मिशन 2022: नए साथियों के साथ हाथ नहीं मिला पा रही कांग्रेस, कोई नहीं दे रहा भाव
लखनऊ से दिल्ली लौटते समय जयंत सपा प्रमुख अखिलेश यादव की फ्लाइट छोड़कर कांग्रेस के निजी विमान से प्रियंका गांधी के साथ दिल्ली लौटे थे, चर्चा रही कि कांग्रेस की ओर से जयंत को पंजाब में सीटों से लेकर राज्यसभा भेजने तक का ऑफर दिया गया।
लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को वैसा माहौल नहीं मिला जैसा उन्हें उसकी उम्मीद थी, इसके बाद गठबंधन के रास्ते हाथ को मजबूत करने की कोशिश तेज की गई, लेकिन कांग्रेस को सफलता नहीं मिल रही है।
आपकों बता दें कि कांग्रेस की नजर बसपा और रालोद पर थी, कांग्रेस इन दोनों पार्टियों के सहारे यूपी का मैदान मारने की सोच रही थी, लेकिन रालोद का सपा के साथ जाना लगभग तय हो गया है, वहीं बसपा अपने पूर्व के अनुवों को देखते हुए किसी से हाथ नहीं मिलाने के रास्ते पर चल रही है।
इसलिए बसपा कर रही गठबंधन से परहेज
बसपा यूपी में कांग्रेस के साथ आने को तैयार नहीं है। इसके पीछे कुछ मजबूत कारण है। सबसे बड़ा कारण पंजाब का चुनाव है जिसमें कांग्रेस और बसपा आमने-सामने हैं।
ऐसे में यूपी में इस तरह का गठबंधन नहीं कर सकती।वहीं प्रसपा आप जैसे कई दल और है जो कांग्रेस के साथ किसी भी सूरत में नहीं जा सकते वैसे, यह राजनीति है यहां मौका निकालने के निकालने के लिए लोग गधे को भी बाप बना लेते है।
जयंत से नहीं बनी बात
कांग्रेस की नजर बसपा के साथ ही रालोद पर थी, लेकिन रालोद प्रमुख जयंत अखिलेश के साथ जाने को तैयार है। आपकों बता दें कि इसकी उम्मीद 31 अक्तूबर को दिखी थी जब रालोद प्रमुख चौधरी जयंत सिंह की कांग्रेस से नजदीकियां नजर आईं।
लखनऊ से दिल्ली लौटते समय जयंत सपा प्रमुख अखिलेश यादव की फ्लाइट छोड़कर कांग्रेस के निजी विमान से प्रियंका गांधी के साथ दिल्ली लौटे थे, चर्चा रही कि कांग्रेस की ओर से जयंत को पंजाब में सीटों से लेकर राज्यसभा भेजने तक का ऑफर दिया गया। सीधे तौर पर जयंत ने इससे इंकार भी नहीं किया पर मशक्कत यह थी यह गठबंधन तभी परवान चढ़ सकेगा जब इसमें बसपा भी शामिल हो।
ओवैसी का नहीं मिलेगा साथ
बसपा और रालोद के अलावा यूपी में तेजी से वोट बटोरने के लिए औवैसी और चंद्रशेखर उर्फ रावण दिन रात मेहनत कर रहे है,दोनों की सभाओं में भीड़ तो काफी जुट रही है, लेकिन यह भीड़ कितने प्रतिशत वोट में तब्दील होगी यह तो आने वाला समय बताएगा। जहां तक बात की जाए तो औवैसी और चंद्रशेखर खुद के गठबंधन के सहारे यूपी की नैया को पार लगाना चाहते है। औवैसी कांग्रेस के साथ जाने से बच रहे है।
पंजाब में कांग्रेस बसपा आमने-सामने
कांग्रेस-बसपा गठबंधन न होने का प्रमुख कारण है पंजाब विधानसभा चुनाव है जो यूपी के साथ ही होगा। पंजाब में बसपा का शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन है। 117 सीटों में से शिरोमणि अकाली दल ने 20 सीटें बसपा को दी हैं।
इन सभी सीटों पर बसपा का सीधा मुकाबला कांग्रेस से हैं। इनमें से 18 सीटों पर कांग्रेस के ही विधायक हैं। हालांकि, सीटों के बंटवारे को लेकर पंजाब में भी असंतोष है। कुछ बसपाई कह रहे हैं कि अकाली दल ने ऐसी सीटें बसपा को दी हैं, जिन पर बसपा का जनाधार कम है। इनमें पचास प्रतिशत सीटों पर तो उसका काडर वोटर बेहद कम है।
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