ रहे। इस अवसर पर नरेंद्र मोदी श्रीकाशी विश्वनाथ में देवाधिदेव महादेव की पूजा—अर्चना कर तीन दीप जलाएंगे। इसमें पहला दीप बाबा विश्वनाथ के चरणों में समर्पित होगा तो दूसरा देश की खुशहाली और समृद्धि के लिए अर्पित करेंगे।
वाराणसी। प्रधानमंत्री आज देव दीपावली की छटा निहारने काशी आ रहे। इस अवसर पर नरेंद्र मोदी श्रीकाशी विश्वनाथ में देवाधिदेव महादेव की पूजा-अर्चना कर तीन दीप जलाएंगे।इसमें पहला दीप बाबा विश्वनाथ के चरणों में समर्पित होगा तो दूसरा देश की खुशहाली और समृद्धि के लिए अर्पित करेंगे।
जिला प्रशासन द्वारा जारी की गई जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री शाम 4.45 से पांच के बीच मंदिर पहुंचेंगे।दर्शन-पूजन के बाद कारिडोर का भ्रमण करेंगे। वहां चल रहे निर्माण कार्यों को मैप और प्रोजेक्टर से देखेंगे। प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए व्यवस्थाएं पुख्त कर दी गई है।
चार पुजारी कराएंगे दर्शन: प्रधानमंत्री को दर्शन-पूजन कराने की जिम्मेदारी मंदिर के चार पुजारियों को सौंपी गई है। स्वास्थ सुरक्षा के लिए सभी पुजारियों की कोविड-19 की जांच भी कराई गई है।
देर शाम तक सभी की रिपोर्ट आ गई जिसमें सभी निगेटिव पाए गए। प्रधानमंत्री के प्रसाद की गठरी में रुद्राक्ष, चंदन, बेलपत्र, भस्म, बाबा का चित्र और दुपट्टा होगा। इसे पूजा के बाद उन्हें भेंट किया जाएगा।
सीएम ने सभाली तैयारी की कमान: देव दीपावली पर प्रधानमंत्री के स्वागत की तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद कमान संभाले हुए है। वह स्वयं तैयारी व्यवस्था के बारे में जानकारी समय-समय पर ले रहे है।जानकारी के अनुसार 84 गंगा घाटों, सारनाथ समेत शहर में कई जगह व मार्गों पर प्रधानमंत्री के लगभग एक हजार होर्डिंग, 1200 स्टैंडी लगाए गए हैं।
इसके अलावा गंगा घाट पर दर्शकों को प्रधानमंत्री के कार्यक्रम को लाइव दिखाने के लिए 12 स्थानों पर बड़े-बड़े एलसीडी वाल व शहर के विभिन्न क्षेत्रों में 12 स्थानों पर एलईडी लगाई गई है। मालूम हो कि अयोध्या में भव्य दीपावली की तर्ज पर काशी में भी देव दीपावली को मनाने का क्रम इस बार से शुरू किया जा रहा है।
देवता आते है दीपावली मनाने: मान्यता है कि देव दीपावली के दिन सभी देवता बनारस के घाटों पर आते हैं। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध किया था। मान्यता है कि भगवान शंकर ने खुद देवताओं के साथ गंगा के घाट पर दिवाली मनाई थी, इसीलिए देव दीपावली का धार्मिक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी बढ़ जाता है।