निजीकरण के खिलाफ आर-पार के मूड में बैंककर्मी, सरकार के खिलाफ लंबे विरोध-प्रदर्शन का ये प्लान
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इसके बाद किसानों की मांगों से खुद को जोड़ते हुए एक प्रस्ताव पास किया गया जिसमें केंद्र सरकार से मांग की गई कि वह किसानों की बात सुने और उनके लिए तर्कसंगत निर्णय ले।
बैंकिंग डेस्क। किसान आंदोलन से 100 दिन से जूझ रही केंद्र सरकार के लिए अब नई दिक्कत आने वाली है। दरअसल, बजट भाषण में दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की बात सुनकर देशभर के बैंककर्मी खफा हैं। इतना ही नहीं सरकार की कार्यप्रणाली को देखते हुए उन्होंने अब आर-पार का मूड बना लिया है।
यूनाइटे फोरम आॅफ बैंक यूनियन ने मार्च के सबसे व्यस्तम महीने दो दिवसीय हड़ताल का ऐलान करते हुए सभी यूनियन से निजीकरण के खिलाफ एकजुट होने की अपील की है। हड़ताल और विरोध प्रदर्शन के लिए 15 और 16 मार्च 2021 का दिन तय किया गया है।
मंगलवार को हैदराबाद में हुई सभी यूनियन की संयुक्त में सबसे पहले कोरोना से जान गंवाने वाले लोगों और किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि दी गई। इसके बाद किसानों की मांगों से खुद को जोड़ते हुए एक प्रस्ताव पास किया गया जिसमें केंद्र सरकार से मांग की गई कि वह किसानों की बात सुने और उनके लिए तर्कसंगत निर्णय ले।
इसके बाद प्रस्तावित नए श्रम कानून को लेकर भी मीटिंग में विरोध दर्ज कराया गया और सरकार से मांग की गई कि वह अपने मेहनती कर्मियों के हितों को समझे न कि अपने हित में उनके अधिकारों का हनन करे।
इसके बाद सबसे जरूरी बजट में वित्तमंत्री द्वारा घोषित निजीकरण को सीधे चुनौती देने की योजना बनाई गई। इसमें कहा गया कि सरकार आईडीबीआई बैंक के साथ दो और पब्लिक सेक्टर बैंक को प्राइवेट करना चाहती है, एलआईसी में विनिवेश के जरिए निजीकरण को बढ़ावा देना चाहती है और बीमा क्षेत्र में 74 प्रतिशत विदेशी निवेश का जो निर्णय ले रही है, वह विरोध करने लायक है।
ऐसे में निर्णय लिया गया कि-
1- 19 फरवरी को सभी राज्यों की राजधानी में एक दिन का धरना बैंककर्मी देंगे।
2- 20 फरवरी से 10 मार्च तक देश भर में बैंककर्मियों द्वारा धरना प्रदर्शन का आयोजन किया जाएगा।
3- 15 और 16 मार्च 2021 को देशव्यापी हड़ताल होगी।
संयुक्त मोर्चे के संयोजक संजीव के बंदलिश की ओर से बताया गया है कि सरकार यदि अपने निर्णयों पर पुनर्विचार नहीं करती है तो धरना प्रदर्शन को और बढ़ाया जाएगा, जिसकी जानकारी समय-समय पर दी जाएगी।
सरकार के लिए बढ़ेगी टेंशन
किसानों के लंबे आंदोलन के बीच यदि बैंककर्मी भी हड़ताल पर जाते हैं तो यह सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द साबित होने वाला है। खासकर फरवरी और मार्च के महीने में जब वार्षिक लेखाबंदी का दौर चलता है, ऐसे में बैंककर्मियों का हड़ताल पर लाना खासा परेशानी का सबब बन सकता है।
बैंककर्मी हमें बताएं मन की बात
निजीकरण को लेकर सरकार के तर्क हैं कि इससे सरकार की आय बढ़ेगी लेकिन आखिर बैंककर्मियों के लिए निजी क्षेत्र में जाने से क्या बदल जाएगा। वे सरकार के कदम से क्यों सहमत नहीं हैं। यदि आप हमारे जरिए अपनी बात पहुंचाना चाहते हैं तो मेल करें- bharatdeepnews@gmail.com पर।