मथुरा जेल में चल रही सात लोगों की हत्यारन को फांसी देने की तैयारी, जानें पूरा मामला
मालूम हो कि अभी भी शबनम के फांसी की तारीख तय नहीं हुई है। इसके बाद भी अभी से फांसी देने की तैयारी चल रही है। मालूम हो कि 22 साल पहले भी मथुरा जेल में हत्या के मामले में एक महिला को फांसी देने की तैयारी की गई थी, लेकिन उसकी गोद में मासूम के होने कारण उसकी फांसी को राष्ट्रपति ने उसकी फांसी को उम्रकैद में तब्दील कर बदल दिया था।
मथुरा। मथुरा जेल एक बार फिर सुर्खियों छाया हुआ है। कारण है कि इस बार फिर मथुरा जेले में किसी महिला को फांसी देने की तैयारी का। मालूमह हो कि मथुरा जेल देश की इकलौती जेल है, जहां महिलाओं को फांसी देने की व्यवस्था है। यहां आपकों यह भी बता दे कि आजादी के बाद से किसी भी महिला को फांसी की सजा नहीं हुई है।
अभी नहीं आई फांसी की डेट
मालूम हो कि अभी भी शबनम के फांसी की तारीख तय नहीं हुई है। इसके बाद भी अभी से फांसी देने की तैयारी चल रही है। मालूम हो कि 22 साल पहले भी मथुरा जेल में हत्या के मामले में एक महिला को फांसी देने की तैयारी की गई थी।
उसकी गोद में मासूम के होने कारण उसकी फांसी को राष्ट्रपति ने उसकी फांसी को उम्रकैद में तब्दील कर बदल दिया था। लेकिन इस बार हालात कुछ और क्योंकि शबनम की दया याचिका को राष्ट्रपति ने पहले ही ठुकरा दिया है और उसका बच्चा भी 12 साल का हो चुका है। इसलिए उसकी फांसी टलने का कोई कारण नहीं नजर आ रहा है। इसलिए जेल प्रशासन पूरी तरह तैयारी कर रहा है।
प्रदेश की इकलौती जेल है मथुरा
मालूम हो कि मथुरा की जिला जेल प्रदेश की इकलौती ऐसी जेल है, इसमें महिलाओं को फांसी लगाई जा सकती है। यह व्यवस्था ब्रिटिशकालीन है। यही वजह है कि इस बार यहां अमरोहा की शबनम को परिवार के सात सदस्यों की नृशंस हत्या के जुर्म में फांसी लगाने के लिए भेजा जाना है। शबनम की उम्र इस समय 38 वर्ष है।
उसका एक 12 वर्ष का बेटा भी है। जिसका जन्म उसने जेल में दिया था। हत्या के आरोप में गिरफ्तारी के वक्त शबनम गर्भवती थी। सात साल उसका बेटा जेल में ही पला। अब वह एक व्यक्ति की देखरेख में है। रामपुर की जेल में बंद शबनम को फांसी के लिए यहां लाया जाना है।
हालांकि अभी उसकी फांसी की तारीख तय नहीं हुई है। उसके लिए जेल प्रशासन फांसी घर को तैयार करने में लगा हुआ है। मेरठ का पुश्तैनी जल्लाद पवन भी फांसी घर का मुआयना कर चुका है। फांसी के फंदे के लिए विशेष रस्सी मनीला से मंगाई गई है, जबकि फंदा बक्सर में तैयार हो रहा है।
मासूम बच्चे के कारण बच्ची थी रामश्री
मालूम हो कि पन्द्रह वर्ष साल पहले भी मथुरा जेल में एक महिला को फांसी देने की तैयारी की गई थी, लेकिन उस समय उसकी गोद में मासूम बच्चा था। उस समय भी फांसी घर का सुधार हुआ था। मेरठ के कल्लू जल्लाद को जेल बुलाया गया था।
फर्क इतना है कि तब रामश्री का बेटा जेल में ही उसकी गोद में था और शबनम का बेटा जेल से बाहर एक व्यक्ति की देखरेख में है। शबनम के साथ उसके प्रेमी को भी सजा सुनाई गई है, जबकि रामश्री के साथ उसके तीन भाईयों को फांसी की सजा सुनाई गई थी।
रामश्री को फांसी दिए जाने की खबर ने मथुरा ही नहीं प्रदेशभर के महिला संगठनों को विचलित दिया था। मामला राष्ट्रीय महिला आयोग तक पहुंचा था। तब राष्ट्रपति यहां दया याचिका दायर की गई थी। इस पर रामश्री की फांसी की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया था।
प्रेमी संग मिलकर सात परिजनों की हत्या
अमरोहा निवासी शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर 14-15 अप्रैल 2008 की रात को घर के सात लोगों को मौत की नींद सुलाई थी। शबनम ने माता-पिता, दो भाई, एक भाभी, मौसी की लड़की और मासूम भतीजे को मार दिया था।
शबनम को जल्द ही उसके गुनाह की सजा मिल जाएगी। सर्वोच्च न्यायालय से बहाल की गई फांसी की सजा के बाद राष्ट्रपति ने भी उसकी दया याचिका को ठुकरा दिया है। आजादी के बाद शबनम देश की पहली महिला होगी, जिसे मथुरा जेल में फांसी दी जाएगी।