लखनऊ: कोरोना को हराने के लिए नागा साधू आनंद गिरि यूं कर रहे 105 दिन की कठोर सूर्य साधना
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माता बड़ी भुय्यन देवी मंदिर परिसर में माता सेवक तपस्वी नागा साधू आनंद गिरि की 105 दिन की कठोर साधना चल रही है। यह अनुष्ठान उन्होंने 30 मई से आरम्भ किया है, जो 11 सितम्बर तक चलेगा। अनुष्ठान के तहत हठ योग व जप योग के जरिए विश्व कल्याण के लिए की ईश्वर की उपासना की जा रही है।
लखनऊ। भले ही कोरोना की दूसरी लहर की रफ्तार धीमी पड़ गई हो, लेकिन आज भी देश में इसके करीब चालीस हजार से ज्यादा मामले रोजाना सामने आ रहे हैं। कोरोना त्रासदी ने लोगों के जीवन को बूरी तरह प्रभावित किया है। अभी भी तीसरी लहर को लेकर लोगों में भय का माहौल है। वहीं ऐसे तमाम प्रयास किए जा रहे है जिससे कि मानव जीवन पुन: पटरी पर लौट सके।
लेकिन अभी तक यह प्रयास सफल होते नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में विश्व कल्याण की भावना लिए साधू—संत इस भयावह प्रकोप के समाधान के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं। इसी क्रम में देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के आईएमए रोड स्थित बड़ी भुय्यन देवी माता का मंदिर का परिसर तपस्वी—योगी नागा साधू आनंद गिरि महाराज के कठोर तप का साक्षी बना हुआ है।
दरअसल यहां आईएमए रोड के सरौरा में स्थित माता बड़ी भुय्यन देवी मंदिर परिसर में माता सेवक तपस्वी नागा साधू आनंद गिरि की 105 दिन की कठोर साधना चल रही है। यह अनुष्ठान उन्होंने 30 मई से आरम्भ किया है, जो 11 सितम्बर तक चलेगा। अनुष्ठान के तहत हठ योग व जप योग के जरिए विश्व कल्याण के लिए की ईश्वर की उपासना की जा रही है।
कोरोना को हराने तथा विश्व कल्याण निमित्त आरम्भ हुए इस अनुष्ठान को शुरू हुए डेढ माह से अधिक का समय बीत चुका है। इस दौरान कोरोना के कहर की रफ्तार थीमी पड़ने की भी खबरें सामने आ रही है। वहीं 105 दिन के पूरे अनुष्ठान के दौरान तपस्वी नागा साधू आनंद गिरि अन्न ग्रहण नहीं कर रहे हैं।
भोजन से दूर रहकर वह सिर्फ पेय पदार्थ यानि मठ्ठे व अन्य पेय पदार्थ का ही सेवन कर रहे है, वो भी 24 घंटे में सिर्फ एक बार। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि बाबा ने मानव कल्याण को अपना जीवन समर्मित कर रखा है। ऐसे में कठोर तप के द्वारा वह अपने विश्व कल्याण के संकल्प को वह पूर्ण कर रहे हैं।
उनका यह कठोर तप कोरोना जैसी विश्व त्रासदी से विश्व व भारत को उबारने के लिए किया जा रहा है।
जप योग व हठ योग के जरिए ईश्वर से हो रही प्रार्थना
इस पूरे अनुष्ठान के दो चरण हैं। पहला चरण जिसमें हठ योग के लिए सूर्य देव की उपासना की जा रही है। जिसके लिए यहां माटी का एक गोल टीला निर्मित किया गया है, जिसके चारों ओर गड्ढा बनाया गया है। साथ ही इसके चारों ओर उपलों के द्वारा अग्नि जलाई जाती है और तपस्वी नागा साधू आनंद गिरि इसके मध्य में बैठ सूर्य देव से प्रार्थना करते हैं।
यह प्रक्रिया सूर्यदेव की बढ़ती तपिश के साथ तब तक चलती रहती है, जब तक कि सूर्य देव की तपिश अपने चरम से नीचे न उतरने लगे। वहीं अनुष्ठान का दूसरा चरण जप योग का है। यह रात्रि के समय किया जा रहा है। यह रात्रि 2 बजे से आरम्भ होता है। इसमे माता सेवक तपस्वी नागा साधू आनंद गिरि मंत्र जप द्वारा ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं।
नागा साधू आनंद गिरि बताते हैं कि उनका जीवन विश्व कल्याण के लिए समर्पित है। यहां सनातन धर्म की स्थापना ही उनके इस लौकिक जीवन का मुख्य ध्येय है।