हुनर बढ़ाने के लिए ढूंढें नए—नए मौके, कामयाब व्यक्ति की यही है निशानी: पीएम
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स्किल सिर्फ रोज़ी-रोटी और पैसे कमाने का ज़रिया नहीं, बल्कि जीवन में उमंग-उत्साह के लिए भी यह ज़रूरी है।
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को वर्ल्ड यूथ स्किल्स डे के मौके पर डिजिटल कॉन्क्लेव को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि कामयाब व्यक्ति की यही निशानी होती है कि वह हुनर बढ़ाने के लिए नए-नए मौके ढूंढता रहे। कुछ सीखने की ललक नहीं होने से जीवन ठहर जाता है। स्किल के प्रति आकर्षण जीने की ताकत देता है, उत्साह देता है। स्किल सिर्फ रोज़ी-रोटी और पैसे कमाने का ज़रिया नहीं, बल्कि जीवन में उमंग-उत्साह के लिए भी यह ज़रूरी है।
स्किल की ताकत पहचानिए
मैं युवा अवस्था में ट्राइबल बेल्ट में वॉलंटियर के रूप में काम करता था। एक बार एक संस्था के साथ काम पर जाना था, लेकिन गाड़ी नहीं चल पाई। मैकेनिक को बुलाया तो उसने 2 मिनट में गाड़ी ठीक कर दी। उसने 20 रुपए मांगे। एक साथी ने कहा कि 2 मिनट के काम के 20 रुपए ले रहे हो। मैकेनिक ने कहा- 2 मिनट के 20 रुपए नहीं, बल्कि 20 साल से काम के जरिए जो स्किल जुटाई है, उसकी कीमत ले रहा हूं। यह है स्किल की ताकत।
स्किल से मेहनत बचाई जा सकती है
आप बुक्स में पढ़ सकते हैं, यू-ट्यूब पर देख सकते हैं कि साइकिल कैसे चलती है, उसके पुर्जे कैसे होते हैं। ये सब नॉलेज है, लेकिन ये नॉलेज होने से ज़रूरी नहीं कि आप साइकिल चला पाएं। लेकिन, स्किल है तो आप साइकिल चला सकते हैं। जैसे-जैसे आपने इस कला को सीख लिया तो फिर दिमाग खपाने की ज़रूरत नहीं पड़ती। आज भारत में नॉलेज और स्किल में जो अंतर है, उससे समझते हुए ही काम हो रहा है। 5 साल पहले आज के ही दिन स्किल इंडिया मिशन इसी सोच के साथ शुरू किया गया था।
युवाओं को बेहतर मौके देने की कोशिश कर रहे
कोशिश यही है कि भारत के युवाओं को दूसरे देशों की ज़रूरतों के बारे में भी सही और सटीक जानकारी मिल सके। किस देश में, किस सेक्टर में कौन से मौके हैं, इसकी जानकारी युवाओं को तेजी से मिल सके। मर्चेंट नेवी का उदाहरण लें तो दुनिया में सेलर की सबसे ज्यादा जरूरत है। हम दुनिया को लाखों सेलर दे सकते हैं और अपनी कोस्टल इकोनॉमी को भी मज़बूत कर सकते हैं।
छोटे-छोटे हुनर ही देश को मज़बूत करेंगे
चार-पांच दिन पहले देश में श्रमिकों की स्किल मैपिंग का एक पोर्टल भी शुरू किया गया है। यह पोर्टल स्किल्ड लोगों को, स्किल्ड श्रमिकों की मैपिंग करने में अहम भूमिका निभाएगा। इससे एंप्लॉयर एक क्लिक में ही स्किल्ड मैप वाले वर्कर्स तक पहुंच पाएंगे। छोटी-छोटी स्किल ही आत्मनिर्भर भारत की बहुत बड़ी शक्ति बनेगी।
थूकने की आदत छोड़ने के लिए कहें
वैश्विक महामारी में हम बार-बार दोहराते रहे हैं कि स्वस्थ रहें, दो गज की दूरी का पालन करते रहें, मास्क पहनना न भूलें, थूकने की आदत छोड़ने के लिए सबको समझाते रहें। जिस काम के लिए आज जुटे हैं उसके मंत्र को हमेशा याद रखिए कि कितने भी पढ़े-लिखें क्यों न हों, नई-नई स्किल बढ़ाते रहिए। इससे जिंदगी जीने का मजा आएगा। अपनी और देश की तरक्की कर पाएंगे।
भारत में सिर्फ 2.3% लोगों के पास जॉब स्किल
हर साल 15 जुलाई को वर्ल्ड यूथ स्किल्स डे मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र से रिकगनाइज्ड इस इवेंट के जरिए युवाओं को स्किल के जरिए रोजगार और आंत्रप्रेन्योरशिप पर जोर दिया जाता है। साथ ही मौजूदा और भविष्य की चुनौतियों से निपटने में स्किल की अहमियत पर फोकस किया जाता है। भारत की वर्कफोर्स में सिर्फ 2.3% लोग ऐसे हैं, जिनके पास कोई जॉब स्किल है।