ग़म के महीने मोहर्रम की शुरुआत, आनलाइन होंगी म​जलिसें, दूरदर्शन पर भी कवरेज

टीम भारत दीप |
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वहीं सरकार ने किसी भी तरह के जुलूसों पर पाबंदी लगा दी है तो लिहाज़ा जुलूस का आयोजन नहीं हो सकेगा।
वहीं सरकार ने किसी भी तरह के जुलूसों पर पाबंदी लगा दी है तो लिहाज़ा जुलूस का आयोजन नहीं हो सकेगा।

हालांकि पिछले वर्षों की तरह इस बार मोहर्रम पर कोरोना वायरस के चलते काफ़ी असर पड़ा है। मोहर्रम तो हो रहा है लेकिन इस बार काफ़ी कुछ बदला—बदला नज़र आ रहा है।

लखनऊ। मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों की याद में मनाए जाने वाले मोहर्रम का चांद होते ही ग़म के महीने का आग़ाज़ हो गया है। हालांकि पिछले वर्षों की तरह इस बार मोहर्रम पर कोरोना वायरस के चलते काफ़ी असर पड़ा है। मोहर्रम तो हो रहा है लेकिन इस बार काफ़ी कुछ बदला—बदला नज़र आ रहा है।

गौरतलब है कि आमतौर पर मोहर्रम का चांद दिखते ही इमामबाड़े और घरों में फर्शे अज़ा बिछ जाती है और सैकड़़ों लोगों की भीड़ वहां इकट्ठा रहती है। चांद रात वाले ही दिन इमाम चौक पर महिलाएं चूड़ियां बढ़ा देती हैं और दो महीना आठ दिन इससे दूर रहती हैं।इसी तरह घर—घर मजलिसें और रोड पर जुलूसों का सिलसिला शुरू हो जाता था। 

इस बार काफ़ी कुछ बदल गया। इमामबाड़े ज़रूर सजाए गए हैं लेकिन सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक ही मोहर्रम का ग़म मनाया जाएगा। लोगों को समाजिक दूरी का पालन करते हुए मोहर्रम की मजलिसों में शिरकत करनी पड़ेगी। वहीं सरकार ने किसी भी तरह के जुलूसों पर पाबंदी लगा दी है तो लिहाज़ा जुलूस का आयोजन नहीं हो सकेगा।

लखनऊ में मोहर्रम के दौरान कई बड़ी म​जलिसों का आयोजन होता है। यहां शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद, आगा रूही, मीसम अब्बास समेत तमाम मौलाना लाखों के मजमे में मजलिस को ख़ेताब करते हैं। हालांकि इस बार यहां मजलिसों की इजाज़त ही नहीं मिली है। ऐसे में गुफरान माब समेत कई इमामबाड़े सूने नज़र आ रहे हैं।

वहीं कुछ शहरों में लोगों ने अज़ादारी को सरकार की गाइडलान के मुताबिक ही करने का फ़ैसला किया है। इसके लिए काफ़ी तैयारी की गई है। वाराणसी से सटे जौनपुर ज़िले की ही बात कर लें तो यहां पर अधिकतर मजलिसें आनलाइन होंगी। समाजिक दूरी का पालन करते हुए घर से मजलिसों का लाइव टेलिकास्ट किया जा रहा है। 

मसलन इंटरनेशनल इस्लामिक नेटवर्क यू ट्यूब चैनल पर 10 दिन शाम में आठ बजे से मजलिसें लाइव होंगी। फाउंडर ख़ादिम अब्बास ने बताया कि जहां—जहां जुलूस होते थे और इस बार नहीं होगा। टीम वहां जाएगी और उन इमामबाड़ों का लाइव कवरेज करेगी, ताकि लोगों को कम से कम पिछले साल वाली कुछ तो बात नज़र आए। 

हालांकि दस मोहर्रम यानि यौमे आशूरा के दिन शिया उलमा सरकार से कुछ ढील की लगातार मांग कर रहे हैं। शिया उलमा कल्बे जव्वाद और आल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता यासूब अब्बास समेत तमाम लोग इसी कोशिश में जुटे हैं। यासूब अब्बास ने पीएमओ में भी बात कर उस दिन ढील की मांग की है। 

वहीं सरकार की ओर से लखनऊ में होने वाली कई मजलिसों का लाइव कवरेज दूरदर्शन और डीडी उर्दू पर प्रसारित की जाएंगी। हालांकि मुंबई की मुगल मस्जिद से होने वाली मजलिस जो रात में नौ बजे से होती। इसका सीधा प्रसारण ज़ैनबिया और विन चैनल पर होगा।
 


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