जहरीली शराब का दर्द: 30 वर्षीय भाई का शव लेकर अंतिम संस्कार के लिए पहुंचा 8 वर्षीय लाल बाबू

टीम भारत दीप |

भाई का अंतिम संस्कार करता लाल बाबू। फोटो सोशल मीडिया
भाई का अंतिम संस्कार करता लाल बाबू। फोटो सोशल मीडिया

लाल बाबू ने बताया कि जहरीली शराब पीने से पिता मिश्री की तीन जून को मौत हो गई थी। मां जमरती का जेएन मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है। घर में एक भाई ही सहारा बचे थे, अब वह भी दुनिया चले गए। लाल बाबू के फटे पुराने कपड़े देखकर नूतन राजपूत ने उसे दो जोड़ी कपड़े दिलवाए।

अलीगढ़।  अलीगढ़ में भले ही जहरीला शराब से मौत का सिलसिला थम गया है, लेकिन दर्द का अंत नहीं होने वाला है। कई परिवारों को जीवन भर का दर्द मिला है। ऐसा ही एक परिवार है। लाल बाबू का। लाल बाबू अभी आठ साल के ही है, लेकिन जहरीली शराब की वजह से उनके पिता और भाई की मौत हो गई।

मां अभी अस्पताल में जीवन और मौत से संघर्ष कर रही है। रविवार को लाल बाबू अपने  30 वर्षीय बड़े भाई छोटेलाल का शव लेकर अंतिम संस्कार के लिए श्मशान घाट पहुंचे थे। लाल बाबू की दर्द भरी कहानी सुनकर हर कोई सन्न रह गया। 

 लाल बाबू ने बताया कि जहरीली शराब पीने से पिता मिश्री की तीन जून को मौत हो गई थी। मां जमरती का जेएन मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा है। घर में एक भाई ही सहारा बचे थे, अब वह भी दुनिया चले गए। लाल बाबू के फटे पुराने कपड़े देखकर अंतिम संस्कार में जुटे मानव उपकार संस्था के कर्मचारी नूतन राजपूत ने उसे दो जोड़ी कपड़े दिलवाए।

दो जून को सभी ने पी थी शराब

मालूम हो कि दो जून को गांव रोहेरा स्थित खुशी ईंट उद्योग के श्रमिकों की टोली का राजू गंग नहर में मछली पकड़ने गया था। नहर के किनारे झाड़ियों में देसी शराब की तीन पेटियां मिलीं, जिसे वह अपने डेरे पर ले आया। सभी ने मछली के साथ शराब पी। कुछ देर बाद ही इन लोगों की तबियत बिगड़ने लगी। चारों तरफ कोहराम मच गया। 

तीन जून को बिहार के जहानाबाद जिला के काकू थाना क्षेत्र के सुंदरपुर गांव निवासी 50 वर्षीय मिश्री की मौत हो गई। बताते हैं कि मिश्री की पत्नी जमरती व 30 वर्षीय बेटे छोटे लाल ने भी शराब पी थी। इनका उपचार जेएन मेडिकल कालेज में चल रहा था।

शनिवार शाम को छोटे लाल ने दम तोड़ दिया। जिसका अंतिम संस्कार करने के लिए आठ वर्षीय लाल बाबू ही बचा था। रविवार को नुमाइश मैदान स्थित श्मशान स्थल में लाल बाबू ने बड़े भाई का अंतिम संस्कार किया।

सहमा व दुखी लाल बाबू ज्यादा कुछ बता नहीं पाया। पिता और भाई की मौत का गम उसके चेहरे पर नुमाया था, जिसने भी उसे देखा, उसकी आंखें नम हो गईं।लाल बाबू की मनोदशा देखकर हर किसी की आंख नम हो गई।

इसे भी पढ़ें...


संबंधित खबरें