यूपी के सीएम बनते—बनते चूक गए थे सिन्हा, अब हाथ में आ गया कश्मीर

टीम भारत दीप |
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मोदी कश्मीर में तमाम मुद्दों को अपने हिसाब से डील करना चाह रहे हैं।
मोदी कश्मीर में तमाम मुद्दों को अपने हिसाब से डील करना चाह रहे हैं।

हालांकि ऐन वक़्त पर बाज़ी ऐसी पलटी कि मनोज सिन्हा की जगह योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री का चेहरा चुन लिए गए।

नई दिल्ली। यूपी विधानसभा चुनाव में जब नतीजे बीजेपी के पक्ष में रहे तो तेज़ी के साथ मुख्यमंत्री के नाम की चर्चा गर्म हो गई। मीडिया से लेकर राजनीतिक पंडितों ने ये कयास लगाना शुरू कर दिया कि पीएम नरेंद्र मोदी के विश्वस्त मनोज सिन्हा सीएम बनने जा रहे हैं। हालांकि ऐन वक़्त पर बाज़ी ऐसी पलट गई और मनोज सिन्हा की जगह योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री चुन लिए गए। 

हालांकि अब पूर्व रेल राज्य मंत्री मनोज सिन्हा को जम्मू-कश्मीर का नया उपराज्यपाल बना दिया गया है। राजनीतिक गलियारों में उनकी इस नियुक्ति को एक अलग नज़रिये से देखा जा रहा है। शायद प्रधानमंत्री ख़ुद कश्मीर के मामले को अपने स्तर से देखना चाह रहे हैं। मनोज सिन्हा उनके क़रीबी हैं और ऐसे में उनका उपराज्यपाल बनाया जाने से ये समझ आ रहा है कि मोदी कश्मीर में तमाम मुद्दों को अपने हिसाब से डील करना चाह रहे हैं। 

गौरतलब है कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में रेल राज्य मंत्री और संचार राज्य मंत्री रह चुके सिन्हा पिछले साल गाजीपुर सीट से लोकसभा चुनाव हार गए थे। इस वजह से उन्हें केंद्र में कोई ज़िम्मेदारी भी नहीं मिली थी। हालांकि ये कयास लगाया जा रहा था कि उन्हें राज्यसभा भेजकर कोई मंत्री पद दिया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ था। इसके अलावा यूपी में 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद उनका नाम मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में तेजी से उछला था। तब पार्टी में बगावत जैसी स्थिति अगर पैदा नहीं होती, तो वे यूपी के मुख्यमंत्री पद के लिए मोदी की पहली पसंद थे। 

मनोज सिन्हा को पहले यूपी का मुख्यमंत्री पद न मिलना और मोदी लहर के बावजूद लोक सभा चुनाव हार जाना राजनीतिक गलियारे में इसकी बहुत चर्चा थी। क्योंकि शायद ही कोई सोच रहा होगा कि वह चुनाव हार जाएंगे क्योंकि गाज़ीपुर में उन्होंने काफ़ी विकास भी किया था। अब उन्हें उप राज्यपाल बनाकर कश्मीर भेजा रहा है।

ऐसे में उनके सामने भी कई चुनौतिया होंगी। एक तो उन्हें पीएम को सटिसफाइ करना होगा। दूसरे कश्मीर की जनता में भी विश्वास जगाना होगा। जम्मू कश्मीर में के लोग चाहते हैं कि वहां उनका वजूद कायम रहे। एक बड़ी आबादी यह चाहती है कि उनका शेष भारत से जुड़ाव रहे। वह जुड़ाव राजनीतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक क्षेत्र में हो सकता है। 
 


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