स्वतंत्रता दिवस पर गीतकार प्रसून जोशी का गीत पढ़ने में अब न करें देर
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आपका देश आप से क्या उम्मीद कर रहा है और आपको किस प्रकार अपने देश के लिए जुट जाना है, इसे गीतकार और सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने अपने शब्दों में पिरोया है।
साहित्य डेस्क। भारत आज अपना 74वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। आजादी को लेकर हुए प्रयासों की यादें इतनी हैं कि 74 साल बाद भी सब कुछ कल ही हुआ सा लगता है। इसी के साथ हमें अपने सपनों का नया भारत भी बुनना है।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को आत्मनिर्भर भारत का मंत्र दिया है। आज लाल किले से अपने भाषण में उन्होंने कहा कि अगर आपदा है तो भारत के पास उसके करोड़ों समाधान भी हैं।
तो आपका देश आप से क्या उम्मीद कर रहा है और आपको किस प्रकार अपने देश के लिए जुट जाना है, इसे गीतकार और सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष प्रसून जोशी ने अपने शब्दों में पिरोया है। स्वतंत्रता दिवस पर उनके गीत के ये अंश हमें बड़ा संदेश दे रहे हैं-
माटी की ये पुकार है तू देर ना कर
रचना नया संसार है तू देर ना कर
अग्नि का सितार है
धधक रहा विचार है
निर्णयों को गीत कर
कर्म को संगीत कर
नींद की सुरंग में
खो ना जाए रोशनी
हिला हिला जगा जगा
सो न जाए रोशनी
कोयलों को दे पटक
अटक न जाए रोशनी
खंडहर की टूट में
भटक ना जाए रोशनी
रस्सियों में आँधियाँ हैं खोल दे
मौन क्यों है आज विजय बोल दे
संकल्प तो तैयार है तू देर ना कर
रचना नया संसार है तू देर ना कर
माटी की ये पुकार है तू देर ना कर
(प्रसून जोशी के एक नए गीत के कुछ अंश विशेष रूप से इस स्वतंत्रता दिवस पर)
साभार- यह गीत प्रसून जोशी के आधिकारिक फेसबुक पेज से लिया गया है।