एक्टिव मोड पर मायावती: नए चेहरों के सहारे मिशन—2022 फतेह की तैयारी
बसपा में अब पुराने नेताओं में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर एवं सतीश चन्द्र मिश्र सहित कुछ ही नेता बचे हैें। ऐसे में 2022 के आम चुनाव में बसपा नये चेहरों पर दांव लगाकर यूपी फतेह करने का सपना संजो रही है।
लखनऊ। यूपी में मिशन—2022 को लेकर सियासी दलों ने तैयारियां तेज कर दी हैं। इस बीच बसपा सुप्रीमों मायावती भी एक्टिव मोड पर हैं। चर्चा हैं कि बसपा सुप्रीमों नए चेहरों के सहारे यूपी फतह की तैयारी में जुटी हैं। तकरीबन एक दशक से सूबे की सत्ता से दूर बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती मिशन २०२२ को लेकर एक्टिव मोड में आ गयी है।
पार्टी में क्लीन अभियान तेज करते हुए उन्होंने आज दो दिग्गज नेता एवं संस्थापक सदस्य लालजी वर्मा एवं राम अचल राजभर को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। बताया गया कि इन दोनों नेताओं पर पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने का आरोप है। इस बीच चर्चा है कि बसपा अब नये चेहरों के सहारे आगामी यूपी विधानसभा चुनाव में परचम लहराने की तैयारी में है।
वहीं पार्टी यूपी एवं उत्तराखण्ड में बिना किसी गठबंधन के अपने दम पर चुनाव लडऩे का ऐलान भी कर चुकी है। गौरतलब है कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने आज अपने बेहद करीबी पार्टी विधान मण्डल दल के नेता लालजी वर्मा एवं विधायक एवं पूर्व मंत्री तथा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर को पार्टी से बाहर कर दिया। यह दोनों ही नेता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे।
बताया गया कि इन दोनों नेताओं को पार्टी के किसी कार्यक्रम में न बुलाने की हिदायत बाकी नेताओं को एवं कार्यकर्ताओं को दे दी गई है। वहीं राम अचल राजभर की बात करें तो वह चौथी बार बसपा से विधायक निर्वाचित हुए है। पूर्व में वह प्रदेश अध्यक्ष, यूपी सहित कई राज्यों के प्रभारी एवं कई विभागो के मंत्री भी रह चुके हैं।
इसी तरह लालजी वर्मा बसपा सरकार के कई बार कैबिनेट मंत्री, संसदीय कार्यमंत्री, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तथा वर्तमान में बसपा विधान मण्डल दल के नेता थे। इस तरह यह दोनों नेता मायावती के बेहद करीबी माने जाते थे। बसपा के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। लेकिन अब यह दोनों ही बसपा के लिए काजल से किरकिरी बन गये हैं।
चर्चा यह भी है कि यह दोनों ही नेता इन दिनों जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में सपा के करीब आ रहे थे। जिला पंचायत सदस्य के टिकट वितरण में भी कई वीडियों वायरल हुए थे जिसे लेकर यह एक्शन लिया गया। उम्मीद जताई जा रही है कि यह दोनों ही नेता जल्द ही सपा में शामिल हो सकते हैं।
लेकिन सवाल यह है कि जो भी नेता बसपा से निकाले गये है या स्वत: छोड़ गए है, अब वह कहीं चर्चा में नहीं है। मसलन इससे पूर्व पार्टी के कद्दावर नेता रहे स्वामी प्रसाद मौर्य इन दिनों योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री है लेकिन उनके पास सेवायोजन जैसा विभाग है, जबकि बसपा सरकार में 18 विभागों के मंत्री रहा करते थे। इसी तरह नसीमुद्दीन सिद्दीकी इस समय कांग्रेस में है लेकिन वह चर्चा से दूर हैं।
इसी तरह पूर्व मंत्री आर के चौधरी, बाबू सिंह कुशवाहा, दद्दू प्रसाद, इंद्रजीत सरोज, जुगुल किशोर, नारायण सिंह सुमन, चौधरी लक्ष्मी नारायण, बादशाह सिंह, कमलाकांत गौतम, मसूद अहमद, राज बहादुर, विघा राजभर, बृजेश पाठक, नंद गोपाल नंदी सहित कई नेताओं का जो जलवा बसपा में हुआ करता था वह अब उन्हें नहीं मिल रहा है।
इस तरह बसपा में अब पुराने नेताओं में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर एवं सतीश चन्द्र मिश्र सहित कुछ ही नेता बचे हैें। ऐसे में 2022 के आम चुनाव में बसपा नये चेहरों पर दांव लगाकर यूपी फतेह करने का सपना संजो रही है। अब यह प्रयोग कितना कारगर होगा यह तो भविष्य तय करेगा। बहरहाल बसपा सुप्रीमों मायावती अब पूर एक्टिव मोड में नजर आ रही हैं।