लखनऊ:यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम में हुए बदलाव से छात्र संगठन AIDSO नाराज, लगाया ये आरोप

टीम भारत दीप |

सभी को सस्ती, जनवादी वैज्ञानिक व धर्मनिरपेक्ष शिक्षा देना सुनिश्चित करें।
सभी को सस्ती, जनवादी वैज्ञानिक व धर्मनिरपेक्ष शिक्षा देना सुनिश्चित करें।

यूपी बोर्ड इस साल से कक्षा 10 व 12 के अंग्रेजी विषय में एनसीआरटी पाठ्यक्रम को लागू करते हुए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध महान मानवतावादी कवियों एवं लेखकों की कृतियों को पाठ्यक्रम से बाहर कर दिया है, जो शिक्षा व छात्र विरोधी कदम है।

लखनऊ। यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रम में हुए बदलाव से छात्र संगठन AIDSO नाराज है। AIDSO के राज्य सचिव दिलीप कुमार ने कहा कि यूपी बोर्ड इस साल से कक्षा 10 व 12 के अंग्रेजी विषय में एनसीआरटी पाठ्यक्रम को लागू करते हुए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध महान मानवतावादी कवियों एवं लेखकों की कृतियों को पाठ्यक्रम से बाहर कर दिया है, जो शिक्षा व छात्र विरोधी कदम है।

जिसका छात्र संगठन AIDSO कड़े शब्दों में निंदा करते हुए मांग करता है कि उपरोक्त सभी कवियों व लेखकों की कृतियों को यूपी बोर्ड के पाठ्यक्रमों में पुनः उचित जगह दी जाए। उन्होंने आगे कहा कि, बीजेपी की वर्तमान उत्तर प्रदेश सरकार विभिन्न कक्षाओं के पाठ्यक्रमों में बदलाव कर अनैतिहासिक, अवैज्ञानिक व धार्मिक रूढ़िवादी चिंतन को विषयों में शामिल कर रही है।

साथ ही साथ तार्किकता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण व मानवीय मूल्यबोध को बढ़ाने वाले विषय वस्तु को भारतीय गौरव, भारतीय संस्कृति व भारतीय परंपरा की आड़ में पाठ्यक्रमों से हटाने की साजिश लंबे समय से कर रही है, जो बेहद निंदनीय है।

उनके मुताबिक राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 जो कि शिक्षा के निजीकरण, व्यापारीकरण, व्यवसायीकरण व सांप्रदायीकरण का ब्लूप्रिंट है, जिसे रद्द करने की मांग छात्र संगठन- एआईडीएसओ शुरुआत से ही कर रहा है। कहा गया कि इसी शिक्षा नीति के तहत यूपी के पाठ्यक्रमों से रविंद्र नाथ टैगोर की ‘द कमिंग होम’, डा0 एस राधाकृष्णन की ‘द वूमेंस एजुकेशन’, ए.एल.बाशम की ‘द हेरिटेज ऑफ इंडिया’,

सरोजिनी नायडू की ‘द विलेज सान्ग’, आर.के.नारायण की ‘एन एस्ट्रोलाजर्स’, तथा जाॅन मिल्टन, पीबी शेली, सी. राजगोपालाचारी, डब्ल्यू एम रायबर्न व आर. श्रीनिवासन की कृतियों को भी इस पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है। बताया गया कि  भारतीय गौरव व भारतीय संस्कृति की आड़ में अवैज्ञानिक, अनैतिहासिक,

अतार्किक व रूढ़िवादी चिंतन को पैदा करने वाले विषय वस्तु को पाठ्यक्रम में जगह दी जा रही है, जो कि चिंता का विषय है। उनके मुताबिक इससे छात्रों के अंदर मानवीय मूल्यबोध, उच्च मर्यादा बोध , तार्किकता, विश्व बंधुत्व की भावना व वैज्ञानिक सोच पैदा होने वाली संभावना पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी और आने वाली पीढ़ी अंधता के सागर में डूब जाएगी।

जिससे शासक वर्ग भारतीय जनता के ऊपर सालों साल तक अपना दमन चक्र व शोषण जारी रख सकेगा । उन्होंनें ने आगे कहा कि सरकार द्वारा शिक्षा की जनवादी, वैज्ञानिक व धर्मनिरपेक्ष पद्धति पर चोट पहुंचाने की लगातार कोशिश जारी है। इसी क्रम में ही सत्तासीन विभिन्न सरकारें उपरोक्त कदम साजिश के तौर पर उठा रही हैं।

उन्होंने कहा कि छात्र संगठन एआईडीएसओ मांग करता है कि उपरोक्त सभी विश्व विख्यात मानवतावादी कवियों एवं लेखकों को यूपी के पाठ्यक्रमों से हटाने का कुत्सित प्रयास सरकार बंद करें और सभी को सस्ती, जनवादी वैज्ञानिक व धर्मनिरपेक्ष शिक्षा देना सुनिश्चित करें।
 


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