मां की भक्ति शुरू: न करें ये गलतियां, मां को अलग-अलग नैवेद्य चढ़ाने से पूरी होती हैं सारी मनोकामना
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आज से घर— घर मां की पूजा—अर्चना शुरू हो गई, अब मां के नौ रूपों की नौ दिनों तक पूजा अर्चना की जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्र के पावन दिनों में मां की पूजा-अर्चना और व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
लखनऊ। शारदीय नवरात्र शनिवार से शुरू हो गया। आज से घर— घर मां की पूजा—अर्चना शुरू हो गई, अब मां के नौ रूपों की नौ दिनों तक अर्चना की जाएगी। नवरात्र के पावन दिनों में मां की पूजा-अर्चना और व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। शारदीय नवरात्र से शीत ऋतु के आगमन की भी सूचना मिलती है।
शक्ति की उपासना अश्विन मास के प्रतिपदा से नवमी तक की जाती है। इस संबंध में राजधानी के अलीगंज स्थित स्वास्तिक ज्योतिष केन्द्र के ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि इस वर्ष शारदीय नवरात्र 17 से 25 अक्टूबर तक है। शनिवार को इस दिन सूर्य कन्या राशि में, चंद्रमा तुला राशि में विराजमान रहेंगे। अश्वनी शुक्ल घट स्थापना शुभ मुर्हूत में की जानी चाहिए।
इस दिन प्रातःकाल चित्रा नक्षत्र में 6ः07 से 09ः52 तक एवं अभिजीत मुर्हूत दिन 11ः28 से 12ः14 तक घट स्थापना एवं देवी का पूजन किया जा सकता है। पंडित जी ने बताया कि नवरात्र में प्रथम दिवस माँ शैलपुत्री, द्धितीय माँ ब्रहाचारिणी, तृतीय माँ चंद्रघण्टा, चतुर्थ माँ कुष्मांडा, पंचमी माँ स्कन्द माता, षष्ठी माँ कात्यानी देवी, सप्तमी माँ कालरात्री माँ, अष्टमी महागौरी नवमी माँ सिद्धीदात्री की उपासना करने का विधान है।
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि 24 अक्टूबर को अष्टमी और नवमी की पूजा एक ही दिन होगी। जबकि नवमी 25 अक्टूबर के दिन प्रात 11 बजकर 14 मिनट के बाद दशमी तिथि लग जाएगी । इस कारण दशहरा पर्व और अपराजिता पूजन एक ही दिन आयोजित होंगे। विजय दशमी 25 अक्टूबर को मनाई जाएगी । इस बार नौ दिनों में ही दस दिन के पर्व पूरा हो जाएगा। कहा जाता है कि भगवान श्री राम ने सर्वप्रथम शारदीय नवरात्र का पूजन समुद्रतट पर करके दसवें दिन रावण पर विजय प्राप्त की थी।
मां दुर्गा ने नौ दिनों तक महिषासुर से संग्राम करके उसका वध किया था। अत इन्हें महिषासुर मर्दिनी भी कहा जाता है। उन्होंने बताया कि नवरात्र में घट स्थापना जौ बोने दुर्गा सप्तशती का पाठ,हवन व कन्या पूजन से माँ दुर्गा प्रसन्न होती है। नवरात्र में नवार्णमंत्र की साधना और दुर्गा सप्तशती का पाठ बहुत फलदायी होता है। उन्होंने बताया कि नवरात्रि आरंभ होते ही नई वस्तुओं की खरीद, प्रॉपर्टी क्रय, वाहन क्रय जैसे शुभ कार्य आरंभ हो जाएंगे, शादी-विवाह देवउठनी के बाद से ही आरंभ होंगे।
ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल के मुताबिक इस बार दुर्गा नवरात्र की शुरूआत शनिवार से हो रही है, ऐसे में मां घोड़े को अपना वाहन बनाकर धरती पर आएंगी। माना जाता है कि घोड़े पर आने से कष्ट, पड़ोसी देशों से तनाव, सत्ता में उथल-पुथल देखने को मिल सकता है। सोमवार व रविवार को कलश स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर आती हैं। शनिवार तथा मंगलवार को कलश स्थापना होने पर माता का वाहन घोड़ा होता है। गुरुवार अथवा शुक्रवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता डोली पर चढ़कर आती हैं। बुधवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता नाव पर सवार होकर आती हैं।
प्रथम दिवस माता को गो-घृत चढ़ाने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। द्वितीय दिवस माता को शक्कर चढ़ाने से दीघार्यु की प्राप्ति होती है। तृतीय दिवस दूध का नैवेद्य चढ़ाने से दुखों की निवृत्ति होती है। चतुर्थ दिवस मां को मालपूआ चढ़ाने से निर्णय शक्ति का विकास होता है। पंचम दिवस माता को केले का नैवेद्य चढ़ाने से बुद्धि का विकास होता है। षष्ठी दिवस मां को मधु चढ़ाने से आकर्षण व सुन्दरता बढ़ती है। सप्तम दिवस मां को गुड़ का नैवेद्य चढ़ाने से शोकमुक्ति और विपत्तियों से रक्षा होती है।
अष्ठमी को नारियल नैवेद्य रूप में चढ़ाने से हर प्रकार की पीड़ा का शमन होता है। नवमी के दिन माता को धान चढ़ाने से लोक-परलोक का सुख मिलता है। वहीं दशमी में काले तिल का नैवेद्य चढ़ाने से हर प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है।नवरात्र के पावन दिनों में मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। नवरात्र के दौरान सात्विक भोजन ही ग्रहण करें। नवरात्र के दिनों में प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए। नवरात्र में मांस-मदिरा का सेवन करने से मां का आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता है। मां की कृपा पाने के लिए नवरात्र के दौरान सात्विक भोजन करें।
नवरात्र के पावन दिनों में कलश स्थापना के बाद घर को खाली नहीं छोड़ना चाहिए। नवरात्र के प्रथम दिन कलश स्थापना और अखंड ज्योत जलाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कलश स्थापना और अखंड ज्योत जलाने के बाद घर को खाली नहीं छोड़ना चाहिए।नवरात्र के पावन दिनों में शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए। नवरात्र के दिनों में शारीरिक संबंध बनाने से मां का आशीर्वाद नहीं मिलता है। नवरात्रि के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।