मोदी सरकार का नया फैसला, ऑनलाइन न्यूज पोर्टल और कंटेन्ट प्रोवाइटर अब होंगे सूचना प्रसारण मंत्रालय के अंडर में, जाने नए नियम
डिजिटल मीडिया पर देखे और सुने जाने वाले कार्यक्रम, समाचार व करेंट अफेयर्स अब सूचना मंत्रालय के नियंत्रण में लाए जायेंगे। यानि अब देश में चलने वाले सभी ऑनलाइन कार्यक्रम, आडियो-वीडियों कार्यक्रम, ऑनलाइन फिल्में, ऑनलाइन समाचार व अन्य कंटेन्ट अब से सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत आ आएंगे।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने ऑनलाइन न्यूज पोर्टलों, ऑनलाइन कॉन्टेंट प्रोवाइडरों को लेकर एक बड़ा फैसला किया है। इस संबंध में एक नोटिफिकेशन जारी किया गया है। जिसके तहत डिजिटल मीडिया पर देखे और सुने जाने वाले कार्यक्रम, समाचार व करेंट अफेयर्स अब सूचना मंत्रालय के नियंत्रण में लाए जायेंगे। यानि अब देश में चलने वाले सभी ऑनलाइन कार्यक्रम, आडियो-वीडियों कार्यक्रम, ऑनलाइन फिल्में, ऑनलाइन समाचार व अन्य कंटेन्ट अब से सूचना और प्रसारण मंत्रालय के तहत आ आएंगे।
बता दें कि केंद्र सरकार ने इसके पहले सुप्रीम कोर्ट में एक मामले में वकालत की थी कि ऑनलाइन माध्यमों का नियमन टीवी से ज्यादा जरूरी है। इसी क्रम में अब सरकार ने ऑनलाइन माध्यमों से न्यूज या कॉन्टेंट देने वाले माध्यमों को मंत्रालय के आधीन लाने का कदम उठाया है। कैबिनेट सचिवालय की ओर से जारी एक अधिसूचना के मुताबिक, नेटफ्लिक्स जैसे ऑनलाइन सामग्री प्रादाताओं को भी मंत्रालय के दायरे में लाया गया है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हस्ताक्षर वाली इस अधिसूचना में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 77 के खंड तीन में निहित शक्तियों का उपयोग करते हुए भारत सरकार ने (कार्य आबंटन) नियमावली, 1961 को संशोधित करते हुए यह फैसला लिया है। अधिसूचना के साथ ही यह तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है और सूचना व प्रसारण मंत्रालय को ऑनलाइन मंचों पर उपलब्ध फिल्म, ऑडियो-वीडियो, न्यूज और करंट अफेयर्स से संबंधित सामग्रियों की नीतियों के विनियमन का अधिकार मिल गया है।
अधिसूचना के मुताबिक, ‘इन नियमों को भारत सरकार (कार्य आबंटन) 357वां संशोधन नियमावली, 2020 कहा जाएगा। ये एक ही बार में लागू हो जाएंगे। बताते चलें कि वर्तमान में डिजिटल कंटेंट के नियमन के लिए कोई कानून या फिर स्वायत्त संस्था नहीं है। प्रेस आयोग प्रिंट मीडिया के नियमन, न्यूज चैनलों के लिए न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन और एडवर्टाइजिंग के नियमन के लिए एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया है। वहीं, फिल्मों के लिए सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन है।
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर स्वायत्त नियमन की मांग वाली याचिका को लेकर केंद्र की प्रतिक्रिया मांगी थी। शीर्ष अदालत ने इस संबंध में केंद्र सरकार, सूचना व प्रसारण मंत्रालय और मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया को नोटिस भेजा था। इस याचिका में कहा गया था कि इन प्लेटफॉर्म्स के चलते फिल्ममेकर्स और आर्टिस्ट्स को सेंसर बोर्ड के डर और सर्टिफिकेशन के बिना अपना कंटेंट रिलीज करने का मौका मिल गया है।
बताते चलें कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर न्यूज पोर्टल्स के साथ-साथ हाॅटस्टार, नेटफिलिक्स और अमेजन प्राइम वीडियो जैसे स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स भी आते हैं। मंत्रालय ने अदालत को एक अन्य केस में बताया था कि डिजिटल मीडिया के नियमन की जरूरत है। मंत्रालय ने यह भी कहा था कोर्ट मीडिया में हेट स्पीच को देखते हुए गाइडलाइंस जारी करने से पहले एमिकस के तौर पर एक समिति की नियुक्ति कर सकता है।
वहीं पिछले साल सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि सरकार कोई ऐसा कदम नहीं उठाएगी, जिससे कि मीडिया की स्वतंत्रता पर कोई असर पड़ेगा। हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ-साथ फिल्मस् पर जिस तरह का नियमन है, उसी तरह का कुछ नियमन ओवर-द-टॉप ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर भी होना चाहिए।