केरल:जनसंख्या नियंत्रण को धता बताने वाला फरमान, पैदा करें पांच सन्तान मिशनरी का ऐलान
बीते दिनों केरल के एक कैथोलिक गिरजाघर ने पांच या आधिक बच्चे पैदा करने की सलाह देते हुए ऐसे परिवारों के लिए कल्याणकारी योजना की शुरुआत कर दी है। अब ऐसे में जब बढ़ती जनसंख्या के दुष्प्रभावों के बीच इस पर नियंत्रण को लेकर आवाजें मुखर हो रही है। सरकारें इस काम भी कर रही। यूपी में तो इसको लेकर सरकार तेज़ी से आगे भी बढ़ रही है।
कोट्टायम। केरल के एक चर्च के ऐलान को लेकर देश भर में तरह तरह की बहस तेज हो गई है। दरअसल बीते दिनों केरल के एक कैथोलिक गिरजाघर ने पांच या आधिक बच्चे पैदा करने की सलाह देते हुए ऐसे परिवारों के लिए कल्याणकारी योजना की शुरुआत कर दी है। अब ऐसे में जब बढ़ती जनसंख्या के दुष्प्रभावों के बीच इस पर नियंत्रण को लेकर आवाजें मुखर हो रही है।
सरकारें इस काम भी कर रही। यूपी में तो इसको लेकर सरकार तेज़ी से आगे भी बढ़ रही है। तब ऐसे में चर्च द्वारा ये ऐलान लोगों में बहस का मुद्दा बन गया है। कोई इसे देश के खिलाफ साजिश तो कोई इसे देश विरोधी कदम बता रहा है।
बताते चलें कि देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए उठाए जा रहे कदमों के बीच केरल में एक कैथोलिक गिरजाघर ने पांच या अधिक बच्चों वाले परिवारों के लिए एक कल्याणकारी योजना की शुरुआत की है। केरल के कोट्टायम जिले के पाला में कैथोलिक चर्च ने ऐलान किया है कि पांच या अधिक बच्चों वाले परिवारों आर्थिक मदद मिलेगी।
यहां यह कहते हुए कि 'बच्चे भगवान की ओर से एक उपहार हैं', चर्च के पाला बिशप मार जोसेफ कल्लारंगट द्वारा जारी पत्र में चार से अधिक बच्चों वाले परिवारों को वित्तीय और शैक्षिक सहायता समेत कई कल्याणकारी योजनाओं की सूची है। बताया गया कि गिरजाघर के इस कदम को राज्य में समुदाय की संख्या को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन के तौर पर देखा जा रहा है।
सिरो-मालाबार गिरजाघर के पाला डायोसिस के फैमिली अपोस्टोलेट ने 2000 के बाद जिनकी शादी हुई और उनके पांच या अधिक बच्चे हैं, तो उन दंपति को 1,500 रुपये की मासिक आर्थिक सहायता प्रदान करने का ऐलान किया है। फैमिली अपोस्टलेट का नेतृत्व करने वाले फादर कुट्टियानकल के मुताबिक 'यह घोषणा गिरजाघर के 'ईयर ऑफ द फैमिली उत्सव के हिस्से के तौर पर की गई है।
बताया गया इसका मकसद खास तौर पर कोविड-19 काल के बाद बड़े परिवारों को आर्थिक सहायता मुहैया कराना है। हमें इस संबंध में जल्द ही आवेदन मिलने लगेंगे और संभवत: हम अगस्त से सहायता राशि देना भी शुरु कर देंगे।' दरअसल इस योजना की घोषण सोमवार को बिशप जोसेफ कलारागंट ने एक ऑनलाइन बैठक में की थी।
हालांकि इस कदम को 2019 में चांगानाचेरी आर्चडायोसिस द्वारा केरल में ईसाइयों की जनसंख्या घटने संबंधी जानकारी को लेकर लिखे गए पत्र से जोड़कर पूछे गए सवाल पर फादर कुट्टियानकल ने कहा कि यह मुद्दा 'वास्तविक है। उनके मुताबिक 'यह वास्तविकता है कि केरल में ईसाई समुदाय की जनसंख्या नीचे गिर रही है। हमारा वृद्धि दर कम है।
योजना के पीछे यह भी कदम हो सकता है लेकिन तत्कालीन वजह महामारी काल में जरूरतों को पूरा करने में बड़े परिवारों को आ रही दिक़्क़तों से उन्हें कुछ राहत प्रदान करना है।' वहीं आर्चबिशप मारजोसेफ पेरूमथोट्टम की ओर जारी पत्र में कहा गया था कि केरल के गठन के दौरान ईसाई राज्य का दूसरा सबसे बड़ा समुदाय था लेकिन अब राज्य की कुल आबादी का अब वे 18.38 फीसदी ही हैं।
हाल के वर्षों में ईसाई समुदाय में जन्म दर घटकर 14 प्रतिशत रह गई। गिरजाघर ने कहा कि इसके द्वारा संचालित अस्पताल में चौथे बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं को प्रसव शुल्क का भुगतान नहीं करना होगा।
वहीं इन सबके बीच देश में इस पर बहस तेज हो गई है कि जहां एक ओर जनसंख्या नियंत्रण को लेकर तमाम प्रयास किए जा रहे है तो ऐसे में चर्च का ये ऐलान इन प्रयासों को पलीता लगाने का काम करेगा।