ओवैसी बोले- अयोध्या की मस्जिद में नमाज पढ़ना हराम, ऐसा मिला जवाब कि बोलती हो गई बंद
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए अतहर हुसैन ने कहा, इस धरती पर जहां भी अल्लाह के लिए नमाज पढ़ी जाती है वह जगह हराम नहीं हो सकती। उन्होंने आगे कहा जिस इलाके से ओवैसी आते हैं वहां 1857 में हुई आजादी की पहली लड़ाई की तकलीफ नहीं महसूस की गई।
अयोध्या। अयोध्या के धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद को लेकर विवाद शुरू हो गया। मालूम हो कि गत दिवस एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी के अयोध्या में बनने वाली मस्जिद में नमाज पढ़ने को हराम बताया था।
इसके बाद अयोध्या मस्जिद ट्रस्ट के सचिव और इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन के अतहर हुसैन ने इसे ओवैसी के राजनीतिक एजेंडे से जुड़ा बयान बताया है।
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए अतहर हुसैन ने कहा, इस धरती पर जहां भी अल्लाह के लिए नमाज पढ़ी जाती है वह जगह हराम नहीं हो सकती।
उन्होंने आगे कहा जिस इलाके से ओवैसी आते हैं वहां 1857 में हुई आजादी की पहली लड़ाई की तकलीफ नहीं महसूस की गई। यह भी मुमकिन है कि ओवैसी के पूर्वजों ने 1857 में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ विद्रोह में हिस्सा ही न लिया हो।
ट्रस्ट ने याद दिलाई 1857 की
अवध को इस बगावत का केंद्र बताते हुए अतहर हुसैन ने कहा कि अयोध्या में बनने वाला इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन का यह केंद्र अहमदुल्लाह शाह को समर्पित है जिन्होंने फैजाबाद को ब्रिटिश हुकूमत से तकरीबन एक साल के लिए आजाद बनाए रखा था।
हुसैन ने ओवैसी से पूछा अहमदुल्लाह शाह की शहादत को सम्मान देते हुए इस सेंटर का नाम हमने अहमदुल्लाह शाह पर रखा है तो क्या वह भी हराम है।
ओवैसी ने यह कहा था
इससे पहले ओवैसी ने मंगलवार को कर्नाटक के बीदर में कहा था कि अयोध्या के धन्नीपुर में बनने वाली मस्जिद इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ है। उसे मस्जिद नहीं कहा जा सकता, इस लिहाज से इसके निर्माण के लिए डोनेशन देना और वहां नमाज पढ़ना दोनों ही हराम हैं।
राजनीतिक जमीन तलाश रहे ओवैसी
मालूम हो कि ओवैसी यूपी के छोटे दलों से गठबंधन करके 2022में विधानसभा चुनाव लडना चाहते है, इसलिए वह सुर्खियों में रहने के लिए ऐसे बयान दे रहे है। अब देखना है कि ओवैसी के इस बयान के बाद कैसी प्रतिक्रिया आती है।