मोदीजी मत कीजिए कोई ऐसा काम, शौचालय की रौनक हो जाए नीलाम
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‘रंगजी‘ एटा के नगला टीला में जन्मे थे। मैनपुरी उनका क्रीड़ास्थल था। राष्ट्रकवि सोहनलाल द्विवेदी के शब्दों में ‘रंगजी‘ शीर्षस्थ कवियों में अग्रणी हैं।
मैनपुरी। मैनपुरी के होली पब्लिक स्कूल में बीती 30 नवंबर को मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। हर माह आयोजित होने वाली इस गोष्ठी का यह 94वां माह का कार्यक्रम था। इस बार गोष्ठी कवि बलवीर सिंह ‘रंग‘ के जन्ममाह पर आयोजित की गई।
साहित्यकार श्रीकृष्ण मिश्र एडवोकेट ने बताया कि ‘रंगजी‘ एटा के नगला टीला में जन्मे थे। मैनपुरी उनका क्रीड़ास्थल था। राष्ट्रकवि सोहनलाल द्विवेदी के शब्दों में ‘रंगजी‘ शीर्षस्थ कवियों में अग्रणी हैं। उनकी बेटी की शादी पर उनकी पक्तियां अत्यंत द्रावक हैं- ‘रहे अमर सौभाग्य न तेरी किस्मत हेटी गयी, पिया के गाँव अभावों के राजा की बेटी‘।
काव्यगोष्ठी में जनपद के प्रमुख कवियों ने भाग लिया। कवि धर्मेंन्द्र सिंह धरम ने पढ़ा कि- सिर्फ मिलता देखने को भाईचारा गाँव में, नोन-रोटी से भी होता है गुजारा गाँव में। रमेश चंद्र चक ने कहा कि अपना दुखः दुःखिया झेल गई सुत दुःख की शुरू कहानी है। यश कुमार मिश्रा ने पढ़ा कि कहां चले कहां चले ओढ़ के धवल कफन। मरूधरा की ताप लिए छोड़ के प्रिय वतन।
कवयित्री उर्मिला पांडेय ने कहा मां के आंचल की छाया में संसार भी छोटा लगता है। डॉ. मनोज कुमार सक्सेना ने कहा प्रीत की पीर से हम हारे हुए, वेदना के मेघ कजरारे हुए। प्रबोध भदौरिया ने कहा कि कोरोना की बीमारी सबके ऊपर है भारी मजदूरन की बात छोड दो कवियन तक की ख्वारी। उपेन्द्र भोला ने कहा कि मोदी जी मत कीजिए कोई ऐसा काम, शौचालय की रौनक हो जाए नीलाम।
प्रशान्त भदौरिया ने कहा कि जो जैसा होता है वैसा दिख पाता है क्या घुन कभी गेहूं के भाव बिक पाता है क्या। बालक राम राठौर ने कहा कि मैंने मंदिर बनाया तुम्हारे लिए दीप माला जलाना हमारे लिए। डॉ. अरविंद पाल भोगांव ने कहा कि बिना मारे सौ दुश्मन को कभी मैं मर नही सकता। गलत फहमी में मत रहना कि मैं कुछ कर नहीं सकता।
मुनीम सिंह चैहान ने कहा कि जीवन जी जीवन बिना जीवन में कुछ नाय जीवन के गये जीवन मिलता नाय। श्रीकृष्ण मिश्र एडवोकेट ने कहा कि भूखा रोटी चाहता भरे पेट को रार, भूखों को लड़वा के दल रास्ते सरकार।
काव्यगोष्ठी में प्रमुख रूप से अभय शर्मा, ज्ञानेन्द्र दीक्षित, डॉ. अनुराग दुबे, ज्ञानेश्वर सक्सेना, रामप्रकाश पाण्डेय, शिशुपाल सिंह चैहान, अनुभव सक्सेना, संजीव शर्मा आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
गोष्ठी की अध्यक्षता कवि श्रीकृष्ण मिश्र एडवोकेट ने की। मुख्य अतिथि विघासागार शर्मा रहे। काव्यगोष्ठी का संचालन बदन सिंह मस्ताना ने किया। अंत में संयोजक विनोद माहेश्वरी ने कवि एवं आगंतुकों को धन्यवाद दिया।