मैनपुरी: हेलमेट के भीतर भी मास्क लगाने पर किया सवाल तो दरोगा साहब ने काट दिया 8500 रूपये का चालान

टीम भारत दीप |
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कानून का पालन कराने वालों को कानून का मर्म भी समझना होगा।
कानून का पालन कराने वालों को कानून का मर्म भी समझना होगा।

उन्होंने हेलमेट लगाए जाने के बावजूद दरोगा साहब द्वारा मास्क के लिए टोकने पर सवाल पूछ लिया। इस पर तमतमाए दरोगा साहब ने साफ कह दिया कि तेरा तो चालान जरूर कटेगा। अब कुछ भी हो जाए। इस दरम्यान संकल्प दुबे दरोगा साहब को लाख समझाते रहे, लेकिन दरोगा साहब को तो वर्दी का भूत सवार था। सो कई चीजों का एक साथ चालान ठोंक दिया।

मैनपुरी। कोरोना के बढ़ते कहर के बीच व्यवस्थाएं पूरी तरह से पटरी से उतरी हुईं है। लोग हर तरह से परेशान है। इस बीच पुलिसिया उत्पीड़न भी अपने चरम पर पहुंच गया है। ताजा मामला यूपी के मैनपुरी से सामने आया है।

जानकारी के मुताबिक चुनाव ड्यूटी में लगे पीठासीन अधिकारी संकल्प दुबे का महज इस बात पर दरोगा ने चालान काट दिया कि उन्होंने हेलमेट लगाए जाने के बावजूद दरोगा साहब द्वारा मास्क के लिए टोकने पर सवाल पूछ लिया। इस पर तमतमाए दरोगा साहब ने साफ कह दिया कि तेरा तो चालान जरूर कटेगा। अब कुछ भी हो जाए।

इस दरम्यान संकल्प दुबे दरोगा साहब को लाख समझाते रहे, लेकिन दरोगा साहब को तो वर्दी का भूत सवार था। सो कई चीजों का एक साथ चालान ठोंक दिया। मामले को लेकर यूपी पंचायत चुनाव में ड्यूटी दे रहे संकल्प दुबे (शिक्षक) पीठासीन अधिकारी ने बताया कि वह शनिवार शाम सरकारी काम से जा रहे थे।

इस दौरान रास्ते में चेकिंग कर रहे दरोगा विवेक तोमर ने उन्हें रोक लिया। इस दौरान संकल्प दुबे हेलमेट लगाए हुए थे। बकायदा हेलमेट के शीशे से चेहरा भी पूरी तरह कवर था। इसके बाद दरोगा ने उनसे मास्क के लिए पूंछा।  दुबे बड़े ताज्जुब में पड़ गए। उन्होंने जेब से मास्क निकालते हुए दिखाया और कहा भाई साहब हेलमेट से चेहरे व मुंह पूरी तरह कवर है।

हेलमेट उतारने पर मास्क भी लगा लेता हूं। बस इतने में क्या था। बस इसी बात पर दरोगा की भवें तन गई। उनका पारा मानो सातवें आसमान पर पहुंच गया कि आखिर कोई उनसे सवाल कैसा कर सकता है। उन्होंने दुबे को हड़काते हुए कहा कि अब तू देख। तेरा तो चालान जरूर कटेगा।

इसके बाद तो उन्होंने इंशोरेंश, रॉन्ग साइड, आरसी आदि न जाने किस—किस जुर्म में उनका चालान करते हुए 8500 का जुर्माना ठोंक दिया। अब ऐसे में सवाल उठता है कि एक तरह तो कोरोना के बढ़ते कहर के बीच चुनाव ड्यूटी में लगे कर्मचारी पहले ही इस माहामारी से भयांक्रांत हैं।

उस पर इस तरह मानसिक व आर्थिक शोषण कहीं उसकी सेहत पर गहरा प्रभाव न डाल दें। ये कोई एक मामला नहीं हैं। कानून का पालन कराने वालों को कानून का मर्म भी समझना होगा। आए दिन इस तरह के बढ़ते पुलिसिया शोषण से आम आदमी आक्रोशित है। ऐसे में शासन प्रशासन को इस ओर जरूर सोचना चाहिए।

कहीं ऐसा न हो कि इस विकट परिस्थिति में आम आदमी का सब्र टूट जाए। यदि ऐसा हो गया तो स्थितियां किसी के संभाले न संभल पाएंगी। ऐसे में शासन—प्रशासन को इस ओर कठोर कदम उठाने चाहिए जिससे कि कानून का पालन भी हो और आम आदमी पुलिसिया शोषण से भी बच सके।
 


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