विपक्षियों ने पकड़ ली सरकार की कमजोर नस, 5 बजे 5 मिनट के बाद अब 9 बजे 9 मिनट का प्लान
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कोरोना के कारण लाॅकडाउन के शुरूआती दिनों में पीएम ने कोरोना वारियर्स का हौसला बढ़ाने के लिए ताली और थाली बजाने की बात कही थी।
पाॅलिटिकल डेस्क। रोम जल रहा है और नीरो बंशी बजा रहा है, अब तक ऐसी पोस्ट केवल सोशल मीडिया पर करने वाली विपक्षी पार्टियों को अब सरकार की कमजोर नस पकड़ में आई है। दरअसल कोरोना महामारी के बाद देश में बेरोजगारी की समस्या बढ़ी है।
रोजाना सोशल मीडिया पर जीडीपी के रसातल में जाने के किस्से पढ़ने के बाद अब देश का युवा बेहाल है। उसकी घबराहट बढ़ाने में सरकार का रोल भी कम नहीं है। एक तो लगातार प्राइवेटाइजेशन की खबरों पर सरकार कान में रूई डाल कर बैठी है वहीं तीन-तीन साल से परीक्षाओं के परिणाम लंबित हैं।
हिंदू-मुस्लिम, पाकिस्तान-चीन के किस्से पढ़कर बोर हो चुके युवाओं ने 5 सितंबर को प्रधानमंत्री की तरकीब से ही उनको निशाना बना लिया। कोरोना के कारण लाॅकडाउन के शुरूआती दिनों में पीएम ने कोरोना वारियर्स का हौसला बढ़ाने के लिए ताली और थाली बजाने की बात कही थी। बेरोजगार युवाओं ने इसी तरकीब से अपनी बात सरकार तक पहुंचाने का काम किया।
इधर खुद को हाईलाइट करने के लिए मुद्दा तलाश रही कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों ने इसे हाथों-हाथों हाथ लिया। नतीजा ये हुआ कि सरकार को दबाव में आकर सालों से लंबित रेलवे भर्ती परीक्षा की घोषणा करनी पड़ी। खुद रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने इसका वीडियो जारी कर एलान किया।
अपनी इस छोटी सी सफलता पर भी देश के युवा उत्साहित हैं। इधर विपक्ष भी समझ गया है कि सरकार की कमजोर नस यही है। ऐसे में 5 सितंबर को 5 बजे 5 मिनट की सफलता के बाद अब 9 सितंबर को 9 बजे 9 मिनट का कार्यक्रम बनाया गया है।
इसमें पीएम के दूसरे तरीके लाइट बुझाने को इस्तेमाल करते हुए अपनी बात सरकार तक पहुंचाने की अपील की जा रही है। देश में कांग्रेस और उत्तर प्रदेश में सपा ने इस मुद्दे को भुनाने की पूरी तैयारी कर ली है।
हालांकि भाजपा के साथ रोजगार का सवाल कांग्रेस के सामने भी है क्योंकि कई कांग्रेस शासित राज्यों में भी नौकरियों का हाल बहुत अच्छा नहीं है।