विश्व योग दिवसः योग के लिए प्रोत्साहित करती ये स्नेहिल कविता, जो कर लोगे तुम योग लगातार...
यूं तो योग एक प्रयोग की चीज है लेकिन इस प्रयोग के लिए लोगों में उत्साह होना चाहिए। ऐसा ही उत्साह भरने का कार्य यूपी के उन्नाव स्थित प्राथमिक विद्यालय सोहरामउ की प्रधानाध्यापिका स्नेहिल पांडेय कर रही हैं।
साहित्य डेस्क। आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है। योग भारत की प्राचीन पंरपरा का हिस्सा है। कोरोना जैसी भयंकर महामारी में भारत के इस उपहार ने कईयों का जीवन न सिर्फ बचाया बल्कि कोरोना की दवाई खोजने की अंधी दौड़ में लगे विश्व का एक उपचार का मार्ग प्रदान किया। शायद इसलिए इस योग दिवस की थीम भी योगा फाॅर वेलनेस यानी स्वास्थ्य के लिए योग रखी गई है।
यूं तो योग एक प्रयोग की चीज है लेकिन इस प्रयोग के लिए लोगों में उत्साह होना चाहिए। ऐसा ही उत्साह भरने का कार्य यूपी के उन्नाव स्थित प्राथमिक विद्यालय सोहरामउ की प्रधानाध्यापिका स्नेहिल पांडेय कर रही हैं। राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2020 से सम्मानित स्नेहिल पांडेय स्वयं भी कोरोना जैसी महामारी को मात दे चुकी हैं और अब वे प्रकृति के संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक भी कर रही हैं।
बहुत ही सहज भाषा में उनकी यह कविता आपको योग का महत्व समझाने के लिए जरूर काम आएगी। खास बात ये है कि इसे बच्चों की मैडम ने स्वयं लिखा है इसलिए आप बच्चों को भी इसके माध्यम से योग का महत्व सिखा सकते हैं-
जो कर लोगे तुम योग लगातार।
फिर ना ही पड़ोगे, तुम बीमार ।
जो कर लोगे तुम योग, लगातार। फिर ना ही पड़ोगे तुम, बेटा बीमार।
छरहरी होती काया भी, मिलती है मन को शांति भी ।
सुंदर से चेहरे पर, खिल जाती मुस्कान ।
अंग-अंग में हो स्फूर्ति, करे शक्ति की भी पूर्ति।
सभी चिंताओं से भी मुक्ति,
ना आये जुकाम, बुखार।
जो कर लोगे तुम योग लगातार।
फिर ना ही पड़ोगे, तुम बेटा बीमार।
जीवन में जो योग अपनाए,
सेहत ही सुधर जाए।
ईश्वर का तोहफा ये काया,
इसका रखो तुम ध्यान।
स्वास्थ्य का यह होता है बीमा,
जो रोज बहाओगे पसीना।
शरीर होगा निरोगी,
तुम करो योग से प्यार।।
जो कर लोगे तुम योगा लगातार।
फिर ना ही पड़ोगे बेटा, तुम बीमार।
- स्नेहिल पांडेय, राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2020 से सम्मानित, प्रधानाध्यापिका, प्राथमिक विद्यालय सोहरामउ, उन्नाव (उ. प्र.)