बजट को कईयों ने सराहा तो कई बोले, देश बेचने की राह पर भाजपा सरकार

भारत दीप टीम |

विपक्षी दलों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
विपक्षी दलों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।

कोरोना संकटकाल के दौर में जूझती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार की तरफ से इस बजट में कई बड़े ऐलान किए हैं। तो वहीं इस दौर में आर्थिक तंगी से जूझती जनता की आश शायद इस बजट में परवान नहीं चढ़ सकी। कुछ मिलाकर यह बजट थोड़ी खुशी,थोड़ा गम वाला बताया जा रहा है।

लखनऊ। मोदी सरकार ने सोमवार को सदन में आम बजट—2021 पेश किया। कोरोना संकटकाल के दौर में जूझती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए सरकार की तरफ से इस बजट में कई बड़े ऐलान किए हैं। तो वहीं इस दौर में आर्थिक तंगी से जूझती जनता की आश शायद इस बजट में परवान नहीं चढ़ सकी। कुछ मिलाकर यह बजट थोड़ी खुशी,थोड़ा गम वाला बताया जा रहा है। जहां सत्ता पक्ष इसे आम आदमी की आकांक्षाओं को पूरा करने वाला बजट बताया रहा है। तो विपक्ष इसे आम जनमानस के लिए निराशाजनक बजट बता रहा है। इससे पहले आज सोमवार को भारत सरकार की वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण नेअपना तीसरा बजट संसद में पेश किया। भाजपा और एनडीए के अन्‍य घटक दलों ने जहां बजट को आम आदमी की आकांक्षाओं पर खरा बताया है वहीं विपक्षी दलों ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।

खेती—किसानी, युवाओं व बेरोजगारों के लिए कुछ नहीं: अखिलेश
समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष व पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव ने मोदी सरकार के बजट पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस बजट ने उन सभी प्रदर्शनकारी किसानों को क्या दिया। अखिलेश ने कहा कि भाजपा हमेशा कहती थी कि वो सभी की आय दोगुनी करेगी। क्या इस बजट से किसानों की आय दोगुनी हो रही। उन्होंने कहा कि हमारे युवा जो पढ़ाई करना चाहते हैं उनके लिए काम, रोजगार के लिए इस बजट में क्या व्यवस्था की गई है। क्या इनको रोजगार मिलेगा। बजट जारी होने से पहले अखिलेश यादव ने कहा था कि भाजपा सरकार से बस इतनी गुजारिश है कि वो इस बार बजट में हमारे देश की एकता, सामाजिक सौहार्द, किसान-मज़दूर के सम्मान, महिला-युवा के मान और अभिव्यक्ति की आज़ादी की पुनर्स्थापना के लिए भी कुछ प्रावधान करे। क्योंकि भाजपा की विघटनकारी नीतियां ये सभी को बहुत खंडित कर चुकी हैं।

मोदी सरकार के खोखले दावों से थक चुकी है जनता:मायावती
बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी बजट को लेकर केन्द्र सरकार से ट्वीट के जरिए कई सवाल किए। बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोमवार को बजट पेश होने के बाद ट्वीट किया। जिसमें उन्होंने लिखा कि संसद में आज पेश केन्द्र सरकार का बजट पहले मंदी और वर्तमान में कोरोना प्रकोप से पीड़ित देश की बिगड़ी अर्थव्यवस्था को संभालने तथा यहां की अति-गरीबी, बेरोजगारी और महंगाई आदि की राष्ट्रीय समस्या को क्या दूर कर पाएगा? संसद में आज पेश केन्द्र सरकार का बजट पहले मन्दी व वर्तमान में कोरोना प्रकोप से पीड़ित देश की बिगड़ी अर्थव्यवस्था को संभालने तथा यहाँ की अति-गरीबी, बेरोजगारी और महंगाई आदि की राष्ट्रीय समस्या को क्या दूर कर पाएगा? इन्हीं आधार पर सरकार के कार्यकलापों और इस बजट को भी आंका जाएगा। मायावती ने कहा कि देश के करोड़ों गरीब, किसान और मेहनतकश जनता केन्द्र और राज्य सरकारों के अनेकों प्रकार के लुभावने वायदे, खोखले दावों और आश्वासनों आदि से काफी थक चुकी है। उनका जीवन लगातार त्रस्त है। सरकार अपने वायदों को जमीन हकीकत में लागू करे तो यह बेहतर होगा।

जनता की आशाओं के साथ धोखा : अनिल दुबे
लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे ने केन्द्रीय बजट को किसान और जनविरोधी बजट बताया। उन्होंने कहा कि यह बजट देश में कर्ज व मंहगाई बढाने का काम करेगा। उन्होंने बजट पर प्रतिक्रिया देते हुये कहा कि देश के लोंगो को बजट से बहुत उम्मीद थी यह बजट लोगों की क्रय शक्ति और रोजगार में वृद्वि करने का काम करेगा लेकिन बजट से देश् के मध्य वर्ग किसान और वंचित तबके को निराशा हुयी है। श्री दुबे ने डीजल और पेट्रोल पर अतिरिक्त भार लगाने को किसान विरोधी बताते हुये कहा कि इससे लगता है कि सरकार किसानों से ट्रैक्टर रैली का बदला लेने का काम कर रही है। आयकर में रिटर्न दाखिल करने में वरिष्ठ नागरिकों को मिली छूट की सीमा को 75 वर्ष से घटाकर 60 वर्ष किया जाना और बजट में रोजगार के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गयी है। देश में रोजगार को लेकर युवाओं को लेकर इस बजट से बड़ी उम्मीद थी लेकिन इस बजट में युवाओं को निराशा ही हाथ लगी है।

