मिशन शक्तिः नोएडा शूटिंग रेंज को मिलेगा ‘सांड की आंख‘ वाली दादी चंद्रो तोमर का नाम

टीम भारत दीप |

दादी चंद्रो तोमर नारी सशक्तिकरण की आइकन हैं।
दादी चंद्रो तोमर नारी सशक्तिकरण की आइकन हैं।

चंद्रो तोमर पश्चिमी उत्तर प्रदेश का जाना पहचाना नाम बन गई थीं। ऐसे में प्रदेश सरकार ने नोएडा में स्थापित होने जा रही शूटिंग रेंज को दादी चंद्रो तोमर का नाम देने का फैसला किया है।

लखनऊ। वेटरन शूटर दादी चंद्रो तोमर के प्रति श्रद्धांजलि स्वरूप उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा में स्थापित होने जा शूटिंग रेंज को उनका नाम देने का फैसला किया है। अब यह शूटिंग रेंज दादी चंद्रो तोमर के नाम से जानी जाएगी। मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में इसका फैसला लिया गया। 

बता दें कि शूटर दादी के नाम विख्यात दो बहनों में से एक चंद्रो तोमर का इसी साल 30 अप्रैल को कोरोना संक्रमित होने के बाद निधन हो गया था। उनके निधन के बाद परिवार वालों ने स्थानीय प्रतिनिधियों द्वारा उचित सम्मान न देने का आरोप लगाया था। चंद्रो तोमर पश्चिमी उत्तर प्रदेश का जाना पहचाना नाम बन गई थीं। ऐसे में प्रदेश सरकार ने नोएडा में स्थापित होने जा रही शूटिंग रेंज को दादी चंद्रो तोमर का नाम देने का फैसला किया है। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दादी चंद्रो तोमर नारी सशक्तिकरण की आइकन हैं। उत्तर प्रदेश सरकार नारी सशक्तिकरण के लिए मिशन शक्ति अभियान भी चला रही है। शूटिंग रेंज का नाम दादी के नाम पर होना प्रदेश सरकार की मिशन शक्ति के तहत एक पहल है। 

60 की उम्र में ‘सांड की आंख‘ पर निशाना
10 जनवरी 1932 को शामली उत्तर प्रदेश में जन्मी चंद्रो तोमर कभी स्कूल नहीं गईं। 15 साल की उम्र में बागपत के जोहड़ी गांव में शादी होने के बाद उन्होंने अपने परिवार को ही संभाला। चंद्रो तोमर की नातिन को निशानेबाजी सीखनी थी लेकिन वे लड़कों के बीच जाने से झिझकती थीं। 

इस पर उनकी नातिनों ने उनसे साथ चलने को कहा। खाप परंपरा वाले माहौल से आने वाली दादी ने हमेशा परिवार में बेटियों को प्रोत्साहित किया। इस पर चंद्रो तोमर अपनी नातिन के साथ शूटिंग रेंज में पहुंची। वहां उनकी नातिन को पिस्टल लोड करने में दिक्कत हुई तो 60 की उम्र पार कर चुकी दादी ने उसे सिखाने के लिए पिस्टल लोड की और निशाना लगा दिया। 

शूटिंग क्लब के कोच फारूख पठान बताते हैं कि उस दिन रेंज में तहलका मच गया। दादी का निशाना बुल्स आय यानी सबसे सटीक जगह पर लगा था। इसके बाद कोच ने उनसे शूटिंग में भाग लेने का आग्रह किया और देखते ही देखते चंद्रो तोमर शूटर दादी बन गईं। 

30 चैंपियनशिप जीतकर बनाया रिकार्ड 
विश्व की सबसे अधिक उम्र की शूटर के नाम से जानी जाने वाली चंद्रो तोमर ने राष्ट्रीय स्तर की 30 प्रतियोगिताएं जीतकर इतिहास रच दिया था। ये कारनामा उन्होंने तब कर दिखाया जिस उम्र में लोग शूटिंग से बहुत दूर जा चुके होते हैं। 

फिल्म सांड की आंख के कलाकारों के साथ चंद्रो तोमर (काली शर्ट) और प्रकाशी तोमर। 

चंद्रो तोमर के साथ उनकी बहन प्रकाशी तोमर ने भी शूटिंग में भाग लिया। इनकी जोड़ी शूटर दादी के नाम से जानी जाती है। बाॅलीवुड में निर्देशक अनुराग कश्यप ने उनकी जीवनी पर फिल्म ‘सांड की आंख‘ बनाई थी। 

घर के काम-काज से तेज हुआ दिमाग
चंद्रो तोमर कभी स्कूल नहीं गईं लेकिन जब उन्होंने बुल्स आय पर निशाना लगाया तो सभी भौचक्के रह गए। बता दें कि शूटिंग के लिए दिमाग का तेज होना बहुत जरूरी होता है। 

न्यूयाॅर्क टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में दादी चंद्रो तोमर ने बताया कि बचपन से उन्होंने घर के सारे काम जैसे चक्की पीसना, जानवरों की देखभाल, खेती आदि काम किए थे। इसी से उनका दिमाग और नजर दोनों 60 की उम्र के बाद भी तेज बनी रहीं। 


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