किसान आन्दोलन : वकील ने जहर खाकर दी जान, सुसाइड नोट में लिखी ये बातें

टीम भारतदीप |

इन काले कानूनों के कारण किसान ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।
इन काले कानूनों के कारण किसान ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।

दरअसल यहां दिल्ली के टिकरी बार्डर पर रविवार को पंजाब के एक वकील ने आन्दोलन वाली जगह से कुछ दूर जहर खाकर खुदखुशी कर ली है। किसान आंदोलन के दौरान यह खुदकुशी का तीसरा मामला है। वहीं बताया जा रहा है कि अब तक इस आंदोलन में 30 से ज्यादा किसानों की मौत आत्महत्या और ठंड की वजह से हो चुकी है।

नई दिल्ली। हाड़ कपा देने वाली ठंड में केन्द्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे किसानों के आन्दोलन के बीच यहां से आज एक बार फिर बुरी खबर सामने आई है। दरअसल यहां दिल्ली के टिकरी बार्डर पर रविवार को पंजाब के एक वकील ने आन्दोलन वाली जगह से कुछ दूर जहर खाकर खुदखुशी कर ली है। किसान आंदोलन के दौरान यह खुदकुशी का तीसरा मामला है। वहीं बताया जा रहा है कि अब तक इस आंदोलन में 30 से ज्यादा किसानों की मौत आत्महत्या और ठंड की वजह से हो चुकी है। इससे पूर्व 16 दिसंबर को करनाल जिले के सिंघड़ा निवासी 65 साल के संत बाबा राम सिंह ने गोली मारकर खुदकुशी कर ली। 20 दिसंबर को बठिंडा के रामपुरा फूल में गुरलाभ सिंह ने जहर खा लिया था। उनके घरवालों ने बताया था कि टीकरी बॉर्डर पर धरने से लौटने के बाद 2 दिन से परेशान था। उसके आखिरी बोल थे-पता नहीं क्या होगा करोड़ों किसानों का। 

पुलिस का ये है दावा 
वहीं इस मामले पुलिस के मुताबिक, वकील अमरजीत सिंह पंजाब के फाजिल्का जिले के जलालाबाद के रहने वाले थे। वह खेती भी करते थे। सुसाइड नोट में अमरजीत ने लिखा है कि वह केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ और किसानों के आंदोलन के समर्थन में अपनी जान दे रहा है, ताकि सरकार लोगों की आवाज सुनने के लिए मजबूर हो। उसने लिखा कि इन काले कानूनों के कारण किसान ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। वहीं पुलिस का दावा है सुसाइड नोट पर 18 दिसंबर की तारीख लिखी है। हरियाणा के झज्जर जिले के एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि हमने मृतक के घरवालों को खबर दे दी है। उनके आने के बाद बयान दर्ज किए जाएंगे।

सुसाइड नोट में पीएम मोदी के लिए लिखी ये बातें
अमरजीत सिंह ने प्रधानमंत्री के नाम एक लेटर छोड़ा है। इसका कुछ हिस्सा टाइप किया और कुछ हिस्सा पेन से लिखा गया है। फिलहाल पुलिस पहले से टाइप करके लाए गए इस पत्र की जांच कर रही है। खत में लिखा है कि प्रधानमंत्री कुछ लोगों के ही बनकर रह गए। तीनों कृषि बिल किसान, मजदूर और आम आदमी का जीवन तबाह कर देंगे। किसानों, मजदूर और आम आदमी की रोजी-रोटी मत छीनो। अब तक इस आंदोलन में 30 से ज्यादा किसानों की मौत आत्महत्या और ठंड की वजह से हो चुकी है।

हार्ट अटैक और ठंड से दो किसानों ने तोड़ा दम
आंदोलन से लौटे होशियारपुर के किसान की हार्टअटैक और तलवंडी साबो के किसान की ठंड से मौत हो गई। एक महीने से कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली किसान आंदोलन में गए होशियारपुर जिले के गांव रड़ा के एक किसान की घर वापसी के दौरान हार्ट अटैक से मौत हो गई। मृतक किसान की पहचान भूपिंदर सिंह पुत्र मोहन सिंह (48) निवासी रड़ा के रूप में हुई है।वहीं तलवंडी साबो के गांव भागीवांदर के गुरप्यार सिंह (61) की ठंड लगने से शुक्रवार देर रात घर में मौत हो गई। वह 20 दिनों से टिकरी बार्डर पर सेवा निभा रहे थे। मोर्चे में रहते ही ठंड लग गई। गुरुवार को हालत गंभीर होने पर घर लाया गया, जहां शुक्रवार देर रात उनकी मौत हो गई।


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