बजट में सभी वर्गों का रखा गया ख्याल: मुकेश शर्मा
भाजपा महानगर अध्यक्ष,लखनऊ मुकेश शर्मा ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह बजट समाज के प्रत्येक वर्ग की अपेक्षाएं पूर्ण करने वाला है। कोविड वैक्सीनेशन के लिये 35000 करोड़ की व्यवस्था एवं स्वास्थ्य बजट में 137 फीसदी की बढ़ोत्तरी से स्वास्थ सेवाओं का जनता को बहुत लाभ मिल सकेगा। वहीं उज्जवला गैस के नये एक करोड़ लाभार्थियों को लाभ दिया जाना भी सराहनीय कदम है। 75 वर्ष की आयु से ऊपर के वरिष्ठ नागरिकों को टैक्स से मुक्त रखना भी उचित कदम है। राष्ट्रीय राजमार्गों के लिये 3.3 लाख रूपये खर्च पर 8500 किलोमीटर सड़कों के निर्माण का प्रावधान करके इन्फ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा दिया गया है।

सार्वजनिक संपत्तियों को बेंचने व निजीकरण की ओर सरकार : लल्लू
यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार 'लल्लू' ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मैं देश नहीं बिकने दूंगा के नारे के साथ सत्ता में आयी केन्द्र की भाजपा सरकार आज सार्वजनिक सम्पत्तियों को बेंचने व निजीकरण करने की दिशा में और आगे बढ़ गयी। भाजपा सरकार का यह कदम निश्चित रूप से देश को आर्थिक रूप से कमजोर एवं खोखला बनाने की दिशा में ले जाने वाला कदम है। उन्होंने ने कहा कि भाजपा सरकार देश के सम्मान व स्वाभिमान के साथ लगातार खिलवाड़ कर रही है। जिन सार्वजनिक सम्पत्तियों को लम्बे दौर के बाद स्थापित किया गया था। उन्हें फायदे में रहने के बावजूद अपने चहेते उद्योगपति मित्रों के हवाले किया जा रहा है। कोरोना महामारी के बाद जहां यह उम्मीद की जा रही थी कि एमएसएमई, बंद चीनी मिलें, कानपुर का चमड़ा उद्योग, बुनकर, कार्पेट उद्योग, फिरोजाबाद के चूड़ी उद्योग, मुरादाबाद का पीतल उद्योग, सहारनपुर के लकड़ी उद्योग, मेरठ के स्पोर्ट्स से जुड़े कारोबार, कृषि क्षेत्र को आर्थिक पैकेज दिये जायेंगे और इन क्षेत्रों से जुड़े लोगों को बजट से काफी उम्मीदें थीं। परन्तु हर बार की भांति इस बार भी इन क्षेत्रों से जुड़े लोगों को सिर्फ निराशा ही हाथ लगी है। पैकेज के बजाए ऋण की व्यवस्था जले पर नमक छिड़कने जैसा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि केन्द्रीय बजट के माध्यम से एयरपोर्ट, रेल, गोदाम, बंदरगाह, सड़क, बिजली ट्रान्समिशन लाइन, भेल आदि सार्वजनिक उपक्रमों को बेंचने या निजीकरण करने की केन्द्र सरकार की तैयारी निश्चित रूप से दुर्भाग्यपूर्ण है और देश को गर्त में ढकेलने वाला कदम है। पेट्रोल और डीजल की कीमतें पहले से ही ऐतिहासिक उच्च स्तर पर हैं जिससे मंहगाई बेलगाम है और आम आदमी की कमर तोड़ने वाली साबित हो रही थी। इस बजट में उसे राहत देने के बजाए पेट्रोल और डीजल पर क्रमशः 2.50रूपये और 4 रूपये का सेस लगाया गया है जो आने वाले समय में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से आम जनता पर ही बोझ डालने वाला है। इस आम बजट से सरकारी कर्मचारियों एवं मध्यमवर्गीय प्रत्यक्ष करदाताओं को जहां टैक्स में छूट मिलने की उम्मीद थी। वह धूलधूसरित हो गयी। उन्होंने बजट को निराशाजनक बताते हुए कहा कि देश के आत्मसम्मान के प्रति खिलवाड़ और आर्थिक रूप से कमजोर एवं खोखला करने वाला, किसानों, गरीबों, मजदूरों, मध्यम वर्ग, सरकारी कर्मचारी, बेरोजगार, युवाओं सहित दलित, पिछड़ों के हितों पर कुठाराघात करने वाला बजट है।

 


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