नए बदलाव की सालगिरह पर ‘विकास पुरुष‘ के हाथ में जम्मू-कश्मीर की बागडोर
धोती-कुर्ता पहनने वाले आइआइटियन मनोज सिन्हा के लिए जम्मू-कश्मीर एक नए प्रोजेक्ट की तरह है। वहीं केंद्र शासित प्रदेश भी अपने इस ‘विकास पुरुष‘ उम्मीदे लगाए है।
नई दिल्ली। धारा 370 हटने के 1 साल और केंद्र शासित प्रदेश बनने के 10 महीने के भीतर ही जम्मू और कश्मीर को दूसरा उपराज्यपाल मिल गया है। 5 अगस्त को उपराज्यपाल गिरीश चंद मुर्मू के इस्तीफे की खबरें आईं और 6 अगस्त को बीजेपी नेता मनोज सिन्हा की नए एलजी के रूप में ताजपोशी हो गई।
धोती-कुर्ता पहनने वाले आइआइटियन मनोज सिन्हा के लिए जम्मू-कश्मीर एक नए प्रोजेक्ट की तरह है। वहीं केंद्र शासित प्रदेश भी अपने इस ‘विकास पुरुष‘ उम्मीदे लगाए है।
गौरतलब हो कि बीते साल 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर राज्य से धारा 370 और अनुच्छेद 35ए को समाप्त कर दिया था। इसके बाद सरकार ने जम्मू और कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया।
इसी के साथ जम्मू और कश्मीर के पहले उपराज्यपाल के रूप में आईएएस अधिकारी गिरीश चंद्र मुर्मू की तैनाती 31 अक्टूबर 2019 को हुई। इसी दिन लद्दाख की जिम्मेदारी राधाकृष्ण माथुर को सौंपी गई।
अब एक साल से भी कम समय में जम्मू और कश्मीर के उपराज्यपाल के इस्तीफे की खबरों ने अचानक देश की राजनीति में सनसनी मचा दी। हालांकि अंदरखाने की खबर ये भी आई कि मुर्मू को अब देश के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक यानी कैग की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है।
इसी के साथ घोषणा हुई कि भाजपा नेता मनोज सिन्हा जम्मू कश्मीर के नए उपराज्यपाल होंगे। मनोज सिन्हा नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में दूरसंचार मंत्री भी रहे। दुर्भाग्य से उनके चुनाव हार जाने के कारण इस बार सरकार से बाहर होना पड़ा।
शायद पिछली सरकार में उनके गुडवर्क का ही परिणाम रहा कि अब भाजपा के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट जम्मू और कश्मीर पर काम करने की जिम्मेदारी सिन्हा को मिली है। गाजीपुर के रहने वाले मनोज सिन्हा को उनके समर्थक विकास पुरुष के नाम से बुलाते हैं।
उनकी सादगी की मिसाल ये है कि आईआईटी बीएचयू से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक और एमटेक करने के बाद भी वे पारंपरिक भारतीय परिधान धोती-कुर्ता में दिखाई देते हैं। गाजीपुर की हाईप्रोफाइल सीट से वे तीन बार भाजपा के सांसद बन चुके हैं।
मोदी 1.0 में मनोज सिन्हा ने पहले रेल राज्यमंत्री के रूप में अपनी कार्यकुशलता का परिचय दिया। इसके बाद दूरसंचार मंत्रालय का जिम्मा संभालते ही नरेंद्र मोदी के डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने में अहम भूमिका निभाई।
सिन्हा की कार्यकुशलता के कारण ही यूपी के चुनाव परिणाम के बाद उनका नाम मुख्यमंत्री की रेस में भी आया लेकिन पार्टी ने शायद उनके लिए बड़ी जिम्मेदारी तय कर रखी थी। जम्मू-कश्मीर में एक साल से हुए प्रशासनिक बदलाव के बाद उसके विकास की जिम्मेदारी सिन्हा के कंधों पर ही होगी।