सरकारी व्यवस्था की खुली पोल, मां की मौत के बाद बेबस परिवार शव घर में छोड़कर जंगल भागा
महिला का शव छोड़ कर उसके दो बेटे लाल भरत और रमाकांत अपनी पत्नी और बच्चों को लेकर जंगल में चले गए, जबकि तीसरा बेटा भी कहीं चला गया। जब बस्ती के लोगों को इसकी जानकारी हुई तो सपेशरी घर के आस-पास लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई।
चंदौली। कोरोना वायरस की वजह से कई परिवारों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया। काम धंधे बंद होने के कारण घरों में दोनों समय चूल्हे तक नहीं जल रहे है। ऐसे में किसी बीमार का इलाज या अंतिम संस्कार करना तो पहाड़ जैसा हो गया।
ऐसे ही एक परिवार की कहानी सामने आई है यूपी के चंदौली से। यहां एक परिवार अपने मां का शव छोड़कर जंगल में भाग गया। जब ग्राम प्रधान को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने अंतिम संस्कार की सामग्री इकट्ठा करवाई और महिला का अंतिम संस्कार किया गया। इस घटना ने सरकार की सारी योजनाओं की पोल खोलकर रख दी।
यूपी के चंदौली नौगढ़ चकरा घटा थाना क्षेत्र के बाजरडीहा गांव वनवासी बस्ती निवासी छपपन वनवासी 95 वर्ष की 2 दिन पहले मौत हो गई थी। परिवार के पास इतना पैसा नहीं था कि वह मां का अंतिम संस्कार कर सकें, इसलिए घर में मां का शव छोड़र सभी जंगल में चले गए।
बताया गया कि महिला का शव छोड़ कर उसके दो बेटे लाल भरत और रमाकांत अपनी पत्नी और बच्चों को लेकर जंगल में चले गए, जबकि तीसरा बेटा भी कहीं चला गया। जब बस्ती के लोगों को इसकी जानकारी हुई तो सपेशरी घर के आस-पास लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई।
लोगों ने कहा कि उनका अंतिम संस्कार किया जाना जरूरी है। इसके बाद इसकी जानकारी गंगापुर के प्रधान मौलाना यादव को दी गई। प्रधान ने अंतिम संस्कार के लिए जरूरी सामान उपलब्ध कराया और परिवार के लोगों की तलाश शुरू की गई।
ग्रामीणों के खोजने पर एक बेटा मिला और उसी से अंतिम संस्कार करवा दिया गया। इस विषय में ग्राम सचिव महेंद्र मौर्य ने कहा कि कोरोना कर्फ्यू के चलते मनरेगा का भी काम बंद चल रहा है। इसके चलते लोगों के सामने रोजगार का संकट है।
वनवासी परिवार को राशन आदि की व्यवस्था कराई गई है। ग्राम प्रधान ने शपथ ले ली है, जल्द ही मनरेगा का काम शुरू हो जाएगा तो परिवार के लोगों ने रोजगार भी उपलबध हो जाएगा।
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