इस समुदाय में शादी से पहले लड़कियों का होता है वर्जिनिटी टेस्ट, एनएचआरसी ने भेजा नोटिस

टीम भारत दीप |

एनएचआरसी ने यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के वकील राधाकांत त्रिपाठी की एक शिकायत पर दिया है।
एनएचआरसी ने यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के वकील राधाकांत त्रिपाठी की एक शिकायत पर दिया है।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव अजोय मेहता को जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है। एनएचआरसी ने इस तरह के रिवाज का पालन करने से रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के संबंध में एक रिपोर्ट भी पेश करने के लिए कहा है।

मुम्बई। भले ही हम 21वीं सदीं में पहुंच गए हों, लेकिन जागरूकता के आभाव में आज भी हमारे सामाज में तमाम कुरीतियां व्याप्त हैं, जो हमें शर्मिन्दा होने को मजबूर करती हैं। दरअसल महाराष्ट्र से एक हैरान करने के साथ ही शर्मिन्दा करने वाली खबर सामने आई है।

जानकारी के मुताबिक यहां कंजरभट समुदाय की लड़कियों की वर्जिनिटी टेस्ट कराने की परंपरा है। जिसको लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव अजोय मेहता को जांच कर रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है।

बताया गया कि एनएचआरसी ने इस तरह के रिवाज का पालन करने से रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के संबंध में एक रिपोर्ट भी पेश करने के लिए कहा है। एनएचआरसी ने यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के वकील राधाकांत त्रिपाठी की एक शिकायत पर दिया है।

दरअसल वकील ने तर्क दिया कि राज्य में कंजरभट समुदाय में लड़कियों को शादी से पहले वर्जिनिटी टेस्ट से गुजरना पड़ता है। उनके मुताबिक यदि लड़की शादी से पहले शारीरिक संबंध बनाई रहती है तो उसे बेरहमी से पीटा जाता है। कहा गया कि इसे रोकने के लिए एक व्हाट्सऐप ग्रुप बनाया गया है।

हालांकि ग्रुप के एक सदस्य ने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा था कि पंचायत के सदस्यों ने वर्जिनिटी टेस्ट में पास करने के लिए एक जोड़े से रिश्वत ली। वहीं उन्होंने आरोप लगाया कि अधाकारियों ने इसकी जानकारी होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की।

आरोप के मुताबिक अधिकारियों को उक्त के बारे में पता होने के बावजूद, वे इसके खिलाफ कोई कार्रवाई करने में विफल रहे हैं। इधर एनएचआरसी के नोटिस के मुताबिक राज्य अधिकारियों ने कहा है कि वर्जिनिटी टेस्ट की सूचना मिलने के बाद प्रशासन ने स्वयंसेवकों और गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) समूह के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की।

वहीं बताया गया कि राज्य द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में वर्जिनिटी टेस्ट को रोकने और समुदाय के लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों का उल्लेख नहीं है। रिपोर्ट में बताया गया कि उन मीटिंग का भी उल्लेख नहीं किया गया है जो इसके खिलाफ लड़ाई लड़ रहे लोगों के साथ की गई हो।

वहीं एनएचआरसी ने मुख्य सचिव और पुणे के पुलिस उपायुक्त से कहा है कि बैठक के चार सप्ताह के अन्दर कार्यकर्ताओं के साथ बैठक और राज्य सरकार द्वारा इस अभ्यास पर अंकुश लगाने के लिए किए गए प्रयासों से उन्हें अवगत कराया जाए।


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