तीन साल से बंद कॉलेज में चल रही थी शराब फैक्टरी, तीन गिरफ्तार

टीम भारत दीप |

20 हजार रैपर, 30 हजार पव्वे, पांच हजार लीटर शराब का घोल एक ड्रम में मिला है। 
20 हजार रैपर, 30 हजार पव्वे, पांच हजार लीटर शराब का घोल एक ड्रम में मिला है। 

यहां तीन साल से बंद पड़े डिग्री कॉलेज में अवैध शराब की फैक्टरी चलती हुई मिली। शराब मंसूरपुर स्थित डिस्टलरी के रैपर लगाकर सप्लाई होती थी। पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर 100 पेटी शराब बरामद की है।

मेरठ।प्रदेश में होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर भले ही तारिख तय नहीं हुई पर चुनाव में खपाने के लिए शराब और हथियार को बड़ी संख्या में तैयार हो रही है। इसकी बानगी गत मे​रठ में ​देखने को मिली।

यहां तीन साल से बंद पड़े डिग्री कॉलेज में अवैध शराब की फैक्टरी चलती हुई मिली। शराब मंसूरपुर स्थित डिस्टलरी के रैपर लगाकर सप्लाई होती थी। पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर 100 पेटी शराब बरामद की है। जबकि पुलिस की पकड़ से मुख्य आरोपी अभी फरार है। 

मेरठ के जानी थानाक्षेत्र के अंतर्गत भोला रोड स्थित पेपला गांव के पास महेंद्र प्रताप डिग्री कॉलेज तीन साल से बंद पड़ा है। बृहस्पतिवार रात मुखबिर की सूचना पर कंकरखेड़ा और जानी पुलिस ने छापामार कार्रवाई की। इस कार्रवाई में शराब की अवैध फैक्टरी चलती मिली।

पुलिस ने तीन आरोपी विकास, भूरा निवासी पेपला और चौकीदार जाकिर को गिरफ्तार किया है। जानकारी के अनुसार  शराब की 100 पेटियों के अलावा मुजफ्फरनगर के मंसूरपुर स्थित डिस्टलरी के नाम के 20 हजार रैपर, 30 हजार पव्वे, पांच हजार लीटर शराब का घोल एक ड्रम में मिला है।

 शराब बनाने का अन्य सामान भी बरामद किया गया। पुलिस ने बताया कि बंद पड़े कॉलेज में नकली शराब बनाने का काम चल रहा था। शराब बनाने का सामान परीक्षितगढ़ और हस्तिनापुर खादर इलाके से सप्लाई हो रहा था।

पंचायत चुनाव के लिए तैयार हो रही थी शराब

डिग्री कॉलेज में भारी मात्रा में यह शराब आगामी पंचायत चुनाव के लिए तैयार हो रही थी। बताया गया कि पिछले दो महीने से शराब की मांग बढ़ रही थी। पंचायत चुनाव के अलावा भी गांव-गांव में शराब बेचने वालों के पास यह शराब जा रही थी।

पुलिस ने तीनों आरोपियों से घंटों पूछताछ की। पुलिस का दावा है कि इस फैक्टरी में एक दर्जन से ज्यादा लोग शराब बनाने का काम करते थे। अब उनकी तलाश शुरू कर दी।ब्रांडेड रैपर लगाकर तैयार करते थे शराब

नकली शराब को तैयार कर उन पर ब्रांडेड रैपर लगाकर सप्लाई करने का काम कॉलेज में चल रहा था। बताया गया कि लॉकडाउन लगने के बाद बंद पड़े कॉलेज में शराब फैक्टरी शुरू की गई। कॉलेज में चौकीदार रहता था, जिससे किसी को आभास भी नहीं हुआ कि अंदर शराब बनाने का काम चल रहा है। चौकीदार भी शराब बनाने के मामले में लिप्त था।


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