कश्मीर : पत्थरबाजों पर सख्त हुई सरकार, अब ना मिलेगी सरकारी नौकरी, ना मिलेगा पासपोर्ट

टीम भारत दीप |
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जम्मू-कश्मीर में सेना के जवानों पर पत्थर फेंकने वालों पर सरकार सख्त।
जम्मू-कश्मीर में सेना के जवानों पर पत्थर फेंकने वालों पर सरकार सख्त।

रविवार को सरकार ने एक आदेश जारी किया। जिसके मुताबिक यहां पत्थरबाजी करते हुए पकड़े जाने पर पासपोर्ट नहीं मिलेगा। साथ ही ऐसे लोग सरकारी नौकरी के लिए भी अप्लाई नहीं कर सकेंगे। दरअसल राज्य सरकार के अधिकारियों के अनुसार कश्मीर CID की स्पेशल ब्रांच ने सभी सिक्योरिटी यूनिट को एक आदेश जारी किया है।

श्रीनगर। पत्थरबाजी पर मोदी सरकार ने नकेल कसनी शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर में सेना के जवानों पर पत्थर फेंकने वालों पर अब सरकार सख्त कदम उठाने के मूड में है। दरअसल रविवार को राज्य सरकार ने एक आदेश जारी किया। जिसके मुताबिक यहां पत्थरबाजी करते हुए पकड़े जाने पर पासपोर्ट नहीं मिलेगा।

साथ ही ऐसे लोग सरकारी नौकरी के लिए भी अप्लाई नहीं कर सकेंगे। दरअसल राज्य सरकार के अधिकारियों के अनुसार कश्मीर CID की स्पेशल ब्रांच ने सभी सिक्योरिटी यूनिट को एक आदेश जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि राज्य के जिस व्यक्ति को भी पत्थरबाजी करते पकड़ा जाए, उसे किसी तरह का सिक्योरिटी क्लियरेंस न दिया जाए।

बताया गया कि पत्थरबाजी के आरोप लगने पर डिजिटल सबूत (वीडियो या फोटो) और पुलिस रिकॉर्ड्स की भी जांच की होगी। मिली जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार पहले ही एक कानून में संशोधन कर सरकारी नौकरी के लिए CID की क्लियरेंस रिपोर्ट को जरूरी कर चुकी है।

अब इस आदेश के मुताबिक यदि किसी व्यक्ति के परिवार का सदस्य और खास रिश्तेदार राजनीतिक पार्टी से जुड़ा है तो उसकी भी जानकारी देनी होगी। बताया गया कि किसी राजनीतिक कार्यक्रम में शामिल होने के बारे में भी बताना होगा। साथ ही जमात-ए-इस्लामी जैसे किसी विदेशी प्रतिबंधित संगठन से जुड़े होने की जानकारी भी मांगी जाएगी।

बताया गया कि कहीं काम कर रहे लोगों को यदि CID से दोबारा सत्यापन करवाना हो तो उन्हें नियुक्ति की तारीख, पोस्टिंग और पदोन्नति का पूरा विवरण भी देना अनिवार्य होगा। इसके अतिरिक्त नौकरी कर रहे माता-पिता, पति-पत्नी या बच्चों की डिटेल भी देनी अब जरूरी होगी।

मूल निवासी बनने के लिए यह शर्त जरूरी
बताते चलें कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने यह आदेश भी दिया था कि राज्य में जन्म लेने वाली महिला के पति को भी मूल निवासी का सर्टिफिकेट दिया जाएगा। दरअसल जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद केंद्र सरकार ने निवासी प्रमाण-पत्र देने का नियम भी बदल दिया था। नए नियम के अनुसार राज्य में 15 साल या इससे ज्यादा समय तक रहने वाले व्यक्ति को वहां का मूल निवासी माना जाएगा।

घाटी में घटने लगी पत्थरबाजी की घटनाएं
बताया गया कि जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 हटाया गया था। जिसके बाद से यहां पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी देखी गई है। बताया गया कि 2019 में पथराव की 1999 घटनाएं हुई थीं। वहीं 2020 में ये घटकर 255 बार ही हुईं। तो वहीं 2021 में 2 मई को पुलवामा के डागरपोरा में मुठभेड़ के दौरान आतंकियों को बचाने के लिए लोगों ने पथराव किया था।

इसके बाद बारपोरा में 12 मई को भी नकाबपोशों ने पथराव किया। इसके अतिरिक्त पत्थरबाजी की कोई बड़ी घटना सामने नहीं आई है। बताया गया कि इससे पहले 2018 में 1458 और 2017 1412 घटनाएं सामने आई थीं। बताते चलें कि 9 अप्रैल 2017 को श्रीनगर बाई पोल के दौरान हिंसा भड़क गई थी। जिसमें 8 लोगों की मौत हुई थी।

वहीं एक पत्थरबाज को सीआरपीएफ ने जीप के बोनट में बांध दिया था। जिसको लेकर फोर्स का कहना था कि पत्थरबाजी से बचने के लिए उन्हें ऐसा कदम उठाना पड़ा।
 


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