विधान परिषद चुनाव: भाजपा ने 36 प्रत्याशियों के नाम तय किए,अब सिर्फ नामों की घोषणा बाकी
सभी सीटों के लिए एक-एक नाम पर सहमति बन चुकी है। अब इस पर केंद्रीय नेतृत्व की स्वीकृति लेने के बाद सिर्फ घोषणा करना बाकी है। मंगलवार से पहले चरण की तीस सीटों के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो रही है, जिसकी अंतिम तिथि 19 मार्च है। दो दिन यानी 17 और 18 मार्च को होली का अवकाश रहेगा।
लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में अकेले 255 और गठबंधन सहयोगियों के साथ मिलकर 273 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत प्राप्त करने वाली बीजेपी की नजर अब विधान परिषद पर है।
सपा के बहुमत वाले परिषद में अपना दमखम बढ़ाने के लिए सत्ताधारी दल ने विधान परिषद (स्थानीय निकाय) की 36 सीटों के लिए प्रत्याशी चयन पर अंतिम मंथन किया गया है। मुख्यमंत्री के सरकारी आवास पर हुई कोर कमेटी की बैठक में प्रत्याशियों के नाम पर सहमति बन चुकी है और अब सिर्फ घोषणा बाकी है।
हारे नेताओं को समायोजित करने की तैयारी
दिल्ली में हुई भाजपा कोर कमेटी की बैठक में विधान परिषद के स्थानीय प्राधिकार निर्वाचन क्षेत्र के 36 प्रत्याशियों के नामों पर चर्चा हुई। इन सीटों के लिए सभी जिलों से चार-पांच दावेदारों के नाम पैनल में थे।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, प्रदेश प्रभारी राधा मोहन सिंह, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और डॉ. दिनेश शर्मा ने इन पैनल में शामिल नामों पर विचार-विमर्श किया।
दरअसल, प्रत्याशियों के नाम पर सहमति पहले ही बन चुकी थी, तभी फरवरी में नामांकन प्रक्रिया शुरू भी कर दी गई थी, जो कि दो दिन बाद ही विधानसभा चुनाव संपन्न होने तक के लिए स्थगित कर दी गई। अब विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आ चुके हैं।
ऐसे में प्रदेश नेतृत्व ने हार-जीत के क्षेत्रों के आधार पर नए समीकरण ध्यान में रखकर समीक्षा की है।बैठक में शामिल सूत्रों ने बताया कि सभी सीटों के लिए एक-एक नाम पर सहमति बन चुकी है। अब इस पर केंद्रीय नेतृत्व की स्वीकृति लेने के बाद सिर्फ घोषणा करना बाकी है।
मंगलवार से पहले चरण की तीस सीटों के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो रही है, जिसकी अंतिम तिथि 19 मार्च है। दो दिन यानी 17 और 18 मार्च को होली का अवकाश रहेगा। इसे देखते हुए प्रबल संभावना है कि मंगलवार या बुधवार को प्रत्याशी घोषित कर दिए जाएं।
दूसरे दल से आए एमएलसी पाएंगे टिकट
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विधानसभा चुनाव के दौरान जब दलबदल का सिलिसला तेज था, तब सपा के 31 में से आठ एमएलसी, जबकि बसपा के दो में से एक विधान परिषद सदस्य ने भाजपा की सदस्यता ले ली। भाजपा के पक्ष में विधानसभा चुनाव के परिणाम आए हैं। ऐसे में पार्टी का मत है कि दूसरे दलों से आए सभी विधान परिषद सदस्यों को एमएलसी चुनाव लड़ा दिया जाए।
सपा ने भी कसी कमर
विधान परिषद में अभी सपा का बहुमत है। सपा के 31 एमएलसी हैं। विधानसभा चुनाव में हार के बाद सपा चाहती है कि परिषद में ताकत लगाई जाए। इसके लिए पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने सोमवार को प्रदेश मुख्यालय में इस संबंध में बैठक की। पार्टी के सभी विधान परिषद सदस्यों और वरिष्ठ पदाधिकारियों को इसमें बुलाकर प्रत्याशी चयन और रणनीति पर चर्चा की गई।
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