पेगासस जासूसी कांड की होगी जांच:सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता में कमेटी बनाई
सुप्रीम कोर्ट ने उस अर्जी को भी खारिज कर दिया, जिसमें सरकार ने अपना एक्सपर्ट पैनल बनाने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा की बात करने से अदालत मूकदर्शक नहीं बन सकती। देश के हर नागरिक की निजता की रक्षा होनी चाहिए।
नई दिल्ली। पेगासस जासूसी मामले को लेकर कुछ माह पहले शुरू हुए बवाल को सुप्रीम कोर्ट ने प्रमुखता से लिया है। कोर्ट ने इसकी तह तक जाने के लिए जांच करवाने की फैसला लिया है।
अदालत ने जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया है, जो सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आर वी रवींद्रन की अध्यक्षता में काम करेगी। इस कमेटी से कहा गया है कि पेगासस से जुड़े आरोपों की तेजी से जांच कर रिपोर्ट सौंपे। अब 8 हफ्ते बाद फिर इस मामले में सुनवाई की जाएगी।
सरकारी पैनल बनाने की मांग खारिज
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने उस अर्जी को भी खारिज कर दिया, जिसमें सरकार ने अपना एक्सपर्ट पैनल बनाने की मांग की थी। कोर्ट ने कहा है कि सिर्फ सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा की बात करने से अदालत मूकदर्शक नहीं बन सकती। देश के हर नागरिक की निजता की रक्षा होनी चाहिए। इस मामले में केंद्र ने जो सीमित एफिडेविट दिया है, उसमें अस्पष्ट तौर पर इनकार किया गया है। यह पर्याप्त नहीं हो सकता।
3 सदस्यीय जांच कमेटी करेगी जांच
कोर्ट ने जो निर्देश दिया है उसके अनुसार पेगासस मामले की तीन सदस्यीय जांच कमेटी जांच करेगी। कमेटी में पूर्व IPS अफसर आलोक जोशी और इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ स्टैंडर्डाइजेशन सब-कमेटी के चेयरमैन डॉ. संदीप ओबेरॉय भी शामिल किए गए हैं।
इसके साथ ही तीन टेक्निकल टेक्निकल कमेटी भी बनाई गई है। इसमें साइबर सिक्योरिटी और डिजिटल फोरेंसिंक के प्रोफेसर डॉ. नवीन कुमार चौधरी, इंजीनियरिंग के प्रोफेसर डॉ. प्रभाकरन पी और कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अश्विन अनिल गुमस्ते के नाम हैं।
बता दें पेगासस मामले में कई पत्रकारों और एक्टिविस्ट ने अर्जियां दायर की थीं। इनकी मांग थी कि सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में जांच करवाई जाए। पिटीशनर्स ने ये भी कहा था कि मिलिट्री ग्रेड के स्पाइवेयर से जासूसी करना निजता के अधिकार का उल्लंघन है। पत्रकारों, डॉक्टर्स, वकील, एक्टिविस्ट, मंत्रियों और विपक्षी दलों के नेताओं के फोन हैक करना बोलने की आजादी के अधिकार से समझौता करना है।
पेगासस ऐसे करता है काम
साइबर सिक्योरिटी रिसर्च ग्रुप सिटीजन लैब के मुताबिक, किसी डिवाइस में पेगासस को इंस्टॉल करने के लिए हैकर अलग-अलग तरीके अपनाते हैं। एक तरीका ये है कि टारगेट डिवाइस पर मैसेज के जरिए एक “एक्सप्लॉइट लिंक” भेजी जाती है। जैसे ही यूजर इस लिंक पर क्लिक करता है, पेगासस अपने आप फोन में इंस्टॉल हो जाता है।
2019 में जब वॉट्सऐप के जरिए डिवाइसेस में पेगासस इंस्टॉल किया गया था तब हैकर्स ने अलग तरीका अपनाया था। उस समय हैकर्स ने व्हाट्सएप के वीडियो कॉल फीचर में एक कमी (बग) का फायदा उठाया था। हैकर्स ने फर्जी व्हाट्सऐप अकाउंट के जरिए टारगेट फोन पर वीडियो कॉल किए थे। इसी दौरान एक कोड के जरिए पेगासस को फोन में इंस्टॉल कर दिया गया था।
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