लखनऊ:12वीं की परीक्षा कराने को लेकर निजी स्कूलों ने पीएम को लिखा पत्र, जताई ये चिंता
सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) और सीआईएससीई 12वीं की परीक्षा को रद्द किए जाने का फैसला हो चुका है। मगर निजी स्कूल परीक्षा कराने की जिद पर अड़े हैं। बताया गया कि कोरोना संक्रमण के कम होते ग्राफ के साथ ही उन्होंने परीक्षा को लेकर सरकार से पुनर्विचार किए जाने की मांग शुरू कर दी है।
लखनऊ। 12वीं की परीक्षा को रद् किए जाने के फैसले पर निजी स्कूल संचालकों अब मुखर हो चले हैं। इस बाबत उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। इन स्कूल संचालकों ने छात्रों के भविष्य पर भी चिंता जताई है। जानकारी के मुताबिक सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) और सीआईएससीई 12वीं की परीक्षा को रद्द किए जाने का फैसला हो चुका है।
मगर निजी स्कूल परीक्षा कराने की जिद पर अड़े हैं। बताया गया कि कोरोना संक्रमण के कम होते ग्राफ के साथ ही उन्होंने परीक्षा को लेकर सरकार से पुनर्विचार किए जाने की मांग शुरू कर दी है। बताया गया कि अभी तक कई स्कूल संचालक दबी जुबान से सरकार के इस फ़ैसले पर नाराजगी जाहिर कर रहे थे,
लेकिन अब देश के सबसे बड़े छात्र संख्या बल वाले स्कूल संचालक और शिक्षाविद डॉ. जगदीश गांधी ने मुखर होकर आवाज उठानी शुरू कर दी है। बताया गया कि डॉ. गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर हर हाल में परीक्षा कराए जाने की मांग की है। इस संबंध में उनका तर्क है कि सामान्य छात्र तो इस फैसले से खुश होंगे, लेकिन मेधावी छात्रों के लिए यह निर्णय ठीक नहीं है।
उनके मुताबिक सरकार को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए। वहीं स्कूल संचालकों का मानना है कि सीबीएसई 12वीं की परीक्षाएं रद्द करने का असर स्नातक स्तर पर भी व्यापक रूप से पड़ेगा। बताया गया कि स्नातक स्तर पर अभी तक मेरिट के आधार पर दाखिला लेने वाले शैक्षिक संस्थानों को बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा।
दरअसल शुक्रवार को पीएम को भेजे पत्र में शिक्षाविद डॉ गांधी ने कहा कि बारहवीं के बोर्ड पेपर का कांसेप्ट कुछ इस प्रकार का होता था कि जो छात्र साधारण पढ़ाई करते थे, वो 60% से 80% तक नंबर ले आते थे, इसी आधार पर उनसे अधिक मेहनती छात्र 80 % से 90 % तक नंबर हासिल करने में सफल हो जाते थे। लेकिन मेधावी बच्चों का प्रतिशत 90 से 100 प्रतिशत के बीच माना जाता रहा है।
बताया गया कि परीक्षा रद्द होने की स्थिति में टॉपर बच्चों का कांसेप्ट खत्म हो जाएगा। कहा गया कि देश में कई ऐसे नामी विश्वविद्यालय हैं जो मेरिट के आधार पर छात्रों काे प्रवेश देते थे। ऐसे में उन विश्वविद्यालय के लिए भी ये एक बड़ा झटका हैं। बताया गया कि जैसे दिल्ली विश्वविद्यालय के कई कॉलेज में 99% से 95% के बीच अंक हासिल करने वाले बच्चों का ही दाखिला हो पाता था।
बताया गया कि परीक्षा न होने के कारण अब अलग तरह की मुश्किल खड़ी होगी। वहीं अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष अनिल अग्रवाल ने भी परीक्षाओं को लेकर सरकार से लिए गए निर्णय पर पुनर्विचार की मांग की है। उनके मुताबिक ऐसा लगता है कि शिक्षा हमारी वरीयता सूची में आगे नहीं निचले पायदान पर है।
बताया गया कि चिकित्सकों के मुताबिक कोरोना अभी जाने वाला नही है। ऐसे में आखिर कब तक बोर्ड एग्जाम टाले जाएंगे? इसी तरह लखनऊ अवध कॉलीजिएट के प्रबंधक सरबजीत सिंह के मुताबिक मेधावी बच्चों के लिहाज से यह फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है। इसका असर दूरगामी होगा जो शैक्षिक ढांचे को भी खासा प्रभावित करेगा।
इधर सीबीएसई की रीजनल कोआर्डिनेटर श्वेता अरोड़ा के मुताबिक स्टूडेंट्स की सुरक्षा को वरीयता देते हुए यह कदम उठाया गया है। जो अभी भी बोर्ड एग्जाम देना चाहेंगे उनके लिए रास्ते बंद नही है। बताया गया कि परिस्थितियां अनुकूल होने पर उन्हें आने वाले समय मे जरुर मौका मिलेगा।