बेटे ने दिया लड़ने का हौसला, 27 साल बाद नाबालिग रेप पीड़िता ने दर्ज कराया केस, 30 साल बाद दरिंदों को सजा
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उस समय पीड़िता शाहजहांपुर में थाना सदर बाजार क्षेत्र के एक मोहल्ले में अपने बहन-बहनाई के घर रहती थी। उन दरिंदों उसे ऐसा धमकाया कि मारे डर से पुलिस से शिकायत नहीं की। लोकलाज से बचने के लिए बिन ब्याही मां ने अपने बेटे को परवरिश के लिए एक रिश्तेदार को सौप दिया।
शाहजहांपुर। बचपन में मिले जख्म भर गए लेकिन दामन पर लगे दाग को उसके बेटे ने धोने का हौसला दिया। वही बेटा जो उस जख्म से पैदा हुआ था। अबला ने अपनी ताकत का इस्तेमाल सही तरीके से किया और 30 साल बाद अपने लिए इंसाफ पाया। 2021 में शुरू की ये लड़ाई 2024 को मुकाम तक पहुंची।
यह घटना उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में घटी। साल था 1994 और तक पीड़िता केवल 12 साल की थी। खेलने की इस उम्र में परिचित दो भाइयों ने उसके साथा ऐसी दरिंदगी की जिसकी समझ तक शायद उस नाबालिग को उस समय नहीं थी। रेप के बाद पीड़िता गर्भवती हो गई और 13 साल की उम्र में उसने एक बच्चे को जन्म दिया।
उस समय पीड़िता शाहजहांपुर में थाना सदर बाजार क्षेत्र के एक मोहल्ले में अपने बहन-बहनाई के घर रहती थी। उन दरिंदों उसे ऐसा धमकाया कि मारे डर से पुलिस से शिकायत नहीं की। लोकलाज से बचने के लिए बिन ब्याही मां ने अपने बेटे को परवरिश के लिए एक रिश्तेदार को सौप दिया। इसके बाद उसकी शादी करवा दी गई।
लेकिन काला अतीत यूं ही पीछा नहीं छोड़ता। इस घटना का पता जब उसके पति को चला तो उसने भी छोड़ दिया। अपने पति से भी उसके एक बेटा हो चुका था।
पीड़िता ने बताया कि शादी टूटने के बाद वह अपने पति से जन्मे बेटे को लेकर लखनऊ जाकर बस गईं। दरिंदगी के बाद जन्मा बेटा 2012 में तलाश करते हुए उन तक पहुंचा। पीड़िता के मुताबिक, बेटा छोटा था तब वह पिता के बारे में पूछता था। इस पर उसे डांटकर चुप करा देती थीं। उम्र के साथ उसके सवाल बढ़ते गए। वह अपनी पहचान पूछता था।
कहता था कि आप कहती हो कि मेरे पिता सेना में थे, पर मैं कौन हूं। उसके सवालों के जवाब उनके पास नहीं थे। जानकारी नहीं देने पर उसने अपनी मां से दूरी बनानी शुरू कर दी। कई महीने तक दोनों एक-दूसरे के सामने नहीं पड़े। बाद में वह सच बताने पर मजबूर हो गईं। इसके बाद बेटे ने हौसला दिया और जिंदगी तबाह करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कराने की हिम्मत बंधाई।
ऐसे मंजिल तक पहुंचीं
बेटे की जिद के आगे महिला ने दरिंदों को सजा दिलाने की ठान ली। जिस शाहजहांपुर का नाम सुनकर उनके रोंगटे खड़े हो जाते थे, वहां दरिंदों को तलाश के लिए आईं। बेटे को रोककर खुद ही पड़ताल की। वह बताती हैं कि आरोपी कहां से आए थे, क्या नाम था, कुछ नहीं पता था। उन्होंने किराये वाले अपने पुराने मकान को तलाश किया तो वहां पहले जैसा कुछ नहीं था, पूरा इलाका बदल चुका था। कोई ऐसा नहीं मिला, जो दरिंदों के बारे में बता सके। बस इतना ध्यान था कि वे उनके घर के सामने ट्रक खड़ा करते थे। यही बताकर वह दरिंदों का पता लगाती रहीं।
असली गुनहगार नकी हसन
शुरुआत में पुलिस के अधिकारियों ने सहयोग करने से मना कर दिया, फिर किसी तरह एक दरिंदे का फोन नंबर उन्हें मिल गया, तब पुलिस को लाकर दिया। तब दरिंदों के बारे में पता चल सका। अधिवक्ता मुतहर खान ने कचहरी में मदद की, तब आरोपी के परिवार के चारों सदस्यों का डीएनए सैंपल लेकर बेटे के सैंपल के साथ परीक्षण कराया गया। मिलान होने पर पता चला कि ट्रक चालक नकी हसन उर्फ ब्लेडी असली गुनहगार है। अब नकी हसन के साथ उसके भाई गुड्डू को 10-10 वर्ष कारावास की सजा हो गई है।
दरोगा बनने की तैयारी
पीड़िता ने कहा कि मैंने लखनऊ से शाहजहांपुर तक ढाई साल तक चक्कर लगाए। न्याय व्यवस्था पर भरोसा जताते हुए लगातार अपनी मुहिम में लगी रही और अब मुझे कामयाबी मिली। मेरा संघर्ष पूरा हो गया। मैं एक अच्छी जिंदगी जीना चाहती हूं। छोटे बेटे ने बीए पास कर लिया है, वह दरोगा बनने की तैयारी कर रहा है।
बेटे के इन सवालों पर इंसाफ पाने की ठानी
छोटे भाई के तो पिता, बुआ और भाई सब है, पर मेरा पिता कौन है... दुष्कर्म से जन्मे बेटे के इसी सवाल ने पीड़िता को आखिरकार इंसाफ के लिए लड़ने को मजबूर किया। बेटे की जिद पर उन्होंने दरिंदों को सजा दिलाने की ठानी। मार्च 2021 में शिकायत दर्ज करने से शुरू हुई उनकी लड़ाई 21 मई 2024 को मुकाम पर पहुंची। जब दो सगे भाइयों नकी हसन उर्फ ब्लेडी ड्राइवर और गड्डू को कोर्ट ने 10-10 साल की सजा सुनाई।