बदलते मौसम ने लखनवी आबो-हवा का बिगाड़ा मिजाज़, बरतें ये सावधानी

टीम भारत दीप |

मार्च तक का मौसम रोगियों के लिए काफी सावधानी बरतने वाला होता है।
मार्च तक का मौसम रोगियों के लिए काफी सावधानी बरतने वाला होता है।

बदलते मौसम के बीच राजधानी लखनऊ की हवा में घुल रहा रहे प्रदूषण के जहर से लखनऊ वासियों को तमाम तरह की दिक्‍कतों का सामना करना पड़ रहा है।

लखनऊ। कोरोना संक्रमण काल के बीच प्रदूषण की भी चार गुना मार लखनऊ वासियों को झेलनी पड़ रही है। आम तौर पर वायु गुणवत्‍ता का सूचकांक (एयर क्‍वालिटी इन्‍डेक्‍स) 100 तक सामान्य कहा जाता है। इससे अधिक होने पर प्रदूषण की श्रेणी बढ़ी हुई कही जाती है, लेकिन बीते दिन उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ का वायु गुणवत्‍ता सूचकांक औसत 400 के आसपास रहा। 

जो काफी अधिक है। यानी, लखनऊवासियों पर प्रदूषण की चैगुनी मार पड़ी है। इस विषय में पटेल चेस्‍ट इंस्‍टीट्यूट नई दिल्‍ली के निदेशक, केजीएमयू के पल्‍मोनरी विभागाध्‍यक्ष सहित अनेक राष्‍ट्रीय पदों पर रह चुके तथा वर्तमान में ऐरा मेडिकल यूनिवर्सिटी के पल्‍मोनरी विभाग के अध्‍यक्ष प्रो राजेन्‍द्र प्रसाद का कहना है कि इस तरह का प्रदूषण सामान्‍य तौर पर ही सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक है। 

कोरोना संक्रमण काल चल रहा है तो यह लोगों के लिए और भी घातक हो सकता है। उनके मुताबिक इस मौसम में सीओपीडी, ब्रॉन्‍कल अस्‍थमा, आईएलडी जैसी श्‍वास (पल्‍मोनरी) की बीमारियों वाले रोगियों को अत्‍यन्‍त सावधानी रखने की आवश्‍यकता है। 

इन रोगियों को चाहिए कि अपनी दवायें रेगुलर लेते रहें, अगर किसी वजह से दवा छोड़ दी है तो अपने चिकित्‍सक से सलाह लेकर दवाएं लेना शुरू कर दें अन्‍यथा गंभीर स्थिति में पहुंच सकते हैं, उन्‍होंने कहा कि अब से लेकर मार्च तक का मौसम ऐसे रोगियों के लिए काफी सावधानी बरतने वाला होता है। 

आपको बताते चलें कि इधर बदलते मौसम के बीच राजधानी लखनऊ की हवा में घुल रहा रहे प्रदूषण के जहर से लखनऊ वासियों को तमाम तरह की दिक्‍कतों का सामना करना पड़ रहा है। प्रदूषण के जहर ने लोगों का सही से सांस लेना मुहाल कर रखा है। इसके कारण आंखों में जलन की समस्या भी बढ़ रही है। 

वहीं बढ़ते हुए प्रदूषण को देख नगर निगम प्रशासन ने अपने मुख्‍य अभियान के तहत पेड़ों और सड़कों पर पानी का छिड़काव करवाना शुरू कर दिया है। नगर निगम के मुताबिक पेड़ों पर पानी छिड़काव से हवा में मौजूद कई खतरनाक पदार्थ बैठ जाते हैं जिससे हवा और वातावरण में काफी सुधार हो जाता है।


संबंधित खबरें