नीतीश सरकार के डीजल अनुदान बंद करने से किसानों की बढ़ी दुश्वारियां, अधिकारी दे रहे ये तर्क
दरअसल डीजल की कीमत बढ़ने के साथ राज्य सरकार ने किसानों को मिलने वाली अनुदान की राशि भी बढ़ा दी थी। सरकार किसानों को तीन सिंचाई के लिए प्रति लीटर 60 रुपये की दर से अनुदान देती थी। लगभग दस वर्षों से हर साल चली आ रही यह योजना इस बरस बंद हो गई।
पटना। बिहार में सत्ता की वापसी को लेकर भले ही नितीश जनसमर्थन का दावा करते रहे हो। लेकिन यहां अन्नदाता की दुश्वारियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। डीजल की कीमतों में वृद्धि से पहले से ही बेहाल किसानों की परेशानी और बढ़ गई है।
बिहार में अब राज्य सरकार ने उनको डीजल अनुदान देना भी बंद कर दिया है। खरीफ में किसानों को डीजल अनुदान नहीं मिला। रबी में तो ऐसी कोई योजना ही नहीं है। ऐसे में किसान हलकान है।
दरअसल डीजल की कीमत बढ़ने के साथ राज्य सरकार ने किसानों को मिलने वाली अनुदान की राशि भी बढ़ा दी थी।
सरकार किसानों को तीन सिंचाई के लिए प्रति लीटर 60 रुपये की दर से अनुदान देती थी। मगर लगभग दस वर्षों से हर साल चली आ रही यह योजना इस बरस बंद हो गई। हालांकि लाभ लेने वालों की संख्या देखने से लगता है कि सरकार ने गत वर्ष ही इस योजना को बंद करने का मन बना लिया था।
गत वर्ष अनुदान के लिए 11.64 लाख किसानों ने आवेदन किया था। मगर सरकार ने मात्र 6.37 लाख को ही इसका लाभ दिया। इसके पहले वर्ष 2018-19 में 42.32 लाख किसानों ने आवेदन किया था और 30.02 लाख किसानों को इसका फायदा मिला था।
वहीं सरकार के मुताबिक पिछले वर्ष खरीफ में हर नक्षत्र में वर्षा हुई थी। अतः इसकी कोई जरूरत नहीं पड़ी। मगर रबी की फसल में योजना नहीं चलाने का तर्क न तो सरकार के पास है और न ही कृषि अधिकारियों के पास। अलबत्ता कृषि मंत्री अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने बिजली की प्रचुर उपलब्धता को इसका कारण बताया दिया है।
खरीफ में भी ऐसा नहीं है कि किसानों को सिंचाई के लिए डीजल की जरूरत नहीं पड़ी। यह बात तो ठीक है कि इस वर्ष खरीफ मौसम में सितम्बर तक 14 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई। मगर यह भी सच है कि अगस्त में राज्य में 29 प्रतिशत वर्षा की कमी भी दर्ज की गई है।
कटिहार और बक्सर को छोड़कर प्रत्येक जिले में उस समय वर्षा की भारी कमी थी। धान की खेती के लिए अगस्त का महीना बहुत ही अहम होता है। उसी महीने में खेतों की सिंचाई कर किसान खाद डालने का काम करते हैं। सरकार अनुदान तो सिर्फ सिंचाई के लिए डीजल पर देती थी।
लेकिन किसानों की डीजल पर निर्भरता कई और काम के लिए भी है। कटनी और दौनी के साथ बाजार तक पहुंचाने में ट्रैक्टर आदि के भी डीजल का ही उपयोग किसानों द्वारा किया जाता है। हार्वेस्टर भी डीजल पर ही चलता है। बहरहाल इस उदासीनता पर किसान हलकान है।