लखनऊ:लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान पर मनमानी का आरोप, आधा दर्जन से अधिक कर्मचारियों को अचानक निकाला
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मामले में अब तक मिली जानकारी के मुताबिक हैरत इस बात को लेकर जताई जा रही है कि नए कर्मचारियों को तैनात किए बगैर ही एक फ़र्मासिस्ट, तीन ईसीजी टेक्नीशियन, दो डार्करूम सहायक, एक डेंटल हाइजिनीस्ट, एक लैब टेक्नीशियन और एक नेत्र परीक्षण अधिकारी को कार्यमुक्त किए जाने का आदेश दे दिया गया है।
लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ स्थित डॉक्टर राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान ने अनेक रोगियों की जिंदगी को ताक पर रखते हुए यहां के आधा दर्जन से अधिक कर्मियों को अचानक कार्यमुक्त कर दिया। कहा जा रहा है कि कोरोना संकटकाल में जब अन्य बीमारियों से ग्रसित लोगों के इलाज के लिए भी यूपी सरकार पूरी संवेदना से तैयारियों में लगी है।
तो ऐसे में यूपी सरकार की नाक के नीचे लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के आला अधिकारी सरकार की मंशा के उलट कार्य करने में जुटे हैं। मिली जानकारी के मुताबिक अधिकारियों के तुगलकी फरमान से हृदय, नेत्र व दांत आदि के मरीज भटकने को मजबूर हैं। बताया गया कि अपने नौ कर्मचारियों को कार्यमुक्त करने सम्बंधी जारी पत्र में संस्थान द्वारा कहा गया है,
20 नवम्बर, 2019 के एक आदेश द्वारा डॉ. राम मनोहर संयुक्त चिकित्सालय के उक्त कर्मचारियों को अन्य चिकित्सालयों से संबद्ध किया गया था परन्तु संस्थान के सुचारु रूप से संचालन के लिए उक्त कर्मचारियों को संस्थान से कार्यमुक्त नहीं किया गया था।
मामले में अब तक मिली जानकारी के मुताबिक हैरत इस बात को लेकर जताई जा रही है कि नए कर्मचारियों को तैनात किए बगैर ही एक फ़र्मासिस्ट, तीन ईसीजी टेक्नीशियन, दो डार्करूम सहायक, एक डेंटल हाइजिनीस्ट, एक लैब टेक्नीशियन और एक नेत्र परीक्षण अधिकारी को कार्यमुक्त किए जाने का आदेश दे दिया गया है।
बताया गया कि डॉ. राम मनोहर लोहिया संयुक्त चिकित्सालय एवं डॉ. राम मनोहर आयुर्विज्ञान संस्थान के विलय सम्बंधी प्रक्रिया के समय (वर्ष 2017) से ही वेतन, भत्ते आदि को लेकर पैरा मेडिकल्स कर्मचारियों का एक परिवाद उच्च न्यायालय में लम्बित है।
बताया गया कि कार्यमुक्त हुए कर्मचारियों ने इस आदेश को मानवीय संवेदनाओं के विरुद्ध होने के साथ-साथ, न्याय व्यवस्था का भी अपमान बताया है।