मैनपुरी: चार किमी के अंतर पर हुआ बच्चे का पुनर्जन्म, आठ साल बाद पहुंचा अपने घर, जानिए आगे की कहानी
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मैनपुरी में गुरुवार को दोपहर तीन बजे के करीब। नगला सलेही से करीब चार किलोमीटर दूर स्थित नगला अमर सिंह निवासी रामनरेश शंखवार अपने आठ वर्षीय पुत्र चंद्रवीर को लेकर प्रमोद कुमार के घर के बाहर पहुंचे। चंद्रवीर दौड़कर प्रमोद के घर में घुस गया। उस समय प्रमोद और उनकी पत्नी ऊषा घर में नहीं थे। कुछ देर में ही प्रमोद और ऊषा आ गए।
मैनपुर। अभी तक फिल्मों में पुनर्जन्म की खूब कहानी देखने को मिलती रही, लेकिन गुरुवार को यूपी के मैनपुरी जिले में पुनर्जन्म की कहानी हकीकत में बदल गई। जिसे देखकर हर कोई हैरान हो गया। मैनपुरी में आठ साल के बच्चे की कहानी सुनेंगे तो आप भी पुनर्जन्म को मानने लगेंगे।
यहां आठ साल पहले नहर में डूबने से मृत बालक ने पूर्व जन्म के माता-पिता समेत गांव के अन्य लोगों को पहचाना तो हर किसी की आंख आश्चर्य से भर गई। वहीं आठ साल पहले अपने बेटे को खोने वाले दंपती की आंखों से आंसू टपकने लगे।बच्चे चंद्रवीर ने जैसे ही कहा कि वो उनका बेटा रोहित है, दंपती ने उसे बांहों में भर लिया।
मैनपुरी में गुरुवार को दोपहर तीन बजे के करीब। नगला सलेही से करीब चार किलोमीटर दूर स्थित नगला अमर सिंह निवासी रामनरेश शंखवार अपने आठ वर्षीय पुत्र चंद्रवीर को लेकर प्रमोद कुमार के घर के बाहर पहुंचे। चंद्रवीर दौड़कर प्रमोद के घर में घुस गया।
उस समय प्रमोद और उनकी पत्नी ऊषा घर में नहीं थे। कुछ देर में ही प्रमोद और ऊषा आ गए। चंद्रवीर ने मम्मी-पापा कहते हुए दोनों के पैर छुए। बताया कि वह उनका बेटा रोहित है तो दंपती हैरान रह गए।
जिस बेटे का अंतिम संस्कार उन्होंने आठ साल पहले खुद किया था, वह सामने कैसे हो सकता है? चंद्रवीर ने बताया कि यह उसका दूसरा जन्म है। चंद्रवीर की बात सुनकर दंपती की आंखों से आंसू आ गए। उसे सीने से लगा लिया।
छह साल की उम्र से कर रहा था जिद्द
पिता रामनरेश ने बताया कि चंद्रवीर का जन्म 30 जून 2013 को हुआ। दो वर्ष की उम्र में ही वो बोलने लगा। तभी नगला सलेही का नाम लेने लगा था। छह साल की उम्र में चंद्रवीर नगला सलेही जाने की जिद करने लगा। वो अक्सर अपने पूर्व जन्म की घटना सुनाता था। बाल हठ देख गुरुवार को चंद्रवीर को लेकर नगला सलेही पहुंच गए।
शिक्षक को देखते ही छू लिए पैर
प्रमोद कुमार के बेटे के पुनर्जन्म की कहानी सुनकर उनके घर के बाहर काफी भीड़ जुट गई। यह देखकर प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक सुभाष चंद्र यादव भी आ गए। उन्हें देखते ही चंद्रवीर ने गुरुजी कहते हुए उनके पैर छू लिए। इतना ही नहीं, चंद्रवीर ने गांव के अन्य लोगों को भी पहचान कर उनके नाम बताए। उसने विद्यालय पहुंचकर अपना क्लास रूम भी पहचान लिया।
चंद्रवीर ने कुछ दिन अपने पूर्व जन्म के माता-पिता के साथ रहने की इच्छा जताई। प्रमोद और उनकी पत्नी भी चंद्रवीर को कुछ दिन अपने साथ रखना चाहती थीं। लेकिन चंद्रवीर के पिता रामनरेश इसके लिए तैयार नहीं थे। गांव के लोगों के समझाने पर रामनरेश ने वादा किया कि वह बेटे को समय-समय पर यहां लाते रहेंगे।
वहीं इस विषय में मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय, आगरा के डॉक्टर दिनेश राठौर का कहना है कि एक थ्योरी, पुनर्जन्म को सही मानती है और इसी पर पास्ट लाइफ थैरेपी काम करती है। जबकि दूसरी थ्योरी पुनर्जन्म को नहीं मानती है, इसके अनुसार बच्चा बोलने से पहले समझना शुरू कर देता है।
उसके आसपास जो भी घटनाक्रम हो रहे हैं, अपने स्वजन और अन्य माध्यम से जो बातें सुनते हैं वह अचेतन मन में रहती हैं। इससे कई बार बच्चे उन घटनाक्रमों को जोड़कर बातें बताने लगते हैं और इसे पुर्नजन्म समझ लिया जाता है।
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