45दिन से घर वालों से दूर ग्वालियर रह रही बेटी को वापस लाएंगे सांसद रविकिशन
मां की डांट से नाराज होकर गोरखपुर से भागकर निकली युवती ग्वालियर पहुंच गई। जानकारी होने के बाद भी परिवार आर्थिक तंगी की वजह से बेटी तक नहीं पहुंच पा रहा था। इस परिवार के लिए सांसद रविकिशन ने मदद की पेशकश की तो परिवार को बेटी से मिलने की फिर से आस जग गई।
गोरखपुर। मां की डांट से नाराज होकर गोरखपुर से भागकर निकली युवती ग्वालियर पहुंच गई। जानकारी होने के बाद भी परिवार आर्थिक तंगी की वजह से बेटी तक नहीं पहुंच पा रहा था।
इस परिवार के लिए सांसद रविकिशन ने मदद की पेशकश की तो परिवार को बेटी से मिलने की फिर से आस जग गई। मालूम हो कि मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के जेएएच स्टॉप सेंटर में 45 दिन से रह रही युवती को सांसद रवि किशन गोरखपुर ले आएंगे।
मामला प्रकाश में आने के बाद सांसद ने बुधवार को युवती के घरवालों से संपर्क किया। मां और भाई से सांसद ने कहा कि बेटी को अपने खर्च पर गोरखपुर ले आएंगे। वे लोग परेशान न हो। आर्थिक तंगी से जूझ रहे परिवार की मदद के लिए व्यापारिक व सामाजिक संगठन के लोग भी आगे आए हैं।
मालूम हो कि शाहपुर में रेलवे डेयरी कॉलोनी के आउट हाउस में मां और भाइयों के साथ रहने वाली युवती तीन अक्टूबर को घर वालों को बिना बताए घर से निकल गई। पांच अक्टूबर को ग्वालियर रेलवे स्टेशन के आरक्षण काउंटर के पास चाइल्ड लाइन की टीम की सदस्य तबस्सुम खान को मिली।
पूछने पर युवती ने बताया कि घरवालों से नाराज होकर निकली थी। भटककर आ गई है। जिला प्रशासन की मदद से चाइल्ड लाइन की टीम ने युवती को जयारोग्य अस्पताल (जेएएच) स्थित वन स्टॉप सेंटर पहुंचाया।
अधिकारियों द्वारा नाम, पता व मोबाइल नंबर बताने पर चाइल्ड लाइन की काउंसलर ने युवती की मां से संपर्क किया तो उसने बताया कि वह लोग बेटी को ढूंढ रहे हैं। अनबन होने पर वह नाराज होकर घर से निकली थी। आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, रुपये का इंतजाम होने पर बेटी को लेने ग्वालियर आएगी।
घरवालों के पास ग्वालियर जाने व आने के लिए रुपये न होने की वजह से युवती पिछले 42 दिन से वन स्टाप सेंटर में रह रही है।गोरखपुर सदर के सांसद व अभिनेता रवि किशन ने जागरण से फोन पर हुई बातचीत में कहा कि आर्थिक तंगी से परेशान परिवार की मदद करेंगे।
बिटिया को घर लाने के लिए मां और भाई को अपने खर्च पर ग्वालियर भेजेंगे,ताकि वह अपनी बहन को वापस ला सकें। सांसद की इस पहल से आर्थिक रूप से कमजोर परिवार में फिर से बेटी को देखने की खुशी आंखों में झलकने लगी।