मानव संपदा पोर्टल पर अपलोडिंग से पहले मथुरा बीएसए कार्यालय से 150 शिक्षकों के अभिलेख गायब
बेसिक शिक्षा विभाग में 2 साल पहले 12460 शिक्षक भर्ती के अंतर्गत 186 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिए गए थे। यहां शिक्षक भर्ती घोटाले का खुलासा होने पर इनमें से 33 शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेख फर्जी पाए गए।
मथुरा। मथुरा के जिला बेसिक शिक्षाधिकारी कार्यालय का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां से 13 शिक्षकों के सभी मूल शैक्षिक अभिलेख और 150 शिक्षकों के कुछ एक सर्टिफिकेट गायब हो गए हैं। इस संबंध में बीएसए ने कोतवाली में तहरीर दी है।
बता दें कि बेसिक शिक्षा विभाग में 2 साल पहले 12460 शिक्षक भर्ती के अंतर्गत 186 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिए गए थे। यहां शिक्षक भर्ती घोटाले का खुलासा होने पर इनमें से 33 शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेख फर्जी पाए गए। इनके नियुक्ति पत्र निरस्त कर दिए गए।
12460 शिक्षक भर्ती के शेष बचे डेढ़ सौ शिक्षकों को नियुक्ति मिल गई लेकिन इनके शैक्षिक अभिलेख अब बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में नहीं हैं। इनके बीटीसी अंतिम सेमेस्टर के अंकपत्र, सर्टिफिकेट और टीईटी के सर्टिफिकेट गायब हैं। इनके गायब होने का मामला एक बार पहले भी सामने आया था।
लेकिन तब चंद शिक्षकों के कागज गायब होने की जानकारी मिली थी। अब मानव संपदा पोर्टल पर शिक्षकों के दस्तावेज अपलोड करने के दौरान इन शिक्षकों के दस्तावेज बीएसए कार्यालय से गायब मिले। बेसिक शिक्षा अधिकारी चंद्रशेखर ने चार टीमें बनाकर बीएसए कार्यालय का लॉक्ड कक्ष खुलवाया।
12460 शिक्षक भर्ती के सभी शिक्षकों के दस्तावेज चेक करवाए। जिसमें 150 शिक्षकों के मार्कशीट और सर्टिफिकेट गायब मिले हैं। इस संबंध में बेसिक शिक्षा अधिकारी ने कोतवाली में तहरीर दी है।
2 साल से चल रहा खेल
बीएसए कार्यालय से शिक्षकों के अभिलेख कब किसने और क्यों गायब किए? यह यक्ष प्रश्न है। दरअसल पूरा मामला 12460 शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़ा हुआ है। इस पूरे मामले में जिन 186 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र जारी किए गए थे, उनमें से करीब 80 शिक्षकों के फर्जी होने की जानकारी सामने आ रही थी।
यहां तक कि जांच में जुटी विभागीय टीम के सूत्रों ने भी यही जानकारी दी थी। लेकिन महज 33 फर्जी शिक्षक ही सामने आ सके थे। माना जा रहा है कि शेष बचे फर्जी शिक्षकों को बचाने के लिए ही सभी 150 शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेख गायब कर दिए गए हैं।
ये अभिलेख 2 साल पहले ही जांच के दौरान गायब कर दिए गए थे और इन अभिलेखों को गायब करने का सबसे अच्छा मौका भर्ती घोटाले में सामने आए विभागीय लोगों के पास था।