निकाय चुनाव: ममता बनर्जी से भी बिगड़ गए प्रशांत किशोर के रिश्ते?, जानिए लिस्ट को लेकर क्यों मचा है हंगामा
पार्टी के शीर्ष अधिकारियों को डैमेज कंट्रोल के लिए उतरना पड़ा। इस मुद्दे ने टीएमसी और प्रशांत किशोर के नेतृत्व वाली राजनीतिक सलाहकार आई-पीएसी के बीच संबंधों में तनाव की अफवाहों को भी सामने लाया। हालांकि, रिश्ते के भविष्य पर मीडिया की अटकलों को I-PAC ने निराधार करार दिया है।
नई दिल्ली। बीजेपी के लाख जतन के बाद भी पश्चिम बंगाल में अपनी कुशल रणनीति के बल पर ममता बनर्जी को फिर से सत्ता तक पहुंचाने वाले राजनीति के चाणक्य पीके की वजह से टीएमसी में हंगामा मचा हुआ है। ऐसे में पीके के लिए अब नए घर की तलाश तेज हो गई है।
दरअसल बंगाल में होने वाले 108 नगर निकायों के चुनावों के लिए उम्मीदवारों की सूची को लेकर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के भीतर कलह सोमवार को सामने आई। राज्य भर में विरोध प्रदर्शन फैल गया। पार्टी के शीर्ष अधिकारियों को डैमेज कंट्रोल के लिए उतरना पड़ा।
इस मुद्दे ने टीएमसी और प्रशांत किशोर के नेतृत्व वाली राजनीतिक सलाहकार आई-पीएसी के बीच संबंधों में तनाव की अफवाहों को भी सामने लाया। हालांकि, रिश्ते के भविष्य पर मीडिया की अटकलों को I-PAC ने निराधार करार दिया है।
आपकों बता दें कि विवाद शुक्रवार शाम को उस समय शुरू हुआ जब तृणमूल कांग्रेस महासचिव पार्थ चटर्जी और पार्टी अध्यक्ष सुब्रत बख्शी ने पार्टी के उम्मीदवारों की आधिकारिक सूची जारी की जिस पर उनके हस्ताक्षर थे। पार्टी के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर उम्मीदवारों की एक अलग सूची भी दिखाई दी, जिस पर किसी के हस्ताक्षर नहीं थे।
दोनों सूचियों के बाहर होने के बाद राज्य के विभिन्न हिस्सों में विरोध शुरू हो गए। टीएमसी के कई असंतुष्ट कार्यकर्ताओं को टायर जलाने और नारे लगाने के लिए सड़कों पर उतर गए। ममता बनर्जी ने इस मामले पर हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से कहा, "पार्थ चटर्जी और सुब्रत बख्शी द्वारा जारी उम्मीदवारों की सूची अंतिम है। हर किसी को खुश नहीं किया जा सकता है। कुछ भ्रम है।
पीके को लेकर यह बोलीं ममता
टीएमसी और आई-पीएसी के टूटने की कगार पर होने के बारे में मीडिया रिपोर्टों पर टिप्पणी करने के लिए पूछे जाने पर ममता बनर्जी ने कहा कि वह पार्टी से असंबंधित किसी भी चीज पर टिप्पणी नहीं करेंगी।
उन्होंने कहा, "कृपया ऐसे सवाल न पूछें जो पार्टी के आंतरिक मामले से संबंधित नहीं हैं। अगर पार्टी के आंतरिक मामलों से संबंधित कुछ है तो आप पूछ सकते हैं। आप जो पूछ रहे हैं, यह पार्टी के मामले से संबंधित नहीं है।
ममता बनर्जी के बयान का समर्थन करते हुए टीएमसी महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा कि वह टीएमसी और आई-पीएसी के बीच टूटने की खबरों पर टिप्पणी नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, "जिनके साथ उनके (आई-पीएसी) संबंध हैं, वे इस पर टिप्पणी कर सकते हैं। मेरे साथ किसी भी तरह के संपर्क की कोई गुंजाइश नहीं है। मैं पार्टी संगठन को देखता हूं।
एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, I-PAC अधिकारियों ने कहा, “आई-पीएसी और टीएमसी के बीच टूटने की मीडिया रिपोर्ट निराधार है। इसमें किसी तरह की सच्चाई नहीं है।''वहीं, तृणमूल कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने विरोध प्रदर्शन को रोकने की कोशिश में कहा कि सभी को आधिकारिक सूची का पालन करना होगा।
उन्होंने कहा, "हम में से दो (पार्थ चटर्जी और सुब्रत बख्शी) द्वारा हस्ताक्षरित शुक्रवार को जारी की गई सूची ममता बनर्जी की अंतिम मंजूरी के बाद जारी की गई थी, और यह अंतिम सूची है।'' चटर्जी आगे कहा, "कुछ मुद्दे रहे हैं और इसे सुलझा लिया गया है।
बहुत से लोगों की पार्टी के टिकट पर लड़ने की आकांक्षाएं हैं। लेकिन हर किसी को खुश करना हमेशा संभव नहीं होता है।" असंतुष्टों से संपर्क करते हुए चटर्जी ने कहा कि पार्टी एक है और सभी को भाजपा के खिलाफ एकजुट होना होगा।
पीके की टीम के कारण फैली गड़बड़ी
नाम न जाहिर करने की शर्त पर एक वरिष्ठ टीएमसी नेता ने पूरी गड़बड़ी के लिए आई-पीएसी को जिम्मेदार ठहराया। तृणमूल कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "यह आई-पीएसी के कारण है कि यह पूरी गड़बड़ी हुई। अपलोड की गई
अहस्ताक्षरित सूची वह सूची थी जिसे पार्टी नेतृत्व ने मंजूरी नहीं दी थी।" पार्टी नेतृत्व के एक वर्ग ने आई-पीएसी को परेशानी के लिए जिम्मेदार ठहराया। संगठन के सूत्रों ने दावा किया कि इस उपद्रव में उनकी कोई भूमिका नहीं थी।
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