यूपी में बढ़ा बिजली का संकट, कोयले की कमी से आठ पावर प्लांट बंद, 7 से 8 घंटे हो रही बिजली कटौती

टीम भारत दीप |

पावर कॉरपोरेशन ज्यादा मात्रा में एक्सचेंज से बिजली नहीं खरीद पा रहा है।
पावर कॉरपोरेशन ज्यादा मात्रा में एक्सचेंज से बिजली नहीं खरीद पा रहा है।

इस वजह से प्रदेश के बड़े शहरों में भी बिजली कटौती हो गई है। आंकड़ों की बात करे तो उप्र में मौजूदा समय में बिजली की मांग 20,000 से 21,000 मेगावाट के बीच है। वहीं सप्लाई सिर्फ 17000 मेगावाट तक हो पा रही है। ऐसे में चार हजार मेगावाट बिजली की कमी होने लगी है।

लखनऊ। यूपी समेत देश के कई राज्यों में नया संकट खड़ा हो गया है और यह संकट है बिजली कटौती का। बिजली कटौती का मुख्य वजह बना रहा है कोयले की कमी। कोयला समय से नहीं मिलने की वजह से यूपी की 8 यूनिट बंद हो गई थी। इस संकट से आने वाले एक सप्ताह तक निजात नहीं मिलती दिख रही।

 खुद पावर कॉरपोरेशन के अधिकारी मान रहे हैं कि 15 अक्टूबर तक परेशानी रहेगी। अब यूनिट बंद होने से बिजली कटौती भी बढ़ गई है। इसमें सबसे ज्यादा परेशानी ग्रामीण सेक्टर में है। उप्र राज्य विद्युत उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने आरोप लगाय है कि ग्रामीण सेक्टर में 7 से 8 घंटे तक बिजली कटौती की जा रही है। 

इस वजह से प्रदेश के बड़े शहरों में भी बिजली कटौती  हो गई है। आंकड़ों की बात करे तो उप्र में मौजूदा समय में बिजली की मांग 20,000 से 21,000 मेगावाट के बीच है। वहीं सप्लाई सिर्फ 17000 मेगावाट तक हो पा रही है।

ऐसे में चार हजार मेगावाट बिजली की कमी होने लगी है। बताया जा रहा है कि इसका सबसे ज्यादा असर पूर्वांचल और मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के ग्रामीण इलाकों में पड़ रहा है।

महंगे दाम पर खरीद रहे बिजली

इस संकट से निपटने के लिए एक्सचेंज से पावर कॉरपोरेशन बिजली खरीद रहा है। अधिकारियों का कहना है कि यह बिजली 15 से 20 रुपए यूनिट तक पड़ रहा है। हालांकि बिजली की कीमत अधिक होने के कारण पावर कॉरपोरेशन ज्यादा मात्रा में एक्सचेंज से बिजली नहीं खरीद पा रहा है।

4500 मेगावाट कम मिल रही बिजली

कोयले की कमी से उप्र में 2700 मेगावाट बिजली नहीं तैयार हो रही है। मौजूदा समय 8 पावर प्लांट कोयले की कमी से और 6 दूसरे कारणों से बंद है। कोयले की कमी से जो पावर प्लांट बंद चल रहे हैं, उनसे पावर कॉरपोरेशन को 2700 मेगावाट बिजली मिलती है। इसके अलावा 6 पावर प्लांट भी दूसरे तकनीकी कारणों से बिजली उत्पादन नहीं कर पा रहे हैं। इनसे भी 1800 मेगावाट बिजली मिलती है। यानि पावर कॉरपोरेशन को करीब 4500 मेगावाट बिजली नहीं मिल पा रही है।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह समस्या अभी और बढ़ेगी। इसकी बड़ी वजह कई जगह पर कोयले की पेमेंट न होना है। उत्पादन निगम के कई पावर प्लांट हैं जिनका कोयले का पेमेंट बकाया है। दरअसल कोयले की कमी को देखते हुए कोल कंपनियों ने यह तय किया है कि जिन पावर प्लांटों का पेमेंट होगा, उन्हें पहले कोयले की सप्लाई की जाएगी।

यह पावर प्लांट बंद हो गए है

ललितपुर यूनिट-2 660 मेगावाट ललितपुर यूनिट-3 660 मेगावाट रोजा यूनिट-2 300 मेगावाट ऊंचाहार यूनिट-6 190 मेगावाट हरदुआगंज यूनिट-9 250 मेगावाट पारीछा यूनिट-4 210 मेगावाट पारीछा यूनिट- 5250 मेगावाट हरदुआगंज यूनिट- 7105 मेगावाट

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