नवरात्रः चीन से युद्ध में इन देवी मां ने बरसाई थी अपनी कृपा, पंडित नेहरू भी थे भक्त
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शत्रुओं का नाश करने वाली मां पीतांबरा के दर्शन करने के लिए प्रदेश ही नहीं देशभर से श्रद्धालु आते है। नवरात्र की तो बात ही निराली है। इस समय मां के दरबार में भक्तों की लाइन लगी रहती है।
दतिया (मध्य प्रदेश)। मां पीतांबरा शक्ति पीठ मध्य प्रदेश के दतिया स्थित देश का एक प्रशिद्ध शक्तिपीठ है। श्री गोलोकवासी स्वामीजी महाराज ने इस स्थान पर “बगलामुखी देवी ” और “धूमावती माता ” की स्थापना की थी। पीतांबरा पीठ मे स्थित वनखण्डेश्वर मंदिर महाभारत कालीन शिव मंदिर है।
पीतांबरा पीठ दतिया रेलवे स्टेशन से दो किमी दूर स्थित है। यहां देशभर से श्रद्धालु पूरे साल दर्शन करने आते हैं। इन दिनों नवरात्र की धूम होने की वजह से श्रद्धालुओं की अलसुबह से ही कतार लग रही है।
दतिया झांसी और ग्वालियर के बीच स्थित है। दतिया आने के लिए ट्रेन सबसे उत्तम विकल्प है, वैसे श्रद्धालु बस से भी सफर करके माई का दर्शन करने पहुंचते हैं।
हवाई सफर करने वालों के लिए निकटतम हवाई अड्डा ग्वालियर है जो दतिया से सिर्फ 40 किमी दूर लगाता है। शत्रुओं का नाश करने वाली मां पीतांबरा के दर्शन करने के लिए प्रदेश ही नहीं देशभर से श्रद्धालु आते हैं।
नवरात्र में मां के दरबार में भक्तों की लाइन लगी रहती है। कहा जाता है कि मां के दरबार भक्त में जो भी मांगता है वह अवश्य पूरा होता है। ऐसी मान्यता है कि मां दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है।
मां पीतांबरा को राजसत्ता की देवी भी कहा जाता है। मां के दरबार में सालभर राजनीतिक दलों से लोग नेता आते हैं। पीतांबरा पीठ पर पंडित जवाहर लाल नेहरू, प्रणब मुखर्जी, इंदिरा गांधी, अटल विहारी बाजपेयी, राजनाथ सिंह समेत तमाम नेता मां के दरबार में हाजिरी लगा चुके हैं।
चीन से युद्ध में की रक्षा
भारत-चीन के बीच 1962में जब युद्ध शुरू हुआ तो युद्ध से चिंतित प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने पीतांबरा पीठ पर 11 कुंडीय यज्ञ कराया था। यज्ञ के नौ दिन आखिरी आहुति के साथ पं. नेहरू को संदेश मिला कि चीन युद्ध को समाप्त करने के लिए तैयार हो गया।
मंदिर में परिसर में आज भी उस समय बनाई गई यज्ञशाला है। पीतांबरा पीठ में मां धूमावती का दरबार है। मां धूमावती का देश में एक मात्र मंदिर यहां स्थित है। पीतांबरा पीठ आने वाले श्रद्धालु मां बगुलामुखी के साथ ही मां धूमावती का दर्शन अवश्य करते हैं।