अयोध्या के बाद अब मथुरा में ‘भगवान श्रीकृष्ण विराजमान‘ की ओर से वाद दायर
इसमें कहा गया है कि मंदिर की एक-एक इंच भूमि भी पवित्र है और भगवान कृष्ण के भक्त व हिंदू समाज के लोग उसमें आस्था रखते हैं।
मथुरा। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के पक्ष में फैसला आने के बाद मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से एक सिविल वाद दायर किया गया है। इसमें जन्मभूमि से सटे एक धर्मस्थल के निर्माण को श्रीकृष्ण जन्मस्थान का बताते हुए उस पर दावा किया गया है।
अधिवक्ता हरिशंकर और विष्णु जैन की ओर से मथुरा की स्थानीय अदालत में दायर याचिका में 13.37 एकड़ श्रीकृष्ण जन्मभूमि की भूमि पर दावे के साथ पास में बने दूसरे समुदाय के धर्मस्थल को हटाने की मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि मंदिर की एक-एक इंच भूमि भी पवित्र है और भगवान कृष्ण के भक्त व हिंदू समाज के लोग उसमें आस्था रखते हैं।
याचिका में दूसरे धर्मस्थल के निर्माण को अतिक्रमण और अवैध बताते हुए उसे हटाने की मांग की गई है। हालांकि इस याचिका में कहीं भी धार्मिक पूजा का स्थान विशेष प्रावधान कानून 1991 का कहीं जिक्र नहीं जो कि कोर्ट को 1947 के बाद किसी भी धर्मस्थल के वर्तमान स्थिति से संबंधित याचिका पर सुनवाई से रोक लगाता है।
याचिका में कहा गया है कि ऐतिहासिक प्रमाणों में बताया गया है कि मुगल शासक औरंगजेब ने 1658 से 1707 ईस्वी तक देश पर शासन किया और उसे कार्यकाल में कई हिंदू मंदिरों को नष्ट किया गया। इसमें मथुरा के कटरा केशवदेव स्थित श्रीकृष्ण जन्मस्थान भी शामिल है।
याचिका में कहा गया कि औरंगजेब की सेना ने केशव देव मंदिर को आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त कर वहां वर्तमान दूसरे निर्माण को स्थापित करने का कार्य किया।
इधर इस मामले में बीजेपी के नेता विनय कटियार जो कि रामजन्मभूमि आंदोलन के भी अगुवा रहे थे, का कहना है कि मथुरा और काशी को भी राममंदिर की तरह मुक्त कराना होगा। इसके लिए जनआंदोलन की आवश्यकता है।
सुन्नी वक्फ बोर्ड के हाजी महबूब ने याचिका को बेकार बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि वह राम जन्मभूमि के अलावा ऐसे किसी मामले की सुनवाई नहीं करेगा। सरकार भी इसमें हस्तक्षेप से इनकार कर चुकी है। जब-जब चुनाव आते हैं, ऐसी याचिकाएं दायर कर दी जाती हैं।