अयोध्या में अफसरों और नेताओं ने रिश्तेदारों के नाम खरीदी जमीन,सरकार कराएगी जांच

टीम भारत दीप |

राजस्व विभाग के विशेष सचिव पूरे मामले की जांच करेंगे।
राजस्व विभाग के विशेष सचिव पूरे मामले की जांच करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट से मंदिर निर्माण का रास्ता साफ होने के बाद मंदिर निर्माण के लिए फरवरी 2020 में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन हुआ। इसके बाद ट्रस्ट ने मंदिर को भव्यता देने के लिए करीब 70 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया। इसके बाद यहां जमीन खरीदी के लिए होड़ मच गई।

लखनऊ। यूपी की धर्म नगरी अयोध्या में जब से भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ हुआ तभी से अयोध्या समेत आसपास के क्षेत्रों की जमीनों की कीमत सोने के भाव बिक रही है।

निर्माण कार्य शुरू होने के साथ ही जमीनों पर खरीद फरोख्त काफी तेज हो गई, इस काम में सरकारी नुमाइंदे भी शामिल है, जिन्होंने बड़ी चालाकी से पहले जमीन को ट्रस्ट में शामिल फिर रिश्तेदारों के नाम से खरीद ली। ऐसे एक नहीं कई मामले सामने आए है। 

फरवरी 2020 में  ट्रस्ट का गठन

सुप्रीम कोर्ट से मंदिर निर्माण का रास्ता साफ होने के बाद मंदिर निर्माण के लिए फरवरी 2020 में श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का गठन हुआ। इसके बाद ट्रस्ट ने मंदिर को भव्यता देने के लिए करीब 70 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया। इसके बाद यहां जमीन खरीदी के लिए होड़ मच गई। इसमें यहां तैनात अफसरों से लेकर विधायक और मेयर तक शामिल हो गए।

अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अयोध्या में तैनात तमाम छोटे-बड़े अधिकारियों ने अपने रिश्तेदारों के नाम पर यहां जमीनें खरीदी। खरीदारों में स्थानीय विधायक, महापौर,और राज्य OBC आयोग के एक सदस्य शामिल हैं, जिन्होंने अपने नाम पर जमीनें खरीदीं।

5 दिन के अंदर रिपोर्ट देनी है

इस मामले के सामने आने के बाद सरकार ने ऐसे लोगों पर कार्रवाई के इरादें से जांच के आदेश दे दिए है। राजस्व विभाग के विशेष सचिव पूरे मामले की जांच करेंगे। उन्हें 5 दिन के अंदर रिपोर्ट देनी होगी।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस खेल में कमिश्नर, उप-मंडल मजिस्ट्रेट, पुलिस उप महानिरीक्षक, सीओ, राज्य सूचना आयुक्त ने रिश्तेदारों के नाम पर जमीनें खरीदी हैं। अधिकारियों के परिवारों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर स्थल के पांच किमी के दायरे में जमीन खरीदी।

इस मामले में अयोध्या के जिलाधिकारी नीतीश कुमार ने कहा कि अगर कोई शिकायत आती है, तो जांच करेंगे। अभी तक तो कोई शिकायत नहीं आई है। मामला भी मेरे संज्ञान में नहीं है। ऐसे मामलों में किस अधिकारी ने कब और कैसे जमीन खरीदी, अगर इसके सबूत मिलते हैं, तो जांच होगी।

विपक्ष ने सरकार को घेरा

वहीं इस मामले के खुलासे के बाद सपा ने कहा है कि अयोध्या में बीजेपी के मेयर, विधायक और सांसद में जमीन खरीदने की होड़ लगी है। ये दलितों का हक छीन रहे हैं। गैर कानूनी रूप से दलितों से जमीन की खरीद की जांच उन्हीं के द्वारा की जा रही है जिनके रिश्तेदारों ने जमीन खरीदी थी।वहीं कांग्रेस ने कहा है कि रामद्रोही भाजपा राम को धोखा दे रही है। प्रभु श्रीराम के नाम पर मुनाफाखोरी कर रही है।

आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि देश के करोड़ों लोगों की आस्था प्रभु श्री राम के मंदिर में हैं। भाजपा के विधायकों और बाबा के अधिकारियों की आस्था ज़मीन की जालसाज़ी में है। उन्होंने सवाल पूछा कि- मोदी जी आख़िर कब होगी मंदिर का चंदा खाने वालों पर कार्यवाही।

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