किसानों के लिए यूपी सरकार का तोहफा, इस योजना में आवेदन की तिथि बढ़ाई
इसके तहत खेती के दौरान किसी दुर्घटना के कारण मृत या दिव्यांग होने वाले किसान या उनके परिवारीजनों को सहायता राशि देने का प्रावधान था।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना को लाॅकडाउन और कोरोना संकट के कारण पैदा हुए हालातों के चलते बढ़ा दिया है। पहले इसके लिए फरवरी में शासनादेश जारी हुआ था लेकिन मार्च से मई तक लाॅकडाउन प्रभावी रहने के कारण अब योजना के अंतर्गत जुलाई 2020 तक के दुर्घटना मामलों वाले किसान या उनके परिजन लाभ ले सकते हैं।
बता दें कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 28 फरवरी 2020 को मुख्यमंत्री कृषक कल्याण योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत खेती के दौरान किसी दुर्घटना के कारण मृत या दिव्यांग होने वाले किसान या उनके परिवारीजनों को सहायता राशि देने का प्रावधान था।
इस योजना के लिए शुरुआती तारीख 14 सितंबर 2019 तय की गई और शासनादेश जारी होने के अधिकतम 45 दिन के अंदर आवेदन मांगे थे। इसे 75 दिन तक बढ़ाया जा सकता था। योजना का शासनादेश 28 फरवरी को जारी हुआ और 23 मार्च से देशभर में लाॅकडाउन लागू हो गया।
31 मई तक देशभर में संपूर्ण लाॅकडाउन की स्थिति रही और इसके बाद लाॅकडाउन खुला लेकिन लोगांे के निकलने पर पाबंदियां रहीं। इन परिस्थितियों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने मुख्यमंत्री कृषक कल्याण योजना को 14 सितंबर 2019 से 31 जुलाई 2020 तक विस्तारित कर दिया।
यानी अब इस अवधि के बीच में दुर्घटना का सामना करने वाले किसान और उनके परिवारीजन योजना के तहत लाभ लेने के लिए आवेदन कर सकेंगे। सरकार के अनुसार अभी करीब 8710 किसान लाभ लेने से वंचित रह गए हैं।
यूपी की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार ने 19 अगस्त को जारी अपने आदेश में कहा है कि योजना के तहत किसान अब 75 दिन के अंदर आवेदन कर सकते हैं। मैनपुरी के डीएम महेंद्र बहादुर सिंह ने जिले के किसानों और उनके परिवारीजनों से योजना के तहत शीघ्र आवेदन कर लाभ लेने को कहा है।
5 लाख की सहायता
मुख्यमंत्री कृषक कल्याण योजना के तहत खेती के दौरान दुर्घटना में मृत्यु होने पर किसान के परिवारीजनों को 5 लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। 60 प्रतिशत से अधिक दिव्यांगता पर 2 लाख रुपये की सहायता राशि का प्रावधान है।
इसके तहत 14 सितंबर 2019 को 18-70 आयु वर्ग के किसान और उनके परिवारीजन आवेदन कर सकते हैं। इस योजना में बटाईदारों को भी शामिल किया गया है, जो दूसरे के खेतों पर फसल उगाकर उसके हिस्से से अपना जीवन यापन करते हैं।