मोदी 2.0 @1: अभी सरकार के इम्तिहान और भी हैं
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देश की केंद्रीय सत्ता में भारतीय जनता पार्टी की लगातार दूसरी पारी या कहें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल को एक साल हो गया है। अपनी ताजपोशी के बाद से ही मोदी सरकार कामकाज को लेकर इम्तिहान के दौर से गुजर रही है।
देश की केंद्रीय सत्ता में भारतीय जनता पार्टी की लगातार दूसरी पारी या कहें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूसरे कार्यकाल को एक साल हो गया है। अपनी ताजपोशी के बाद से ही मोदी सरकार कामकाज को लेकर इम्तिहान के दौर से गुजर रही है। कारण यह भी है कि 70 साल के कांग्रेसी शासन का जो विकल्प जनता ने चुना वह उम्मीदों भरा ही है। प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा सरकार स्वयं को जनता की उम्मीदों पर सौ प्रतिशत खरा उतरता हुआ बताते हैं, ऐसे में इम्तिहान और भी बढ़ जाते हैं।
लोकतंत्र में सत्ता का रिपोर्ट कार्ड चुनाव को ही माना जाता है, ऐसे में प्रधानमं़त्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल पर किसी सवाल की गुंजाइश नहीं रहती क्योंकि जनता ने उन्हें पहले से अधिक समर्थन दिया है। दूसरी ओर मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल इतने बड़े फैसलों वाला रहा कि उसने पहले कार्यकाल को ही नेपथ्य में भेज दिया है। मोदी 2.0 ने वो कर दिखाया जिसकी उम्मीद भारत की जनता 70 साल से लगाए हुए थी। राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय हो, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए का हटना और नागरिकता संशोधन कानून जैसे फैसले मोदी 2.0 को 1.0 से बड़ा बनाते ही चले गए लेकिन इसी बीच कोरोना महामारी ने सरकार के सामने एक लंबा इम्तिहान प्रस्तुत कर दिया है। इसलिए मोदी सरकार से उम्मीद और उनकी चुनौतियों का खात्मा होना आसान नहीं है।
मोदी 2.0 के बदलाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में सबसे बड़ा बदलाव अमित शाह को गृहमंत्री बनाना रहा। सरकार के हर बड़े फैसले पर अटैक और डिफेंड की जिम्मेदारी अमित शाह ने ही संभाली। यही कारण है कि प्रचंड जनमत का उपयोग सरकार अनुच्छेद 370 और नागरिकता संशोधन विधेयक जैसे निर्णय लेने में कर पाई।
जेटली और सुषमा का जाना
मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती वित्त मंत्री अरूण जेटली और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का निधन रहा। पार्टी के दो बड़े नेता और मोदी 1.0 को सफल बनाने वाले इन दो मंत्रियों का जाना रिक्तता लेकर आया। जेटली के निधन के बाद आर्थिक मोर्चे पर सरकार की परेशानियां यह साफ जाहिर कर रही हैं। हालांकि दोनों नेता इस कार्यकाल में खुद को सक्रिय राजनीति से दूर कर चुके थे लेकिन पार्टी में सलाहकार के तौर पर उनकी बड़ी भूमिका रहती थी।
कोरोना ने बदले समीकरण
कोरोना वायरस ने जहां विश्व में जिंदगी के तरीकों को बदला है वहीं भारत की राजनीति में कई समीकरण बदल दिए हैं। आर्थिक अस्थिरता से जूझ रही सरकार के सामने अब चुनौती फिर ये योजना बनाने की है।