योगी के अफसरों की बेपरवाही से बिगड़ रही यूपी के तमाम शहरों की आबो-हवा, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने शासन से की शिकायत

टीम भारत दीप |

हवा प्रदूषण नियंत्रित करने में सरकारी विभाग पूरी तरह से फेल साबित हो रहा है।
हवा प्रदूषण नियंत्रित करने में सरकारी विभाग पूरी तरह से फेल साबित हो रहा है।

उत्तर प्रदेश समेत यहां के तमाम शहरों की आबो-हवा इन दिनों प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंच रही है। वहीं इसके लिए जिम्मेदार अफसर दिशा-निर्देशों पर लगातार लापरवाह नजर आ रहे है। इसे लेकर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड खासा नाराज है।

लखनऊ। उत्तर प्रदेश समेत यहां के तमाम शहरों की आबो-हवा इन दिनों प्रदूषण के खतरनाक स्तर पर पहुंच रही है। वहीं इसके लिए जिम्मेदार अफसर दिशा-निर्देशों पर लगातार लापरवाह नजर आ रहे है। इसे लेकर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड खासा नाराज है। बोर्ड ने 14 शहरों में नगर निगम, विकास प्राधिकरण, परिवहन समेत 11 सरकारी विभागों को चिन्हित कर कहा है कि इनके अफसर दिशा-निर्देशों के प्रति लापरवाह हैं।

बोर्ड को यह जानकारी नहीं दी गई है कि इन अफसरों द्वारा प्रदूषण नियंत्रण के लिए क्या ठोस कदम उठाए जा रहे हैं ? बोर्ड ने प्रमुख सचिव पर्यावरण को पत्र लिखकर शासन से कड़े दिशा-निर्देश जारी करने की बात कही है। बता दें कि बीते रोज एनजीटी के आदेश पर गृह विभाग ने उत्तर प्रदेश के 13 शहरों में दिवाली पटाखा जलाने पर बैन लगाया गया है।

बता दें कि हवा को जहरीली करने में वाहनों का धुआं, उद्योगों द्वारा वायु प्रदूषण के मानकों का उल्लंघन। साथ ही रोड डस्ट का सबसे अधिक योगदान है। शहर की प्रमुख सड़कों की धूल व अन्य पार्टिकल्स की जांच में पता चला है कि शहर के पीएम-10 में 87 प्रतिशत तथा पीएम 2.5 में 77 प्रतिशत प्रदूषित पार्टिकल्स रोड डस्ट के कारण हैं।

कुछ सड़कों पर एक किमी की एरिया में 100 किग्रा तक धूल पाई गई है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट से भी पता चला है कि राजधानी की हवा को प्रदूषित करने में सूक्ष्म कण पीएम 2.5 जिम्मेदार है। इसके बढ़े होने की वजह निर्माण वाली साइट पर धूल उड़नें, वाहनों के गैस उत्सर्जन और सड़कों पर जमी धूल है। इसे नियंत्रित करने में सरकारी विभाग पूरी तरह से फेल साबित हो रहा है।

बोर्ड द्वारा दिये गये निर्देशों के क्रम में रोड डस्ट को नियंत्रित करने करना, खस्ताहाल सड़कों की मरम्मत करवाना, निर्माण सामग्री को खुले में रखने पर प्रतिबंधित करना, निर्माण साइटों को ग्रीन कवर से ढाका जाना, बिना पीयूसी प्रमाण वाले वाहनों का संचालन प्रतिबंधित किया जाना, हाट स्पॉट वाले क्षेत्रों में ट्रैफिक जाम को रोकना, कृषि अपशिष्ट व पराली के जलाने वालों पर कार्रवाई करना, होटल-ढाबों में लकड़ी जलाने पर प्रतिबंधित करना, प्रदूषण नियंत्रण के लिए जागरूकता अभियान चलाना आदि शामिल है।

जिन विभागों को डिफाल्टर बताया गया है। उनमें नगर निगम, विकास प्राधिकरण, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी, आवास विकास, परिवहन, यातायात, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, लोक निर्माण विभाग, सेतु निगम, जल निगम और जिला प्रशासन शामिल है।
 


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