प्रधानमंत्री की फोटो लगाकर बनाया पोर्टल, सोशल मीडिया पर विज्ञापन देकर ठगी करने वाला गिरफ्तार
महाराष्ट्र पुलिस ने सोमवार को अलीगढ़ के थाना सासनी गेट क्षेत्र में आगरा रोड पर छापा मारकर प्रधानमंत्री बीमा योजना के नाम पर साइबर ठगी करने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह के सरगना को गिरफ्तार कर लिया है। महाराष्ट्र पुलिस उसे अपने साथ ले गई है। पुलिस को उसके पास से 20 से अधिक लैपटॉप 300 से अधिक सिम कार्ड, मोबाइल, हार्ड डिस्क बरामद हुई।
अलीगढ़। आनलाइन ठगी करने वाले एक से बढकर एक उपाय अपनाकर लोगों की गाढी कमाई पर चपत लगा रहे है। कभी काल सेंटर तो कभी बैंक अधिकारी बनकर। अब नया खुलासा महाराष्ट्र की पुलिस ने किया है।
यहां आरोपित प्रधानमंत्री बीमा योजना के नाम से फर्जी पोर्टल बनाकर लोगों को ठग रहे थे। इसके लिए ठग आनलाइन सोशल मीडिया पर विज्ञापन देकर लोगों को अपनी जाल में फंसाते थे। महाराष्ट्र पुलिस ने सोमवार को अलीगढ़ के थाना सासनी गेट क्षेत्र में आगरा रोड पर छापा मारकर प्रधानमंत्री बीमा योजना के नाम पर साइबर ठगी करने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह के सरगना को गिरफ्तार कर लिया है।
महाराष्ट्र पुलिस उसे अपने साथ ले गई है। पुलिस को उसके पास से 20 से अधिक लैपटॉप 300 से अधिक सिम कार्ड, मोबाइल, हार्ड डिस्क बरामद हुई। सरगना के साथ-साथ उसके साले को भी गिरफ्तार किया गया है। पुलिस के मुताबिक, पिछले पांच सालों में इस गिरोह ने देश भर में लाखों लोगों से 200 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की है।
ठगी का सरगना संजीव सूर्यवंशी और उसका कॉल सेंटर सोशल मीडिया पर विज्ञापन करके कस्टमर तक अपने पोर्टल और उसकी योजनाओं को पहुंचाता था। सोशल मीडिया पर निर्धारित क्षेत्र में और खास वर्ग तक विज्ञापन पहुंचाने की सुविधा रहती है। इसका फायदा साइबर ठग बखूबी उठाता था।
इस तरह करते थे ठगी
सरगना संजीव सूर्यवंशी ने प्रधानमंत्री बीमा योजना के नाम से एक पोर्टल तैयार कर रखा है, जिस पर प्रधानमंत्री की तस्वीर भी लगा रखी है। इस पर प्रधानमंत्री बीमा योजना के अंतर्गत विभिन्न प्रकार के उत्पाद प्रस्तुत किए गए हैं।
यह बीमा इस तरह का है कि जिसमें बहुत कम प्रीमियम पर ज्यादा रिस्क कवर का दावा किया गया है। इसके विभिन्न प्रोडक्ट देखकर कोई भी व्यक्ति आसानी से आकर्षित हो सकता है। जब कोई व्यक्ति पोर्टल पर जाकर प्रोडक्ट को सर्च कर रहा होता था और किसी प्रोडक्ट पर क्लिक कर देता था तो उसकी ईमेल आईडी और अन्य विवरण अलीगढ़ स्थित कॉल सेंटर के सर्वर पर आ जाते थे।
इस तरह एक समय में हजारों यूजर का डाटा सर्वर पर इकट्ठा हो जाता था। इसके बाद अलीगढ़ में कॉल सेंटर पर बैठे युवक युवतियां संबंधित व्यक्ति से संपर्क करके उसको बीमा योजना के लाभ से अवगत कराते थे। यदि कोई बीमा लेता था तो तयशुदा रकम पोर्टल से जुड़े ई वॉलेट में ट्रांसफर कर देता था। इस तरह बीमा प्रोडक्ट को लेने वाले व्यक्ति को पता ही नहीं होता था कि वह ठगी का शिकार हो गया है।
इसलिए नहीं आया पुलिस की नजर में
पिछले पांच साल से आरोपित लोगों को ठग रहा था। इस मामले में सबसे सवाल है कि इतने दिन तक वह बचा कैसे रहा है। इस पर सीओ प्रथम प्रशांत कुमार ने बताया कि महाराष्ट्र पुलिस ने अलीगढ़ आकर कुछ तथ्यों की जानकारी दी।
महाराष्ट्र पुलिस ने बताया कि सरगना इतना शातिर था कि रकम को सीधे अपने खाते में ट्रांसफर नहीं करवाता था, जिस ई वॉलेट में रकम जाती थी, वह ई वॉलेट छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश की आईडी पर सक्रिय हैं। इससे जांच एजेंसियों को यह लगता था कि ठगी का सरगना छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश में बैठा हुआ है।
छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश से पैसा किसी माध्यम से सरगना तक पहुंचता था। इसलिए जांच एजेंसियों को यहां तक पहुंचने में समय लगा। जांच एजेंसियों को फोकस वहां पर था, जहां पर ई वॉलेट सक्रिय थे।
दो साल पहले भी पकड़ा गया था गिरोह
अलीगढ़ में साइबर ठगी का यह पहला मामला नहीं है। थाना क्वार्सी क्षेत्र में रामघाट रोड पर दो वर्ष पहले रोजगार देने के नाम पर एक रैकेट का पर्दाफाश किया गया था, जो नौकरी के नाम पर लोगों से ठगी किया करता था।
उसका नेटवर्क इतना बड़ा नहीं था जितना संजीव सूर्यवंशी का है। पुलिस के मुताबिक अभी इस मामले में प्रारंभिक स्थिति है। अनुमान लगाया जा रहा है कि देश में बड़े पैमाने पर लाखों लोगों से ठगी हुई होगी। ये बातें पूछताछ में और जांच में सामने आएंगी।