मां की भक्ति् शुरू: जानें कब करें पूजा आरंभ और घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि का आरंभ 06 अक्तूबर को शाम के 4 बजकर 35 मिनट से शुरू होकर 7 अक्तूबर को दोपहर 1 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। ऐसे में 7 अक्तूबर को प्रतिपदा तिथि सूर्योदय के होने के साथ शारदीय नवरात्रि आरंभ हो जाएगा।
आगरा। आज से यानि आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि शुरू हो गई। इन 8 दिनों की घर—घर मां की प्रतिमा की स्थापना करके पूजा आराधना की जाएगी। जगह-जगह पंडाल सजाकर मां की भक्ति की जाएगी।
नवरात्रि पर नौ दिनों के लिए देवी दुर्गा का आगमन पृथ्वी पर होता है और सभी भक्त मां को प्रसन्न करने के लिए नौ दिनों तक विशेष रूप से पूजा आराधना करते हैं और उपवास रखते हैं। इस वर्ष नवरात्रि का पर्व 9 दिनों के बजाय 8 दिनों तक रहेगा। नवरात्रि के पहले दिन प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना के साथ देवी दुर्गा के पहले स्वरूप की पूजा आराधना करते हुए नवरात्रि का उत्सव आरंभ हो जाएगा।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि का आरंभ 06 अक्तूबर को शाम के 4 बजकर 35 मिनट से शुरू होकर 7 अक्तूबर को दोपहर 1 बजकर 47 मिनट तक रहेगी। ऐसे में 7 अक्तूबर को प्रतिपदा तिथि सूर्योदय के होने के साथ शारदीय नवरात्रि आरंभ हो जाएगा।
शारदीय नवरात्रि पर प्रतिपदा तिथि पर कलश स्थापना का सबसे अच्छा शुभ मुहूर्त 07 अक्तूबर को अभिजीत मुहूर्त का रहेगा। इस दिन अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट का रहेगा। ऐसे में यह समय कलश स्थापना के लिए सर्वश्रेष्ठ रहेगा। इसके अलावा देवी की आराधना और कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 17 मिनट से लेकर 10 बजकर 17 मिनट तक किया जा सकता है।
ऐसे करें शारदीय नवरात्रि पर घटस्थापना
पं. रोशश के अनुसार शारदीय नवरात्रि पर कलश स्थापना जिसे घटस्थापना भी कहते हैं इसका विशेष महत्व होता है। कलश स्थापना नवरात्रि के शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए सबसे पहले स्नान कर साफ सुथरे वस्त्र पहनाकर करना चाहिए।
कलश स्थापना के लिए मिट्टी के कलश में सात प्रकार के अन्न को रखकर उसमें जल भरना चाहिए। फिर इसके बाद कलश में कलावा बाधतें हुए उसे चौकी पर स्थापित कर दें। कलश में आम के पत्ते अवश्य रखें। फिर पूजा का नारियल लेते हुए उसमें लाल कपड़े को लपटे कर रख दें। इसके बाद दीपक प्रज्वलित करते हुए कलश की पूजा करें और देवी दुर्गा क आह्रान करते हुए विधिवत रूप से पूजा आरंभ कर दें।
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