किसान आन्दोलन:250 किसानों की मौत के बाद भी नेताओं की चुप्पी पर यूं बरसे मेघालय के राज्यपाल
उन्होंने कड़े शब्दों में नेताओं को घेरते हुए कहा कि यहां एक कुतिया मर जाती है तो नेताओं का शोकसंदेश आ जाता है। मगर आंदोलन करते-करते हमारे 250 से ज्यादा किसान मर गए और इस पर किसी के मुंह से एक शब्द तक नहीं फूटा।
नई दिल्ली। केन्द्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ बीते तीन महीनों से ज्यादा वक्त से चल रहे किसान आन्दोलन पर अब मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने नेताओं के रवैये पर कड़ा ऐतराज जताया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मलिक डीडवाना से दिल्ली जाते वक़्त झुंझुनूं में कुछ देर के लिए रुके थे। बताया गया कि इसी दौरान उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि किसान आदोलन जितना भी लम्बा खिचेगा। देश का उतना ही नुकसान होगा।
उन्होंने कड़े शब्दों में नेताओं को घेरते हुए कहा कि यहां एक कुतिया मर जाती है तो नेताओं का शोकसंदेश आ जाता है। मगर आंदोलन करते-करते हमारे 250 से ज्यादा किसान मर गए। और इस पर किसी के मुंह से एक शब्द तक नहीं फूटा। यह सरासर संवेदनहीनता है।
किसानों के प्रति सहानुभूति जताते हुए किसान अपना सबकुछ छोड़-छाड़कर यहां बैठे हैं। बताते चलें कि मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक डीडवाना से दिल्ली जा रहे थे। तभी वह कुछ समय के लिए झुंझुनूं में रुके हुए थे।
मलिक ने इस जगह को वीर शहीदों की धरती बताकर कहा कि यहाँ सड़कों के नाम शहीदों के नाम पर है और ये सब देखकर बहुत अच्छा लगा लगता है। आगे कहा गया कि यहां के हर गांव के बाहर एक शहीद की प्रतिमा लगी है। इससे ज्यादा शहादत किसी जिले ने नहीं दी है। इसलिए लोगों से कहता हूं कि तीर्थ करने की बजाय झुंझुनूं के गांवों में जाओ।
शहीद की पत्नी, मां और बच्चों से मिलो। उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि ऐसा मेरा मानना है कि इस आंदोलन का जल्द ही हल हो जाएगा। सब अपनी-अपनी जगह ठीक हैं। एमएसपी ही मुख्य मुद्दा है। इसे कानूनी कर देंगे तो सारा मामला हल हो जाएगा। कहा गया कि आंदोलन इतने समय तक नहीं चलना चाहिए। इसका हल होना चाहिए।
उन्होंने किसान आंदोलन में सरकार और किसानों के बीच मध्यस्थ बनने के सवाल पर कहा कि वे संवैधानिक पद पर हैं। बिचौलिया नहीं बन सकते। आगे कहा कि कृषि कानून पर किसान एकजुट हैं। बताते चलें कि सत्यपाल मलिक अपने खुले विचारों व मुखर प्रातक्रिया के लिए मशहूर है। उन्होंने 2 दिन पहले ही कहा था कि सरकार एमएसपी को कानूनी गारंटी दे।
साथ ही यह भी दावा किया था कि उन्होंने ही किसान नेता राकेश टिकैत की गिरफ्तारी रुकवाई थी और पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दोनों से दो अपील की थी। जिसमें पहली यह कि किसानों को खाली हाँथ नहीं भेजना है और दूसरी ये कि टिकैत को गिरफ्तार करना ठीक नहीं रहेगा।