लखनऊ:स्कूली सामान खरीदने के लिए अभिभावकों के खातों में आज आएंगे 1100
सरकार ने अभिभावकों को हिदायत दी है कि इन रुपयों के खाते में पहुंचने के इससे सिर्फ बच्चों के यूनिफॉर्म, जूता-मोजा, स्कूल बैग और स्वेटर ही खरीदी जाएं। इस धनराशि से 300 रुपये की दर से दो जोड़ी यूनिफॉर्म खरीदना है।
लखनऊ। योगी सरकार प्रदेश के बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में पढ़ने वाले 1.80 करोड़ छात्रों के अभिभावकों के बैंक खातों में आज डीबीटी के माध्यम से स्कूल यूनिफॉर्म, स्वेटर, जूते, मोजे और बैग आदि खरीदने के लिए 1100 रुपये ट्रांसफर करेगी।
यह जानकारी बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने समाचार एजेंसी एएनआई को को दी। मुख्यमंत्री 6 नवंबर को इस योजना का शुभारंभ करेंगे।
सरकार ने अभिभावकों को हिदायत दी है कि इन रुपयों के खाते में पहुंचने के इससे सिर्फ बच्चों के यूनिफॉर्म, जूता-मोजा, स्कूल बैग और स्वेटर ही खरीदी जाएं। इस धनराशि से 300 रुपये की दर से दो जोड़ी यूनिफॉर्म खरीदना है। 200 रुपये से स्वेटर क्रय करना है। 125 रुपये से जूता-मोजा तथा 175 रुपये से स्कूल बैग खरीदा जाना है।
शासन ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र भेजकर अभिभावकों के खाते में भेजी जाने वाली धनराशि से बच्चों के उल्लिखित सामान खरीदने का निर्देश दिया है। धनराशि प्राप्त होने के एक सप्ताह में अभिभावकों को यूनिफॉर्म, स्वेटर, जूता-मोजा और स्कूल बैग क्रय कर लेने का निर्देश दिया गया है।
आज शाम को होगा आयोजन
इस संबंध में राज्य भर के बेसिक शिक्षा अधिकारियों को सरकार की ओर से सूचित किया जा चुका है। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज शाम को अभिभावकों के खातों में राशि ट्रांसफर करेंगे।
इस बारे में शिक्षा विभाग की ओर से बुधवार की रात को सूचना प्रेषित की गई है जिसके बाद स्थानीय स्तर पर प्रशासन सक्रिय हो गया है। बताया गया है कि शनिवार छह नवंबर को मुख्यमंत्री शाम पांच बजे डीबीटी के लिए बटन दबाएंगे।
स्कूल बैग, स्वेटर, यूनीफॉर्म और जूता-मोजा का रंग और डिजाइन पिछले वर्ष वितरित हुए सामान की तरह ही होगा। हालांकि, शासन की ओर से बताई गई धनराशि में यह सामान खरीद पाना टेढ़ी खीर है।
125 रुपये में जूता-मोजा क्रय करना और 175 में स्कूल बैग क्रय कर पाना मुश्किल काम है। आपकों बता दें कि सरकार ने इस बार पायलट प्रोजेक्ट के तहत इस योजना की शुरूआत की है, इससे एक साथ बच्चों के अभिभावकों के खातें में रुपये पहुंच जाएंगे। पहले बच्चों को स्कूलों के माध्यम से सामान बांटे जाते थे, इसमें काफी देर और कमीशनखोरी होने लगती थी।
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